Gopal Bhand Ki Anokhi Duniya

Gopal Bhand Ki Anokhi Duniya

Authors(s):

Ashok Maheshwari

Language:

Hindi

Pages:

148

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

296 mins

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Book Description

प्राचीन काल में बंगाल में एक राज्य था—कृष्णनगर। इस राज्य के लोग शान्ति-प्रिय थे। कला-संस्कृति के प्रति इस राज्य के लोगों का गहरा लगाव था। कृष्णनगर पर ऐसे तो अनेक शासकों ने राज्य किया किन्तु जो प्रसिद्धि राजा कृष्णचन्द्र राय ने पाई, उसकी अन्य किसी से तुलना नहीं की जा सकती। राजा कृष्णचन्द्र राय सहृदय प्रजापालक, हास-परिहास में रुचि लेनेवाले न्यायप्रिय शासक थे। उनके शासनकाल में कृष्णनगर की प्रजा हर तरह से सुखी थी क्योंकि राजा कृष्णचन्द्र राय प्रजा के दु:ख से दु:खी, प्रजा के सुख से सुखी होते थे। आमोदप्रिय होने के कारण महाराज कृष्णचन्द्र राय के दरबार में विभिन्न कलाओं के विद्वानों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त था, उनके दरबार में गोपाल नाम का एक युवक ‘विदूषक’ के रूप में शामिल किया गया। गोपाल की तीव्र मेधाशक्ति, वाक्पटुता और परिस्थितिजन्य विवेक से कार्य करने की विशिष्ट क्षमता ने जल्दी ही उसे राजा कृष्णचन्द्र राय के दरबार का ख़ास अंग बना दिया। विचित्रतापूर्ण सवालों को हल करने में गोपाल की चतुराई काम आती थी। इस कारण अपने जीवनकाल में ही गोपाल किंवदन्‍ती बन गया था। आज भी बंगाल के गाँवों में लोगों को गोपाल भाँड़ की चुटीली कहानियाँ कहते-सुनते देखा जा सकता है। इन कहानियों में व्यंग्य है, हास्य है, रोचकता है, चतुराई है, न्याय है और है सबको गुदगुदा देनेवाली शक्ति।

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