Shah Aur Maat : Sujata Ki Diary
Author:
Rajendra YadavPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
‘शह और मात’ दूसरे प्यार की जटिल और कटु कहानी है, जहाँ अपराध-भावना से पीड़ित प्रत्येक पात्र अपना पुनरान्वेषण करता है और अन्त में अपने को एक यंत्रणादायक भ्रान्ति और छलना से घिरा पाता है।</p>
<p>उपन्यास की भाषा अपनी ताज़गी, अभिव्यंजना और शक्ति के लिए बार-बार प्रशंसित हुई है। इस उपन्यास को पढ़ना एक अद्भुत—लेकिन बेहद आत्मीय—अनुभव से गुज़रना है, जो अपने को देखने की नई दृष्टि देता है।</p>
<p>‘शह और मात’...एक शुद्ध मनोवैज्ञानिक उपन्यास है, इसमें दो व्यक्तियों के प्रति तीसरे व्यक्तित्व (यानी सुजाता) की प्रतिक्रियाओं का वर्णन है। अचरज की बात यह है कि देशकाल की स्थितियों से प्रायः कोई मदद न लेते हुए भी लेखक इस उपन्यास को इतना नाटकीय और सजीव बना देता है! सुजाता की उदय से सम्बद्ध दिलचस्पी क्रमशः अधिक तीखी और गहरी होती जाती है। यह दिलचस्पी बहुत कुछ बौद्धिक क़िस्म की है, उपन्यास की नाटकीयता भी एक ख़ास तरह का बौद्धिक मनोवैज्ञानिक विनोद करती है। उपन्यास की नाटकीयता और रोचकता का एकमात्र रहस्य उसकी मनोवैज्ञानिक सूक्ष्मता एवं यथार्थ की अनुकारिता है। उपन्यास का प्रत्येक पन्ना रोचक है।</p>
<p>—डॉ. देवराज
ISBN: 9788183616812
Pages: 19
Avg Reading Time: 1 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: "एक संवेदनशील राजनेता शान्ता कुमार वस्तुतः हम जीवनी लिखने के लिए तभी प्रेरित होते हैं, जब हम किसी महापुरुष या भीड़ में अलग दिखाई देने वाले किसी ऐसे व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं, जिसमें आदर्श गुण झलकते हैं, जो जन-कल्याण में प्रवृत्त होता है, जो दूरदृष्टा एवं युगसृष्टा होता है, जो स्वार्थ से कहीं ऊपर होता है। महापुरुष भी हाड़-मांस के पुतले होते हैं। अतः उनके व्यक्तित्व में भी गुण-दोष विद्यमान रहते हैं, परंतु उनकी सदाशयता, उनका परमार्थ, उनका प्राणपन से समाज कल्याण, राष्ट्रहित में आजीवन समर्पित हो जाना उन्हें महान् बनाता है। शान्ता कुमार भी एक ऐसा ही विलक्षण व्यक्तित्व है, जो भीड़ में अलग दिखाई देता है, दिव्य एवं अन्य रश्मियों से मंडित है। सृजक शान्ता कुमार राजनीति में भी मानवीय संवेदनाओं का संवाहक है...तभी तो वह बार-बार ‘पृथु’ को याद करता है, ‘अंत्योदय’ शब्द का उल्लेख होने पर ही वह भाव-विह्वल हो जाता है। शान्ता कुमार एक धीर-गंभीर राजनेता तथा आदर्शोन्मुखी यथार्थवादी लेखक हैं। निरंतर सृजन में तल्लीन होना उपन्यास, कहानी, कविता, जीवनी लेखन, निबंध, संस्मरण विधाओं में पुस्तकों का प्रकाशन उनकी लेखकीय जिजीविषा का प्रमाण है। समाज में महिलाओं की समस्याएँ...घर-परिवार, सैनिकों की विधवाएँ, रोजगार, वृद्धों की कठिनाइयों, व्यावहारिक सरोकार अनेक पक्षों से वह जन-जीवन को अपनी रचनाओं में उतारते हैं। एक संवेदनशील राजनेता का जिंदगीनामा है यह पुस्तक। "
Apsara
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

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Description:
‘अप्सरा’ निराला की कथा–यात्रा का प्रथम सोपान है। अप्सरा–सी सुन्दर और कला–प्रेम में डूबी एक वीरांगना की यह कथा हमारे हृदय पर अमिट प्रभाव छोड़ती है। अपने व्यवसाय से उदासीन होकर वह अपना हृदय एक कलाकार को दे डालती है और नाना दुष्चक्रों का सामना करती हुई अतन्त: अपनी पावनता को बनाए रख पाने में समर्थ होती है। इस प्रक्रिया में उसकी नारी–सुलभ कोमलताएँ तो उजागर होती ही हैं, उसकी चारित्रिक दृढ़ता भी प्रेरणाप्रद हो उठती है।
इस उपन्यास में तत्कालीन भारतीय परिवेश और स्वाधीनता–प्रेमी युवा–वर्ग की दृढ़ संकल्पित मानसिकता का चित्रण हुआ है, जो कि महाप्राण निराला की सामाजिक प्रतिबद्धता का एक ज्वलन्त उदाहरण है।
Jagdamba
- Author Name:
Ravindra Bharti
- Book Type:

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Description:
रवीन्द्र भारती का उपन्यास ‘जगदम्बा’ हिन्दी कथा-साहित्य के मौजूदा ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ ‘हृदय की बात’ की मानिन्द है। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर भारत का आँचलिक जनजीवन जिस गहरी आत्मीयता, सूक्ष्मता तथा संगीतमय भाषा के साथ इस उपन्यास में अभिव्यक्त हुआ है, वह इधर के दिनों में दुर्लभ से दुर्लभतर होता गया है। लेकिन जो बात इस उपन्यास को खास बनाती है वह है उन दारुण स्थितियों का विश्वसनीय उद्घाटन जिनकी टीस स्थानीय बोली-बानी, आस्था-अन्धविश्वास और तमाम चीज-बतुस के संक्रामक आकर्षण के बावजूद, पाठक गहरे महसूस करता है।
इस उपन्यास में ऐसी स्त्रियाँ आती हैं जो अपने बनाए आकाश में उड़ना चाहती हैं। लेकिन उन्हें उड़ना पड़ता है मर्द के बनाए आकाश में। उन्हें अपने आकाश में उड़ने की आज़ादी नहीं। उड़ेंगी तो पतुरिया कहलाएँगी। इससे बात न बने तो देवी कहकर, जगदम्बा करार देकर उनके पंख तोड़ दिए जाएँगे। उपन्यास सवाल उठाता है— इनसान कोई बाँधने की चीज है? और, जवाब भी देता है—दरअसल जानवर भी बाँधने की चीज नहीं है मगर, आदमी अपने स्वार्थ में क्या नहीं करता! न हाथ बाँधने की चीज है, न मन। जहाँ कहीं बन्धन की गाँठ पड़ेगी, वह दिखे न दिखे, इनसान कुम्हला जाता है।
यहाँ हम मर्द के साथ सोने से इनकार करने पर जगदम्बा बना दी जाने वाली एक स्त्री को, समाज और परिवार ने मुक्ति की जो स्थापना दी है, उससे अलग, नई राह पर कदम बढ़ाते देखते हैं जो उसने खुद चुनी है। वह किसी मिथ जैसी मालूम पड़ती है; लेकिन वह यथार्थ है, वर्तमान में भविष्य की दिशासूचक! उपन्यास में हमें ऐसे अनेक किरदार मिलते हैं। मसलन चटपट और खटपट जो भले ही अनगढ़, गंवार लगते हैं लेकिन अन्याय को समझने और उसका प्रतिकार करने की अपनी सहज वृत्ति के कारण अलग से ध्यान आकर्षित करते हैं। बागुन बाबा, नकछेदी, सिस्टर क्रेजी भी ऐसे ही अनूठे किरदार हैं।
वस्तुतः आँचलिक उपन्यास का यह नया आख्यान है जो न केवल बेहद पठनीय है बल्कि संग्रहणीय भी है।
Bhartrihari : Kaya Ke Van Mein
- Author Name:
Mahesh Katare
- Book Type:

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Description:
राजा भर्तृहरि, प्रेमी भर्तृहरि, कवि भर्तृहरि, वैयाकरण भर्तृहरि और योगी भर्तृहरि। उनके आयाम, समय और देश का अपार विस्तार। भर्तृहरि के जीवन में एक ओर प्रेम और कामिनियों के आकर्षण हैं तो दूसरी ओर वैराग्य का शान्ति-संघर्ष। वह संसार से बार-बार भागते हैं, बार-बार लौटते हैं। इसी के साथ उनके समय की सामाजिक, धार्मिक उथल-पुथल भी जुड़ी है।
भर्तृहरि का द्वन्द्व सीधे गृहस्थ व वैराग्य का न होकर तिर्यक है। विशेष है। वह इसलिए कि वे कवि हैं, वैयाकरण भी। सुकवि अनेक होते हैं तथा विद्वान भी लेकिन भर्तृहरि जैसे सुकवि और विद्वान एक साथ बिरले ही होते हैं।
सुपरिचित कथाकार महेश कटारे का यह उपन्यास इन्हीं भर्तृहरि के जीवन पर केन्द्रित है। इस व्यक्तित्व को, जिसके साथ असंख्य किंवदन्तियाँ भी जुड़ी हैं, उपन्यास में समेटना आसान काम नहीं था, लेकिन लेखक ने अपनी सामर्थ्य-भर इस कथा को प्रामाणिक और विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया है। भर्तृहरि के निज के अलावा उन्होंने इसमें तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक परिस्थितियों का भी अन्वेषण किया है। उपन्यास के पाठ से गुज़रते हुए हम एक बार उसी समय में पहुँच जाते हैं।
भर्तृहरि के साथ दो बातें और जुड़ी हुई हैं—जादू और तंत्र-साधना। लेखक के शब्दों में, ‘मेरा चित्त अस्थिर था, कथा के प्रति आकर्षण बढ़ता और भय भी, कि ये तंत्र-मंत्र, जादू-टोने कैसे समेटे जाएँगे? भाषा भी बहुत बड़ी समस्या थी कि वह ऐसी हो जिसमें उस समय की ध्वनि हो।’
Snowflakes of Love
- Author Name:
Milan Modi +1
- Book Type:

- Description: Tender is the winter night, a walk in the Moonlight; they fell from the sky all shimmery and glittery, they fell for each other slowly yet suddenly; the warmth of love melts the heart, and just like a snowflake, love's a piece of art. Every snowflake has a unique charm. Don't you think every love story has to? Read "snowflakes of love", A collection of 13 short stories and six poems to fall in love, differently, all over again.
Loktantra, Rajneeti Aur Dharma
- Author Name:
A. Surya Prakash
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार श्री ए. सूर्य प्रकाश के विगत अनेक वर्षों के दौरान प्रकाशित उनके लेखों का संग्रह है। उनके अधिकांश लेखों में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विषयों का उल्लेख रहता है, जो एक लंबी अवधि के दौरान सामने आए और भारत की राजनीति एवं शासन को प्रभावित किया। संविधान की कार्यप्रणाली और आजादी के बाद से ही लोकतंत्र के विस्तार में उनकी विशेष अभिरुचि रही है। इस कारण ही इस पुस्तक में ऐसे अध्याय शामिल हैं, जिनमें संवैधानिक विषयों, संसद की कार्यप्रणाली, न्याय-प्रणाली, कार्यपालिका और मीडिया की विशेष रूप से चर्चा की गई है। लेखक का मत है कि ऐतिहासिक तथ्यों को नकारना नेहरूवादी और मार्क्सवादी विचारधारा के लोगों का शौक रहा है। इन लोगों की ओर से लाई गई विकृतियों को वर्तमान राष्ट्रीय राजनीति के दौर में चुनौती दिए जाने और ठीक किए जाने की जरूरत है। इसकी झलक उनके लेखों में भी मिलती है, जिनमें धर्मनिरपेक्ष बनाम छद्म-निरपेक्ष की लगातार जारी बहस के साथ ही इस विषय पर छिड़े संग्राम की चर्चा है कि क्या राष्ट्रवादी है और क्या राष्ट्रविरोधी। किसी भी सूरत में, चाहे मुद्दा कोई भी हो, और बहस कितनी ही भीषण क्यों न हो, उनका मानना है कि यह सबकुछ संविधान के दायरे में ही होना चाहिए।
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