
Panchami
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
174
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
348 mins
Book Description
इधर दो वर्षों से नवीन तारकों के सदृश जितने कवि हिन्दी के काव्याकाश में चमकते हुए दीख पड़े, सौन्दर्य के सुख-स्पर्श आदी से जिन्होंने मन को वशीभूत कर लिया तथा प्रकाश और दृष्टि दी, श्री गोपाल सिंह नेपाली उन्हीं में से एक हैं। मुझे उनके काव्य में शक्ति, प्रवाह, सौन्दर्य-बोध तथा चारु चित्रण एक विशेषता लिये हुए दीख पड़े।...उनमें साहित्य की एक प्रखर प्यास है, जिसके बुझने पर उनकी जाति तथा साहित्य का कल्याण निर्भर है।</p> <p>—सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’</p> <p>गोपाल सिंह ‘नेपाली’ की सरस्वती स्नेह, सहृदयता और सौन्दर्य की सजीव प्रतिमा है।</p> <p>—सुमित्रानन्दन पन्त</p> <p>श्री गोपाल सिंह नेपाली’ हमारे रस सिद्ध कवि और जनता के हृदयहार।</p> <p>—रामधारी सिंह ‘दिनकर’</p> <p>गोपाल सिंह ‘नेपाली’ ...हिन्दी भारती की वीणा का एक तार...प्रवाह समता, भाषा की सरलता, भावों की रागात्मकता उनकी हर रचना में देखी जा सकती है। हिन्दी कविता को जनमानस तक पहुँचाने में उनका अद्वितीय योगदान है।</p> <p>—हरिवंशराय बच्चन</p> <p>नेपाली जी की रचनाओं में सहजता और व्यंजना का अद्भुत संयोग देखने को मिलता है।</p> <p>—नरेन्द्र शर्मा