Aapsi Madad - Hard Back
Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Management0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Unavailable
पशु-जगत में हमने देखा है कि अधिकांश प्रजातियाँ सामाजिक जीवन जीती हैं तथा साहचर्य उनके लिए संघर्ष का सर्वोत्तम हथियार है तथा यह संघर्ष डारविन के भावानुरूप केवल अस्तित्व-रक्षा के लिए नहीं, बल्कि प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों के विरुद्ध होता है। इस प्रकार उन्हें जो पारस्परिक सुरक्षा उपलब्ध होती है, उससे उनकी दीर्घायु तथा संचित अनुभव की सम्भावना तो बढ़ती ही है, उनका उच्चतर बौद्धिक विकास भी होता है तथा प्रजाति का और अधिक विस्तार भी होता है। इसके विपरीत अलग-थलग रहनेवाली प्रजातियों का क्षय अवश्यम्भावी होता है। जहाँ तक मनुष्य का सवाल है, पाषाण-युग से ही हम देखते हैं कि मनुष्य कुनबों और कबीलों में रहता है; कुल-गोत्रों और जनजातियों में देखा जा सकता है कि किस प्रकार उनमें सामाजिक संस्थानों की एक व्यापक शृंखला पहले से ही विकसित है; और हमने देखा कि प्रारम्भिक जनजातीय रीति-रिवाजों तथा व्यवहार ने मनुष्य को उन संस्थानों का आधार दिया जिन्होंने प्रगति की प्रमुख अवस्थिति का निर्माण किया। विश्वविख्यात लेखक प्रिंस पीटर एलेक्सेयेविच क्रोपोत्किन की इस अत्यन्त चर्चित कृति में यह दर्शाया गया है कि आपसी सहयोग की प्रवृत्ति जो मनुष्य को सुदीर्घ विकास-क्रम के दौरान उत्तराधिकार स्वरूप प्राप्त हुई, उसका हमारे आधुनिक व्यक्तिवादी समाज में भी अत्यन्त महत्त्व है। विश्व की महानतम कृतियों में शुमार यह कृति हमेशा ही समाजवैज्ञानिकों और विचारकों की दिलचस्पी का विषय रही है। आज भी इस पुस्तक की लोकप्रियता उतनी ही है जितनी लगभग एक सदी पहले थी, जब यह पहली बार पाठकों के सामने आई थी।
ISBN: 9788126719259
Pages: 196
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: कूड़ा-कबाड़ जैसी कोई चीज इस दुनिया में है ही नहीं। अगर कुछ कूड़ा-कबाड़ है तो हमारी सोच के चलते। या है कि हम जिन चीजों के इस्तेमाल के बारे में सोच नहीं पाते, उसे बेकार समझ लेते हैं, कूड़ा समझ लेते हैं। हमें उनका इस्तेमाल करना नहीं पता, इसलिए उन चीजों को फेंकना शुरू कर देते हैं। आज बहुत कम लोग हैं, जो दवा-दारू की खाली शीशियाँ और बोतलें फेंकते हैं। लोहे और धातुओं से बने सामान अगर खराब भी हो जाएँ तो ज्यादातर लोग उसे कूड़ेदान में नहीं फेंकते। नालों में नहीं फेंकते। यों? योंकि सबको शीशे और धातुओं की कीमत का अंदाजा है। जिन्हें ज्यादा नहीं पता, वे भी जानते हैं कि कबाड़ी वाला शीशी-बोतल और लोहा-लकड़ अच्छे दाम पर खरीद लेता है। लेकिन ऐसा हम पॉलीथिन, प्लास्टिक की बोतलों, बाल या घरेलू कचरे के बारे में नहीं सोचते, योंकि हमें पता ही नहीं कि इनका भी बहुत कुछ इस्तेमाल हो सकता है। यह इनसानी फितरत का मामला है। हर कोई आसान काम करना चाहता है, जिसमें जोखिम न हो, जबकि हर कोई यह ज्ञान भी बाँटता रहता है कि ‘नो रिस्क, नो गेन’। प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल-डीजल बनाने में भी यही मानसिकता आड़े आ रही है। तकनीक मौजूद है, लेकिन उस तकनीक का इस्तेमाल करने का इरादा नदारद है। यह पुस्तक ‘वेस्ट टु वैल्थ’ यानी कूड़े से धन अर्जित करने के व्यावहारिक तरीके बताती है।
Change Management Aspects
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Change management is an essential aspect of any business or organization. It involves the process of understanding, planning, and implementing changes in order to improve the overall performance and effectiveness of a company. Change management can be used to address various issues including organizational structure, processes, culture, technology implementation and customer service. The book “Change Management Aspects” by Dr. Sanjay Rout provides readers with a comprehensive look at how change should be managed within an organization in order to ensure success and growth over time. The book covers topics such as establishing goals for change initiatives; developing strategies for managing resistance; creating effective communication plans; assessing risks associated with changes; monitoring progress during implementation stages; evaluating outcomes after completion of projects etc., which provide readers with valuable insights on how they can successfully implement change within their own organizations or businesses.. Overall this book is highly recommended for anyone who wants to understand more about successful change management techniques that will help them achieve better results from their efforts while reducing risks associated with making major modifications within their organizations or businesses . This detailed guide also includes case studies from real-world scenarios so readers have a better understanding on what works best when it comes to introducing new ideas into existing structures without causing too much disruption along the way
Management Mantra
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

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Description:
कॉरपोरेट की नई दुनिया में एक सन्तुलित प्रबन्धन शैली अपनाना आज बहुत ज़रूरी हो गया है, ताकि उससे जुड़े लोगों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल भी हो सके, और उन्हें उनके योगदान का सन्तोषजनक फल भी प्राप्त हो, और इस सबके साथ कॉरपोरेट निकाय का समग्र विकास भी सम्भव हो।
यह पुस्तक इसी के लिए कुछ साधारण लेकिन अत्यन्त मूल्यवान गुर बताती है। पुस्तक की आधारभूत मान्यता है कि सम्पत्ति-निर्माण का कार्य मानवीय मूल्यों को नज़रअन्दाज़ करके नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए। कर्ता अपने कर्तव्य को पहले समझे, जिसके तहत ज़रूरी है कि उस समय निकाय का नेतृत्व अपना सब कुछ हासिल कर लेता है, तब उसकी मनोवृत्ति दूसरों के हित की ओर जानी चाहिए। यानी किसी भी प्रकार की प्रगति को केवल अपने तक सीमित नहीं रखना चाहिए। एक नीति निर्धारित करें, जिसका आधार परहित हो। जो अपने सहयोगियों की सुरक्षा की गारंटी दे, दूसरों की ग़लतियों को भूलकर आगे बढ़े और सह-अस्तित्व को अपनी कार्यशैली की पहचान बनाए।
ऐसी ही कुछ आवश्यक बातों को इस पुस्तक के लेखक ने सरल ढंग से, उदाहरणों-क़िस्सों की मदद से समझाते हुए क्रमश: संकलित किया है। विशेष उल्लेखनीय यह है कि लेखक स्वयं एक सफल प्रबन्धक रहे हैं, और यह सब उन्होंने व्यवहारत: आज़माया है।
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