
Ugratara
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
116
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
232 mins
Book Description
नागार्जुन के कथा-चरित्र साधारण होकर भी हमारे समाज के बहुत ही असाधारण हिस्से होते हैं। वे अपने समय और समाज के उन बुनियादी जीवनादर्शों को मूर्तिमान करते हैं, जिनके बारे में जन-साधारण सिर्फ़ सोचते रह जाते हैं और चाहकर भी अपनी चेतना के बंजर में कोई निर्णायक बूटा नहीं उगा पाते। नागार्जुन की ‘उग्रतारा’ ऐसे ही लोगों को राह दिखाती है। नारी होकर भी वह सामाजिक जड़ताओं से ऊपर है, यही कारण है कि उग्रतारा का अयाचित मातृत्व भी न तो उसे स्वार्थी बना पाता है और न ही कुंठित कर छोड़ता है। वस्तुतः इसमें एक नारी के प्रेम, बेबसी, विशाल-हृदयता और उसके अकुंठ जीवन-संघर्ष का मर्मस्पर्शी चित्रण हुआ है। जीवन के निर्णायक क्षणों में उसकी यथार्थपरक दृष्टि हमें अभिभूत कर लेती है।