
Atar
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
144
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
288 mins
Book Description
प्रत्यक्षा की कहानियाँ अपने पूरे रचाव में जाड़े की गुनगुनी धूप-सी मालूम पड़ती हैं—जो जलन या चुभन पैदा नहीं करतीं, मगर त्वचा को ऊष्मा से भरती जाती हैं, इतने करीने से कि आप खुले से उठकर छाँव में जाना ही नहीं चाहते। उनकी गरमाई आपको देर तक, दूर तक महसूस होती है।</p> <p>पात्रों की पृष्ठभूमि चाहे जो हो, परिवेश चाहे जैसा हो, वे अपनी हरेक कहानी में, धागा-दर-धागा इस कौशल से जोड़ती हैं कि अपनी परिणति तक पहुँचते-पहुँचते वह ऐसी कसीदाकारी बन जाती है, जिसके तमाम बेल-बूटे सजीव हो उठते हैं।</p> <p>इन कहानियों में एक ख़ास तरह का धीमापन है, इसकी वजह ये है कि वे दृश्य के दायरे में आनेवाली छोटी-से-छोटी चीज़ को भी अनदेखा नहीं छोड़ देतीं। इसी तरह पात्रों के व्यवहार-व्यापार और मन:स्थितियों को भी शब्दों के जरिये प्रत्यक्ष करती चलती हैं। दृश्य और अदृश्य को सम्पूर्णता में उकेरने का यह धीरज जैसा प्रत्यक्षा के पास है, वैसा अन्यत्र कम ही मिलता है।