Anoopkaur
Author:
Harman Dass SahraiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 76
₹
95
Unavailable
इतिहास बताता है कि सिख गुरुओं ने स्त्रियों को पुरुषों के समान हैसियत के उपदेश ही नहीं दिए, बल्कि उनके सामाजिक जीवन को भी सम्मानजनक स्थितियाँ दीं। बीबी अनूप कौर का नाम भी ऐसी ही वीरांगना महिलाओं में आता है जिन्होंने समय आने पर जंग के मैदानों में अपनी बहादुरी और हिम्मत का परिचय दिया।</p>
<p>अनूप कौर का जन्म 1690 में अमृतसर के पास एक गाँव में हुआ था। उनके पिता सोढ़ी ख़ानदान की उस शाखा से जुड़े थे जो गुरु तेग बहादुर के साथ थी। अनूप कौर की उम्र तब सिर्फ़ पाँच साल थी जब वे अपने परिवार के साथ आनन्दपुर चली गई थीं। वहाँ वे गुरु गोविन्द सिंह के बेटों के साथ खेलते हुए बड़ी हुईं। वहीं उन्होंने धार्मिक और सैनिक शिक्षा भी पाई।</p>
<p>1699 में जब गुरु गोविन्द सिंह ने सन्त-योद्धाओं को दीक्षा दी तब उन्होंने भी अपने पिता के साथ दीक्षा पाई जिसने हमेशा के लिए उनके जीवन और रहन-सहन को बदल दिया। उन्होंने सिपाहियों के परिवारों की देख-रेख के साथ युद्ध में उन्हें रसद पहुँचाने से लेकर शत्रुओं से लड़ने तक अत्यन्त वीरता का परिचय दिया।</p>
<p>उनके जीवन का अन्त मुग़लों की क़ैद में हुआ जहाँ उन्हें धर्म-परिवर्तन करके मलेर कोटला के शाह से शादी करने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इससे पहले कि उनकी यह मंशा पूरी होती, अनूप कौर ने ख़ंजर से अपनी जान दे दी। यह उपन्यास इसी वीरांगना की कथा है।
ISBN: 9788180312502
Pages: 177
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Swasthaya Prashnottari
- Author Name:
Anil Agrawal
- Book Type:

- Description: आपके शरीर में यकृत (लिवर) क्या कार्य करता है? विटामिन आपके लिए क्यों आवश्यक हैं? मलेरिया से पीड़ित होने पर कौन सी दवा दी जानी चाहिए? क्या आप इन प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते हैं? यदि हों, तो आपको इस पुस्तक से मदद मिल सकती हे । एक सामान्य पाठक को ध्यान में रखकर लिखी गई यह पुस्तक आपको मानव शरीर, पौष्टिकता, रोग और उनके उपचार की संपूर्ण जानकारी देती है । इस पुस्तक को पढ़ने के पश्चात् आपको मानव शरीर, स्वास्थ्य व रोगों के विषय में बहुत सी नई जानकारियाँ प्राप्त होंगी ।
Baniya-Bahu
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

- Description: ‘बनिया-बहू’ की कथा 16वीं शताब्दी के एक आख्यान पर आधारित है, जिसे तत्कालीन कवि मुकुंदराम चक्रवर्ती ने अपनी कृति ‘चंडीमंगल’ में लिपिबद्ध किया था। महाश्वेता देवी ने यह आख्यान इसी पुस्तक से उठाया है और उसे एक अत्यन्त मार्मिक उपन्यास में ढाला है। महाश्वेता जी का मानना है : “बनिया-बहू सम्भवतः आज भी प्रासंगिक है। क़ानून को धता बताकर आज भी बहुविवाह प्रचलित है।...और ‘बेटे की माँ’ न हो सकने की स्थिति में आज भी स्त्रियाँ ख़ुद को अपराधी मानती हैं...अर्थात् अभी भी हम बीसवीं शताब्दी तथा अन्य बीती शताब्दियों में एक साथ रह रहे हैं।” भूमिका से ‘बनिया-बहू’ बहुविवाह प्रथा की इसी चिराचरित त्रासदी की कहानी है। एक स्त्री के बाँझपन के हाहाकार के साथ उसके द्वारा एक दूसरी अत्यन्त कोमल, कमनीय तथा सरल बालिका पर किए गए अकथ अत्याचार से नष्ट होते पारिवारिक जीवन और सुख-शान्ति का मर्मस्पर्शी आख्यान है यह उपन्यास। अन्ततः दोनों ही स्त्रियाँ सामाजिक कुरीतियों, अन्धविश्वासों के मकड़जाल में फँसकर दम तोड़ देती हैं, जबकि उनका कोई दोष नहीं। लेखिका ने दोनों स्त्रियों के साथ पूरी सहानुभूति के साथ, तन्मय होकर, उन स्थितियों का विश्लेषण तथा उद्घाटन किया है, जिनमें एक भयानक सामाजिक विनाश के बीज निहित हैं। एक सिद्धहस्त कथा लेखिका की क़लम से निकली एक अनुपम औपन्यासिक कृति।
Where Has My Gulla Gone
- Author Name:
Padma Sachdev
- Book Type:

- Description: No Description Available for this Book
201 Prerak Neeti Kathayen
- Author Name:
Shiv Kumar Goyal
- Book Type:

- Description: 201 प्रेरक नीति कथाएँ—शिवकुमार गोयल धर्मशास्त्रों, नीतिशास्त्रों की कथाएँ तथा ऋषि-मुनियों, वीर-वीरांगनाओं, विभिन्न क्षेत्रों के आदर्श पुरुषों के जीवन प्रसंग आदर्श जीवन जीने, अपना कर्तव्यपालन करने की प्रेरणा देने में हमेशा से सहायक रहे हैं। बच्ïचे दादा-दादी, नाना-नानी व माता-पिता के मुख से प्रेरक कथाएँ सुनने के लिए लालायित रहा करते हैं। इन आदर्श कथाओं, पावन प्रसंगों से बालकों को सत्य बोलने, माता-पिता, वृद्धजनों व गुरुजनों की सेवा व सम्मान करने, धर्मानुसार आदर्श जीवन जीने की स्वत: प्रेरणा मिलती है। 201 प्रेरक नीति कथाएँ की सरल-सुबोध कहानियाँ हमारे जीवन की दिशा बदलने की क्षमता रखती हैं। सद्ïगुण, सदï्विचार, सदाचार—यानी मानव जीवन के लिए आवश्यक सभी गुणों की खान हैं ये नीति कथाएँ। इन्हें पढ़कर हम सन्मार्ग पर चलें और धर्ममय नीति-रीति से जीवन जिएँ तो इस संग्रह का प्रकाशन सार्थक होगा।
Tabadala
- Author Name:
Vibhuti Narayan Rai
- Book Type:

-
Description:
बहुराष्ट्रीय निगमों की बढ़ती मौजूदगी और कॉरपोरेट दुनिया में कार्य-संस्कृति पर लगातार एक नैतिक मूल्य के रूप में ज़ोर दिए जाने के बावजूद भारतीय मध्यवर्ग की पहली पसन्द आज भी सरकारी नौकरी ही है, तो उसका सम्बन्ध, उस आनन्द से ही है जो ग़ैर-ज़िम्मेदारी, काहिली, अकुंठ स्वार्थ और भ्रष्टाचार से मिलता है; और हमारे स्वाधीन पचास सालों में सरकारी नौकरी इन सब ‘गुणों’ का पर्याय बनकर उभरी है। इन्हीं के चलते तबादला-उद्योग वजूद में आया तो आज दफ़्तरों से लेकर राजनेताओं के बँगलों तक, शायद बाक़ी कई उद्योगों से ज़्यादा, फल-फूल रहा है।
इस उद्योग की जिन बारीक डिटेल्स को हम बिना इसके भीतर उतरे, बिना इसका हिस्सेदार बने, नहीं जान सकते, उन्हीं को यह उपन्यास इतने तीखे और मारक व्यंग्य के साथ हमारे सामने रखता है कि हमें उस हताशा को लेकर नए सिरे से चिन्ता होने लगती है जो भारतीय नौकरशाही ने पिछले पचास सालों में आम जनता को दी है। इस उपन्यास का वाचक व्यंग्य के उस ठंडे कोने में जा पहुँचा है जहाँ ‘कोई उम्मीदबर नहीं आती’। उपन्यास पढ़कर हम सचमुच यह सोचने पर बाध्य हो जाते हैं कि अगर यह हताशा वास्तव में हमारे इतने भीतर तक उतर चुकी है तो फिर रास्ता है किधर!
Meghalay Ki Lokkathayen
- Author Name:
Madhavendra +1
- Book Type:

- Description: This book has no description
Pratham Phalgun
- Author Name:
Shri Naresh Mehta
- Book Type:

- Description: इसका कथानक उस प्रथम प्रेम की मार्मिकता को अभिव्यक्त करता है जिसका सम्मोहन सार्वकालिक तथा सार्वदेशिक होता है। इस उपन्यास में दो पात्र—गोपा और महिम। आज से तीस-चालीस वर्ष पहले का लखनऊ। परिपार्श्व की इस ऐकान्तिकता के साथ-साथ दो पात्रों का अपना निजपन, जहाँ किसी तीसरे का कोई अर्थ या महत्त्व नहीं। रागात्मकता के किन-किन और कैसे-कैसे प्रसंगों, स्थितियों तथा मुद्राओं से होकर गोपा और महिम यात्रा करते हैं, यह इस उपन्यास की बुनावट, भाषा तथा प्रतीकों के माध्यम से देखा जा सकता है। जिस प्रकार गोपा और महिम को किसी अन्य की अपेक्षा नहीं, वैसी ही तन्मयता इसे पढ़ते हुए मिलती हैं।
Alka
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

- Description: इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन के चित्रण किया है। पृष्ठभूमि में स्वाधीनता आन्दोलन का वह चरण है जब पहले विश्वयुद्ध के बाद गांधी जी ने आन्दोलन की बागडोर अपने हाथों में ली थी। यही समय था जब शिक्षित और सम्पन्न समाज के अनेक लोग आन्दोलन में कूदे जिनमें वकील-बैरिस्टर और पूँजीपति तबके के नेता मुख्य रूप से शामिल थे। इस नेतृत्व का एक हिस्सा किसानों-मज़दूरों के आन्दोलन को उभरने देने के पक्ष में नहीं था। निराला ने इस उपन्यास में इस निहित वर्गीय स्वार्थ का स्पष्ट उल्लेख किया है।
Chaak
- Author Name:
Maitreyi Pushpa
- Book Type:

-
Description:
‘चाक’ सामन्ती समाज के भीतर व्याप्त हिंसा और स्वार्थों की टकराहट की प्रामाणिक कहानी है। इस समाज का ताना-बाना हिंसा और सेक्स से बना है। मैत्रेयी इन दोनों को ही एक कथाकार की निगाह से पात्रों के आचार-विचार और सोच के रूप में प्रभावशाली ढंग से पकड़ती हैं। ‘चाक’ में बिना बड़बोलेपन के उन्होंने गाँव की स्त्री की जिस चेतना का विकास किया है, वह उपन्यास-कला पर उनकी पकड़ को रेखांकित करता है।
— राजेन्द्र यादव
जिस लोकजीवन से हमारी रचनात्मक धारा काफ़ी पहले विमुख हो चुकी थी, उसकी अनेक परतें मैत्रेयी पुष्पा ने खोल दी हैं। मैत्रेयी पुष्पा को उनकी मामूली लेकिन ज़बरदस्त स्त्रियों के कारण याद किया जाएगा।
— ज्ञानरंजन
मैत्रेयी में मानवीय भावों की सघन अन्तरंगता और सम्बन्धों की जटिलता को चित्रित करने की अनोखी क्षमता मौजूद है।
— परमानन्द श्रीवास्तव
स्त्री की कथादृष्टि ही नहीं, उसकी शैली और वाक्य-रचना भी पुरुष से भिन्न होती है। इसका प्रमाण ‘चाक’ की कथा-संरचना और कथा-भाषा में दिखाई देता है। ‘चाक’ की कथा एक स्तर पर गद्य में चलती है और इसके साथ दूसरे स्तर पर लोकगीतों में।
— मैनेजर पाण्डेय।
Kolahal Se Door
- Author Name:
Tomas Hardy
- Book Type:

- Description: ‘कोलाहल से दूर’ उपन्यास के केन्द्र में नायिका बाथशीबा एवरडीन और उसे अपने-अपने ढंग से प्रेम करनेवाले तीन व्यक्तियों—किसान से गड़रिया बना गैब्रिएल ओक, धनी किसान बोल्डवुड और उच्छृंखल सार्जेंट ट्रॉय—की कहानी है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में हार्डी शहरों के कोलाहल से दूर ग्राम्य जीवन की जो तस्वीर खींचते हैं, वह उनका वास्तविक कथ्य है। अपनी विशिष्ट शैली में वह बीच-बीच में मानवीय व्यवहार, उसकी कमज़ोरियों, बदलते वक़्त और विवाह की संस्था पर टिप्पणियाँ करते चलते हैं। उपन्यास के अन्त में बाथशीबा सामाजिक प्रतिष्ठा में अपने से काफ़ी नीचे गैब्रिएल से विवाह कर लेती है जिसके चरित्र को हार्डी ने उच्च मानवीय गुणों से नवाज़ा है। बाथशीबा के रूप में हार्डी ने जिस स्वतंत्र, आवेगपूर्ण और अपनी मर्ज़ी से चलनेवाली स्त्री का चरित्र गढ़ा है, वह भी विक्टोरियन युग की कठोर मर्यादाओं की एक चुनौती थी।
Patrangpur Puran
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

-
Description:
रचनात्मक गद्य की गहराई और पत्रकारिता की सहज सम्प्रेषणीयता से समृद्ध मृणाल पाण्डे की कथाकृतियाँ हिन्दी जगत में अपने अलग तेवर के लिए जानी जाती हैं। उनकी रचनाओं में कथा का प्रवाह और शैली उनका कथ्य स्वयं बुनता है।
‘पटरंगपुर पुराण’ के केन्द्र में पटरंगपुर नाम का एक गाँव है जो बाद में एक क़स्बे में तब्दील हो जाता है। इसी गाँव के विकास-क्रम के साथ चलते हुए यह उपन्यास कुमाऊँ-गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्र के जीवन में पीढ़ी-दर-पीढ़ी आए बदलाव का अंकन करता है। कथा-रस का सफलतापूर्वक निर्वाह करते हुए इसमें काली कुमाऊँ के राजा से लेकर भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति तक के समय को लिया गया है।
परिनिष्ठित हिन्दी के साथ-साथ पहाड़ी शब्दों और कथन-शैलियों का उपयोग इस उपन्यास को विशेष रूप से आकर्षित बनाता है, इसे पढ़ते हुए हम न केवल सम्बन्धित क्षेत्र के लोक-प्रचलित इतिहास से अवगत होते हैं, बल्कि भाषा के माध्यम से वहाँ का जीवन भी अपनी तमाम सांस्कृतिक और सामाजिक भंगिमाओं के साथ हमारे सामने साकार हो उठता है। कहानियों-क़िस्सों की चलती-फिरती खान, विष्णुकुटी की आमा की बोली में उतरी यह कथा सचमुच एक पुराण जैसी ही है।
Ek Akshar Bhi Jhootha Nahin
- Author Name:
Sushmita Bandyopadhyay
- Book Type:

-
Description:
एक नन्ही बच्ची अपने ख़्वाबों की दुनिया में अपनी ख़्वाहिशें लेकर बड़ी होना चाहती है, जैसे हर शिशु चाहता है। परन्तु सामाजिक, पारिवारिक अनुशासन और परिवेश के दबाव, अपने ख़्वाबों और ख़्वाहिशों के अनुसार बड़ी होने के मार्ग में बाधक बनते हैं और परिणामस्वरूप मन में ज़िद पनपती है।
अन्य दो-चार लड़कियों की भाँति सपनों, तर्कों, समाज, परिवार, परिवेश की आहुति दे वह बड़ी हो सकती थी, लेकिन वह सिर्फ़ लड़की नहीं, इनसान है, इसलिए तर्कों और विवेक के साथ अपनी इच्छानुसार बड़ी होना चाहती थी।
इसीलिए, समाज, परिवार और अनुशासन को अँगूठा दिखा एक ‘विधर्मी’, अफ़ग़ान युवक से शादी रचा सपनों के रथ पर सवार हो रवीन्द्रनाथ के काबुलीवाले के देश में क़दम रखा। अफ़ग़ानिस्तान की धरती पर क़दम रखते ही उसके सारे सपने चूर-चूर हो गए। यह तो रवीन्द्रनाथ के रहमत का देश नहीं है। यह तो मानो मध्ययुगीन, अशिक्षाग्रस्त, जर्जर, दासप्रथावाला अन्धकारमय असांस्कृतिक देश है।
विवेक और मानवता उसे जेहाद छेड़ने के लिए प्रेरित करते। आख़िर शिक्षा, नारी-स्वाधीनता के नाम पर, मानवता के पक्ष में अपना सिर उठाकर उसने मनुष्यता के शत्रु ‘इस्लामी’ गुरु और उनके शिष्य तालिबानियों के विरुद्ध संग्राम छेड़ ही दिया।
तालिबानों के अत्याचारों, दम-घोंटू रीति-रिवाजों, पल-पल मौत के साए में जीवन बसर करनेवाले मज़लूमों, बेक़सूरों के ख़ौफ़ की सच्ची दास्तान है सुष्मिता बंद्योपाध्याय का यह तीसरा आत्मकथात्मक उपन्यास—‘एक अक्षर भी झूठा नहीं’।
Dhaak Ke Teen Paat
- Author Name:
Maloy Jain
- Book Type:

-
Description:
ढाक यानी पलाश...और पात, वही तीन के तीन, यही हैं हालात हिन्दुस्तान की विकास-गाथा के। देश को इक्कीसवीं सदी में ले जाने के प्रयासों में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है, मगर क्रियान्वयन के स्तर पर ढाक के तीन पात होते हम सबने देखा है। गूगलगाँव हिन्दुस्तान के मुख़्तलिफ़ गाँवों में से ही एक है मगर हालात कमोबेश सर्वत्र एक ही हैं।
व्यंग्य की इस कृति में पुरानी परम्पराएँ हैं तो उनमें टाँग अड़ाती आधुनिकताओं का अधकचरापन भी, गँवई गलियाँ हैं तो देहाती अस्पताल भी, वैद्य जी जैसे आम झोलाछाप डॉक्टर और पाराशर जी जैसे शिक्षक हैं तो गड्ढे भैया जैसे ठेकेदार और लपकासिंह टाइप के लोकल पत्रकार भी। वहीं कमिश्नर साहिबा जैसी सख़्त और कर्तव्य प्रेमी अफ़सर हैं, जिन्हें विश्वास है कि यदि देश में हर व्यक्ति ईमानदारी से अपना काम करने लग जाए तो विकास के फूल भी खिलने में देर नहीं।
Arkadipt
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Book Type:

-
Description:
अर्कदीप्त अपने आप में डूबा, बहुत थोड़े में सन्तुष्ट, और जीवन को नितान्त अपनी दृष्टि से देखनेवाला बच्चा था; जिसे कुछ नहीं चाहिए था, जो मिलता उसी में सन्तुष्ट।
फिर उसके जीवन में प्रेम आया, जिसने उसके अन्तस को उस ऊर्जा से भरना शुरू किया; जो उसके अस्तित्व की वास्तविक ज़रूरत थी। पूर्ण प्रेम, अकुंठ समर्पण, सर्वांग साहचर्य। सौदामिनी और अर्कदीप्त ने परदेसी भूमि के मुक्त वातावरण में एक दूसरे के मन, आत्मा और देह में वह स्थान पाया जो नियति ने उन्हें उपहार की तरह दिया था। लेकिन सौदामिनी जब अपने अतीत से उत्पन्न कमिटमेंट फ़ोबिया के चलते कुछ पल अज्ञात में विलीन हुई; तो अर्कदीप्त अपने इस पहले प्रेम की टूटन से बिखरा, जला और फिर राख हो गया जिसे परिवार और शुभचिन्तकों ने परम्परा को सौंप दिया। लेकिन उसने दुख के सूरज को बुझने नहीं दिया, उसे अपनी आत्मा के क्षितिज पर अक्षुण्ण रहने दिया और फिर, जैसे ब्रह्मांड के आदेश पर, उसे अपनी खोई दिशा के संकेत मिलने लगे, और वह सब कुछ जहाँ का तहाँ छोड़कर चला गया; सबके लिए विलुप्त।
यह वरिष्ठ कथाकार उषा प्रियम्वदा का नया उपन्यास है। जीवन के सूक्ष्मतम विवरणों से समृद्ध और उन्हीं के बीच आत्मोपलब्धि के निर्णायक पलों को रेखांकित करती हुई एक समर्थ, परिपक्व लेखनी की रचना। यहाँ उपन्यास विधा अपने पूरेपन में घटित होती प्रतीत होती है। भाषा के उदार और सजीव विस्तार में कथा को अपने सम्पूर्ण में खुलने का अवकाश देती हुई। भारत, जर्मनी, डेनमार्क और अमेरिका के कई शहरों में फैली यह कथा प्रेम के विराट को उद्घाटित करती है और अनेकानेक पात्रों के माध्यम से जीवन के तमाम पहलुओं से होकर गुज़रती है।
Not Very Far
- Author Name:
Jinnat Saberin
- Book Type:

- Description: Fate- is the most fluctuating element of life. At times, it dissembles to be your best friend, your helping hand, your guardian. But the moment you trust it, It shatters you and your trust. It breaks you and builds you up so it can hurt you again. Fate binds the two budding teenagers- ashik and Sakshi. This pair of strangers belonging to two different corners of India seems to share numerous surprising similarities. They went from having the same letters in their names to having similar hobbies. The similarities never ceased to amaze them both. Back at the time, when Facebook and Orkut weren’t the ‘basic needs of the teens, there were those ridiculous chat rooms on channel [V]. Those that appear at the bottom of your TV screen. That’s where they talked for the first time. Who knew a real relationship would take birth there? Who knew they’d even fall in love? That’s fate! But the age was wrong- and the distance was long. Mistakes were inevitable, and trust was easy to lose. Ashik makes a mistake. An error is so bad that Sakshi finds it hard to trust him again. She leaves. They say you realise you love someone when you let them go- that’s what happened to ashik, too. Determined he would bring her back to his life, he heads off to Hyderabad from Assam, resisting all sorts of parental oppositions to study BBA- a course he was never interested in. Sakshi’s decisions were primarily governed by her emotions and not by logic. As a result, she’s either very right or wrong. Their relationship blooms yet again. But too much dependency and an uncertain career isn't a beautiful condition for a relationship.
Raat Ke Gyarah Baje
- Author Name:
Rajesh Maheshwari
- Book Type:

-
Description:
‘रात के ग्यारह बजे’ नारी के विविध रूपों को काले और सफ़ेद खानों में रखकर देखने के बजाय ‘ग्रे एरिया’ में अलग-अलग शेड्स दिखाता है। बहुत ही विश्वसनीय प्रसंगों के ताने-बाने में। राजेश माहेश्वरी के इस उपन्यास की स्त्रियाँ शिक्षित हैं और आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। कठिनाइयों के अथाह दुर्गम को पार कर वे अस्तित्व के संघर्ष में निरन्तर आगे बढ़ती हुई नज़र आती हैं।
उपन्यास के किरदार मानसी, राकेश, आनन्द, गौरव और पल्लवी के बीच रिश्तों की परतें बहुत उलझी हुई हैं। ये सभी किरदार ज़िन्दगी की गाड़ी में सवार सहयात्री से लगते हैं जिनके जीवन की घटनाएँ कहीं न कहीं हमारे अपने जीवन की सच्चाई से हमें अवगत कराते हुए प्रतीत होते हैं। 'विश्वास’ का वास्तविक अर्थ हम तब समझ पाते हैं जब हमारे साथ विश्वासघात होता है। और तभी पता चलता है कि विश्वास का धागा जितना सच्चा होता है, उतना ही कच्चा भी होता है। लेखक ने इस अनुभव को बहुत कारगर ढंग से चित्रित किया है।
इस उपन्यास को पढ़ते हुए एक बात अलग से ध्यान खींचती है कि स्त्री-स्वतंत्रता और स्वावलम्बन के समर्थक पुरुष उनके हित में चाहे जो करते हों, लेकिन उनके हँसी-मज़ाक़ में भी उसी तरह की बातें होती हैं जो किसी सामान्य पुरुष के। उपन्यास की भाषा कथा-प्रवाह को गतिशील बनाए रखनेवाली है तथा कथानक की बुनावट ऐसी कि लगे, जैसे कोई फ़िल्म देख रहे हों!
आज के दौर में स्त्री और पुरुष के बीच के रिश्तों को समझने के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास।
Trimurti
- Author Name:
R. S. Kelkar
- Book Type:

-
Description:
यह आज़ादी के कुछ बरसों बाद की दिल्ली है और दिल्ली का सत्ता-तंत्र। स्वतंत्रता के लिए चले लम्बे संघर्ष, अनेक लोगों की क़ुर्बानी के बाद हासिल हुई गद्दियों का निजी स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करते नेताओं, उनके छुटभैयों, टुटपुँजिया व्यवसायियों की कलुष-क्रीड़ा।
र.श. केलकर ने इस छोटे से उपन्यास में जिस दुनिया का चित्र खींचा है, भारतीय लोकतंत्र को उसके बहुत बाद तक भुगतने थे। कौड़ीमल एम.पी. हों, उनके लिए प्राइवेट सेक्रेटरी के तौर पर काम करनेवाली प्रतिभा हो, लाला रामभरोसे हों, या अन्य पात्र, धीर-धीरे इन सबको
व्यक्तियों के बजाय पतन के प्रतीक बन जाना था।
लाइसेंसों, ठेकों, ज्योतिषियों, बिना रीढ़ के बुद्धिजीवियों और धन के परजीवियों की एक पूरी दुनिया इस उपन्यास में हमें दिखाई देती है।
उपन्यास में ख़ास तौर पर देखने लायक़ है—दिल्ली की सड़कों-गलियों-बाज़ारों आदि का विवरण देनेवाली लेखक की भाषा जो एक कैमरे की तरह एक-एक चीज़ का विवरण देती चलती है। शब्द चित्र हो उठते हैं, और लेखक नि:संगतापूर्वक कहानी को उनके बीच से आगे लिए जाता है।
Bhartipur
- Author Name:
U.R. Ananthamurthy
- Book Type:

-
Description:
साहसिक और कलात्मक रचनाशीलता से औपन्यासिकता को नया संस्कार और आयाम देनेवाले विवादास्पद कन्नड़ लेखक यू.आर. अनन्तमूर्ति का बहुचर्चित उपन्यास है ‘भारतीपुर’।
यों ‘भारतीपुर’ एक दक्षिण भारतीय बस्ती की कहानी है, लेकिन बस्ती तो एक बहाना है। दरअसल यह समसामयिक भारतीय जीवन के दहशत पैदा करनेवाले अनुभवों और तिलमिला देनेवाले यथार्थ का बहुत तीखा और एक हद तक अविश्वसनीय लगनेवाला दस्तावेज़ है।
भारतीपुर नामक बस्ती में मंजुनाथ का एक मन्दिर है। वह मन्दिर केवल देवालय नहीं, उस बस्ती की सारी व्यवस्था का केन्द्र है—एक ऐसा केन्द्र और नियामक स्थल, जहाँ से ढोंग, पाखंड, स्खलन और दुराचार के अजस्र स्रोत फूटते हैं—सारी बस्ती के जीवन को समेटने, जकड़ने और यथास्थितिवाद को सुरक्षित बनाए रखने के लिए। ऐसे में सामाजिक परिवर्तन लाने की कोई भी भूमिका या उसका कोई प्रयत्न न केवल निष्फल होकर रह जाता है, बल्कि अपने पीछे श्रीपतिराय और अडिग जी जैसे लोगों की कुंठित और हताश पीढ़ी छोड़ जाता है।
ईश्वर, पूँजी और पाखंड की मिलीभगत और उसकी कुत्सित सत्ता के असली चेहरे को उजागर करनेवाले इस उपन्यास की सबसे बड़ी शक्ति है—इसका सामाजिक सन्दर्भ, जो रचना को तो अतिरिक्त ऊर्जा देता ही है, उपन्यास को बेहद प्रासंगिक भी बनाता है। गहरी संवेदना, मार्मिक भाषा, भेदक सामाजिक दृष्टि और साहसिक रचनाशीलता के लिए विख्यात अनन्तमूर्ति का यह उपन्यास भी हिन्दी पाठकों के लिए एक नया अनुभव देता है—‘संस्कार’ की ही तरह।
Anandmath
- Author Name:
Bankim Chandra Chatterjee
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक ‘आनन्दमठ’ में 1770 ई. से 1774 ई. तक के बंगाल का चित्र खींचा गया है। यह उपन्यास या ऐतिहासिक उपन्यास से बढ़कर है। ऋषि बंकिम ने इसमें उस युग का सिर्फ़ फ़ोटो नहीं खींचा, बल्कि राष्ट्र-विप्लब के भँवर में फँसे कुछ ऐसे जीवन्त मनुष्यों के चित्र दिए हैं, जो आज भी हमें बड़े अपने लगते हैं। इनमें सामान्य स्त्री-पुरुष भी हैं और महापुरुष भी। वे आज भी हमें राष्ट्रोत्थान का मार्ग दिखाते हैं। यह मार्ग है संघर्ष का, अन्याय से लोहा लेने का। गीता की जो टेक है—युध्यस्व-युद्ध करो, वही टेक है ‘आनन्दमठ’ की। ‘भगवतगीता’ और ‘आनन्दमठ’, इन दोनों में पलायनवाद नहीं है। इसलिए हमारे स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान ‘गीता’ को जो महत्त्व मिला, उससे कम महत्त्व ‘आनन्दमठ’ को नहीं दिया गया। इसीलिए ‘आनन्दमठ’ के सन्तान-व्रतधारियों का गीत ‘वन्दे मातरम’ हमारा राष्ट्रगीत है।
Maut ki Kitab
- Author Name:
Khalid Javed
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...