Dharti Adhkhila Phool Hai

Dharti Adhkhila Phool Hai

Language:

Hindi

Pages:

136

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

272 mins

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Book Description

एकान्त नवें दशक में उभरे उन महत्त्वपूर्ण कवियों में एक हैं जिन्होंने अपनी कविताओं में अपने समय के लोक समाजों के सुख-दु:ख, हँसी-ख़ुशी, करुण-आश्चर्य, चीख़-चीत्कार आदि भावों को दर्ज किया है। आधुनिकता के दबाव में ग्रामीण समाजों में बढ़ रही ‘भावों की ग़रीबी’ को भी उन्होंने बख़ूबी अपनी कविताओं में जगह दी है। न केवल लोक के मानवीय भाव बल्कि धीरे-धीरे भारतीय समाज में हो रहे ग्रामीण समाजों के वंचितीकरण, बाज़ार-संस्कृति के आक्रामक प्रसार में अपने को बचाए रखने की जद्दोजहद, इस जद्दोजहद से निकलती भारतीय समाज के इस ‘बहुजन की राजनीति’ उनकी कविताओं में दर्ज है। उनकी कविताएँ आधुनिकता के टकराव से छिन्न-भिन्न हो रहे मानवीय भावों के जीवन्त दस्तावेज़ हैं।</p> <p>पिछले दिनों हिन्दी समाज, हिन्दी कविता, भारतीय राजसत्ता एवं उसके विमर्श से गाँव, किसान एवं उसकी चिन्ताएँ ग़ायब होती गई हैं। एकान्त ने उन ग़ायब होते समूहों को अपनी कविताओं में दर्ज किया है। उनकी कविताएँ समाज में हो रहे अनेक सूक्ष्म परिवर्तनों, उस पर आम आदमी की प्रतिक्रियाओं को डॉक्यूमेंट कर उन्हें अत्यन्त सहज एवं मानवीय लोकेशन में अवस्थित कर आज के समय में प्रभावी हस्तक्षेप करती दिखती हैं।</p> <p>इस संकलन में एक लम्बी कविता ‘डूब’ संकलित है जो भारत में जनजातीय समाजों के विस्थापन की पीड़ा को कविता-विमर्श का विषय बनाती है। वे एक समर्थ कवि हैं। अपने समय को कविता में लाना वे बख़ूबी जानते हैं। प्रिंट एवं मीडिया के शोर में आज जब हिन्दी काव्य-परिदृश्य में काव्यविहीन कविताएँ अच्छी कविताओं की जगह आकर क़ाबिज़ हो गई हैं, एकान्त के इस संकलन की कविताएँ हिन्दी की बेहतरीन कविताओं का नमूना प्रस्तुत करती हैं।</p> <p>—बद्री नारायण

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