Pramod
Author:
Chitra SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Unavailable
जीवन का हर पल यदि इस भाव से जिया जाए, जैसे वही अन्तिम पल हो, तो जीवन की सार्थकता बढ़ जाती है। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जब कुछ लोगों ने जीवन को इसी भाव से जिया और समाज पर गहरी छाप छोड़ गए। यह कृति आत्मकथ्यात्मक शैली में लिखा गया एक ऐसा उपन्यास है, जिसे लेखिका ने 30 वर्षों के निजी अनुभवों और भावनाओं के निचोड़ की स्याही से लिपिबद्ध किया है। बेहद प्रवाहमय और भावपूर्ण शब्दांकन के इस ताने-बाने में आपको कई चित्रों में अपने जीवन के ही ऐसे परिचित अक्स नज़र आएँगे जो आपको संघर्षों से उबरने और धीरज के साथ हर समस्या को सुलझाने की प्रेरणा देंगे।</p>
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ISBN: 9788183614221
Pages: 263
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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यह धर्म-कर्म के बल पर अन्तत: स्वर्ग पहुँच गए आदमी की कथा है। वही धर्म-कर्म जिससे हम सब परिचित हैं, यानी अपने स्वार्थों की अमानवीय होने की हद तक हिफ़ाज़त करते हुए पूजा-पाठ का अटूट पालन; आदमी भी वही जिसे हमने अपनी 'सबसे प्राचीन सभ्यता' के काई-शैवाल को छानकर निकाला है, यानी अन्तर्तम से निहायत धर्मविरोधी एक 'धार्मिक' और ईश्वर-आस्था को भौतिक प्राप्तियों के लिए इस्तेमाल करनेवाला एक चालाक प्राणी। और स्वर्ग भी वही जिसकी कामना हिन्दू धर्म के चार पुरुषार्थों में गिनी जाती है।
इस उपन्यास के बहाने विष्णु नागर ने स्वर्ग, मनुष्य और धर्म—इन तीनों की व्याख्या की है। साथ में उस समाज की भी जिसे हमने नरक के सतत भय, ईश्वर की सर्वव्यापी मौजूदगी और तैंतीस करोड़ देवताओं की निरन्तर निगहबानी के बावजूद सफलतापूर्वक रचा। एक स्वभक्षी समाज। उपन्यास के नायक गेंदमल जी स्वर्ग में भी उसी समाज को ढूँढ़ने और बनाने की कोशिश करते हैं और भारतवर्ष की महान परम्पराओं की लाज रखते हुए बनाने में सफल भी होते हैं। यही नहीं, वहाँ के अधिपति का पद प्राप्त करते हैं।
विष्णु नागर ने कवि के रूप में सामाजिक और मानवीय सरोकारों की जो सहज व्याप्ति सम्भव की है, वही उनकी व्यंग्य कथाओं भी अन्यतम विषेषता है। इस उपन्यास में उन्होंने उसे एक बड़े कैनवस पर साधा है। धर्म और ईश्वर, और इनकी सामाजिक राजनीति हमेशा विष्णु जी का प्रिय विषय रही है। इस उपन्यास में उन्होंने इसका पूरा पाठ पेश किया है।
Dhoday Charitmanas
- Author Name:
Satinath Bhaduri
- Book Type:

- Description: आधुनिक भारतीय कथा - साहित्य में कहानी कहना बंगाल की कला है । प्रस्तुत रचना इस मान्यता का एक अच्छा उदाहरण है । धीरोदात्त नायक यहाँ नहीं है । है तो ढोड़ाय , जैसा मामूली नाम तैसा चरित , ततमा लोगों के पूरे सामाजिक संदर्भ में , जहाँ ' पक्की ' ( यानी पक्की सड़क ) आधुनिक जीवन और बाहरी तत्त्व को प्रतिकित करती है । यह ' पक्की ' ही पूरे उपन्यास को आदि से अंत तक जोड़े हुए है । जिस समाज में महज पक्की सड़क नयी रोशनी का प्रतीक हो , उसे आधुनिक संदर्भों में जोड़ना रचनात्मक और वैचारिक दोनों स्तरों पर ' कितना कठिन है , यह आसानी से समझा जा सकता है । पर प्रख्यात बंगला कथा - शिल्पी सतीनाथ भादुड़ी ने कलात्मक धीरज के साथ इस जोड़ को साधा है । यों एक बड़े कालगत अंतराल को कथाकार ने अपनी संवेदना से पूरा किया है । प्रसिद्ध बंगला उपन्यास ' ढोड़ाय चरितमानस ' हिंन्दी में प्रकाशित होने के पूर्व ही यहाँ विस्तृत चर्चा का विषय बना रहा है । तब हिंदी पाठक के मन में उसको लेकर अतिरिक्त उत्सुकता का होना स्वाभाविक है । ' मैला आँचल ' हिंदी के समकालीन क्लैसिकों में है । उसका मूल नक्शा यहाँ देखा जा सकता है , जिसे हिंदी के उपन्यासकार ने अपने ढंग से समृद्धतर किया है । यों हिंदी की आंचलिक कथा - धारा का एक स्रोत है । ' ढोड़ाय चरितमानस ' । इस दृष्टि से सामान्य से सामान्य पाठक और विशिष्ट से विशिष्ट शोधकर्ता के लिए यह कथा - कृति रोचक और उपयोगी सिद्ध होगी ।
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