
Jahalat Ke Pachas Saal
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
428
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
856 mins
Book Description
श्रीलाल शुक्ल के रचना संसार की सबसे बड़ी शक्ति है—व्यंग्य। शायद ही कोई दूसरा लेखक हो जिसने व्यंग्य का इतना विपुल, विविध और बहुआयामी उपयोग किया हो। ऐसे अद्वितीय लेखक श्रीलाल शुक्ल के लगभग सभी व्यंग्य निबन्धों का संग्रह है—'जहालत के पचास साल’। इस तरह देखें तो इस पुस्तक का प्रकाशन हिन्दी जगत में एक महत्त्वपूर्ण घटना तो है ही, यह एक अति विशिष्ट लेखक श्रीलाल शुक्ल के व्यंग्य की दुनिया को भली-भाँति जानने, समझने और उसमें सैर करने का दुर्लभ अवसर भी जुटाता है। 'जहालत के पचास साल’ की रचनाएँ आधुनिक भारत के महान से महान व्यक्तियों, संस्थाओं, अवधारणाओं, घोषणाओं, नारों की भी गल्तियों को नहीं बख्शतीं। समाज, सभ्यता और संस्कृति के किसी भी हिस्से की चूक पर श्रीलाल शुक्ल के व्यंग्य की बेधक मार के निशानों से भरी पड़ी है यह किताब। यह कहने में हर्ज नहीं कि यदि आ$जादी के बाद के भारत का असली चेहरा देखना हो तो वह समाजशास्त्र और पत्रकारिता से भी ज्यादा प्रामाणिक और चाक्षुष दिखेगा 'जहालत के पचास साल’ में। 'जहालत के पचास साल’ की रचनात्मक उत्कृष्टता का एक स्रोत यह है कि इसके व्यंग्य और हल्के-फुल्केपन के पीछे श्रीलाल शुक्ल का गहन अध्यवसाय, समय की सच्ची समझ और मनुष्यता के प्रति गहरे सरोकार का बल सक्रिय रहता है। इस संग्रह की रचनाएँ औसत समाज और औसत व्यंग्य-लेखन—दोनों को—कड़ी चुनौती देती हैं और फटकार लगाती हैं। संक्षेप में कहा जाए तो 'जहालत के पचास साल’ में भारतीय सत्ता और समाज की कारगुजारियों से सीधी भिड़ंत है। इस लड़ाई में भाषा के लिए एक से बढ़कर एक अमोघ अस्त्र तैयार करते हैं श्रीलाल शुक्ल।