Pratinidhi Kahaniyan : Mamta Kaliya
Author:
Mamta KaliyaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
Awating description for this book
ISBN: 9788126726509
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Raghuvir Sahay
- Book Type:

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Description:
रघुवीर सहाय अप्रतिम कवि थे। विचार की ठोस और स्पष्ट ज़मीन पर पैर रखे हुए उन्होंने अपने कवि को एक बड़ा आकाश दिया। जिसे आनेवाले समय में एक शैली बन जाना था। यह नवोन्मेष उनकी कहानियों में भी था, इससे कम लोग परिचित हैं। इस संकलन में उपस्थित उनकी समग्र कथा-सम्पदा के पाठ से हम जान सकते हैं कि कविता में जिस वृहत्तर सत्य को अंकित करने का प्रयास वे करते थे, वह किसी फ़ॉर्म को साधने-भर का उपक्रम न था, अपने अनुभव और उसकी सम्पूर्ण अभिव्यक्ति की व्याकुलता थी जो उन्हें अन्य विधाओं तक भी ले जाती थी।
इस पुस्तक में संकलित उनके कथा-संग्रहों के साथ प्रकाशित दो भूमिकाएँ एक बड़े रचनाकार के बड़े सरोकारों का पता देती हैं, जिनमें एक चिन्ता लेखन के उद्देश्य को लेकर भी है। वे कहते हैं कि मनुष्यों के परस्पर सम्बन्धों को बार-बार जानने और जाँचने की आवश्यकता ही लेखन की सबसे ज़रूरी वजह है। कुछ तत्त्व हमेशा काम करते रहते हैं जिनके राजनीतिक उद्देश्य समता और न्याय के विरुद्ध होते हैं, वे संगठित होकर लेखक द्वारा बताए सत्य को विकृत कर प्रचारित किया करते हैं। लेखक के लिए बार-बार अपने मत को बताना इस आक्रमण के विरुद्ध आवश्यक होता है। रघुवीर सहाय की कविताएँ अपनी काया का निरन्तर अतिक्रमण करते हुए यही कार्य हमेशा करती रहीं; और ये कहानियाँ भी वही करती हैं।
Nalanda Par Giddh
- Author Name:
Devendra
- Book Type:

- Description: मा करो हे वत्स! तुम उस कहानी को देखो कि उसमें विधाओं की कितनी ख़ूबसूरत मिक्सिंग है। उसमें व्यक्ति चरित्र भी है, संस्मरण भी है, कहानी भी है, बहुत कुछ क्रूर धटनाएँ भी हैं, अपनी क्रूरताओं का वर्णन भी है—पत्नी के प्रति और अन्य चीज़ों के प्रति, बच्चे के प्रति बहुत ही ज़बरदस्त वात्सल्य भी है। जैसा उस कहानी में हुआ है, वैसे वात्सल्य का चित्रण तो बहुत कम देखने को मिलता है। इस तरह बहुत सारी गद्य विधाओं को मिलाकर उसने सचमुच कहानी का एक नया रसायन इस शताब्दी के अन्त में ‘क्षमा करो हे वत्स!’ में तैयार किया है। यह कहानी एक प्रस्थान बिन्दु है। चुनौती देती है कि कहानी का ढाँचा तोड़कर कैसे एक नया ढाँचा तैयार किया जा सकता है। —दूधनाथ सिंह देवेन्द्र की कहानी ‘क्षमा करो हे वत्स!’ इत्तेफ़ाक़ ही है कि इस शीर्षक का कभी सॉनेट मैंने लिखा था और बेटे के जन्मदिन पर लिखा था कि ‘क्षमा मत करो वत्स, आ गया दिन ही ऐसा/आँख खोलती कलियाँ भी कहती हैं पैसा।’ वह शीर्षक वहाँ से लिया गया है, इस वजह से नहीं पसन्द है वह। कविता कुछ और कहती है, मेरी व्यथा कुछ और थी। देवेन्द्र की व्यथा उससे बहुत बड़ी व्यथा थी। वह चीज़ छूती है, कहलाती है। वह दर्द है, दु:ख है, लेकिन बड़ा ग़ुस्सा है। एक दूसरी कहानी ‘शहर कोतवाल की कविता’ है। कहानी को पढ़ने के बाद तिलमिला जाता है जी, कि यह वही कोतवाल है जो आज गुजरात में हैं तो आज गुजरात में, ऐसे ही कोतवाल, इंस्पेक्टर और पुलिस कमिश्नर लोग जो तमाम सत्ता के प्रतीक हैं, प्रतिनिधि हैं। जब भी कहानी लिखी जाएगी इसी तरह की कहानी गुजरात के दंगे पर लिखी जाएगी। वह दर्द और दु:ख जहाँ जिन लोगों का है, वह पूरी जमात को जगा देगा, उकसाएगा उसे पीना साँप के समान। —नामवर सि
Panchvan Dasta Aur Saat Kahaniyan
- Author Name:
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- Description: Awating description for this book
Kahaniyan Rishton Ki : Gaon-Ghar
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- Description: हिन्दी में गाँव-घर या जड़ों से लगाव की बहुत सारी कहानियाँ लिखी गई हैं और अभी भी लिखी जा रही हैं; क्योंकि जड़ों से लगाव ही तो देता है जीवन और स्थायित्व। आज जब आभासी यथार्थ ने व्यक्ति को सचमुच के यथार्थ से दूर और जड़ों से अलग कर दिया है, ऐसे समय में इस संचयन की ज़रूरत और ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। हिन्दी कहानी की लोकधर्मी परम्परा का ध्यान रखते हुए चुनी हुई इन कहानियों को पढ़कर हम अपने अतीत की आत्म-मुग्धता के शिकार नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से सजग प्रेम के प्रति जागरूक होते हैं।
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