Sapnon ka Ped

Sapnon ka Ped

Authors(s):

Krishna Kumar

Language:

Hindi

Pages:

219

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

438 mins

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Book Description

कई बार कुछ चीज़ें, हमारे जीवन में बिना कोई प्रश्न खड़ा किए, पूरी मासूमियत और स्वाभाविकता से आकर शामिल हो जाती हैं, हम देख भी नहीं पाते कि उन्होंने हमारे साथ क्या किया, कृष्ण कुमार अक्सर इन्हीं चीज़ों की आवाजाही को पकड़ते हैं, और एक ऐसी सुथरी, संयत, पारदर्शी और अभिव्यक्तिशील भाषा में उन्हें अंकित करते हैं कि फ़ौरन ही उनसे सहमत न हो पाने की कोई गुंजाइश नहीं रहती।</p> <p>कृष्ण कुमार विख्यात शिक्षाशास्त्री और समकालीन भारतीय समाज के ‘कैलाइडोस्कोप’ को गहरी और विश्वसनीय संलग्नता, और उतनी ही वस्तुनिष्ठता के साथ देखनेवाले गद्यकार हैं। इस पुस्तक में सम्मिलित हर आलेख उनकी चिन्ता और सरोकार की इन विशेषताओं का साक्षी है। प्रकृति, नगर, राज्यसत्ता और व्यापार जगत से लेकर उनकी दृष्टि तितलियों, खिलौनों, साइकिलों, कारों और तरह–तरह के काम करते लोगों तक जाती है। और हर जगह जहाँ वे देखते हैं, चीज़ें अपनी सम्पृक्ति और अलगाव, दोनों के साथ हमें पूरी–पूरी दिखाई देती हैं। उनका बहुपरतीय सत्य, उनके होने के सीधे और टेढ़े अभिप्राय, सब हमारे सामने खुल जाते हैं।</p> <p>यह पुस्तक उन पाठकों के लिए अनिवार्य है जो अपने सामाजिक होने को एक दिशा देना चाहते हैं, और उनके लिए भी जिन्होंने काफ़ी समय से किसी उम्दा गद्य को नहीं पढ़ा।

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