Sudoor Jharne Ke Jal Mein

Sudoor Jharne Ke Jal Mein

Language:

Hindi

Pages:

155

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

310 mins

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Book Description

‘शैशव के क़रीब बीस-पच्चीस वर्ष बाद मैं रोया था। निर्लज्ज की तरह रो रहा था। मुझे हिचकियाँ आने लगीं।...मैंने खिड़की से दुबारा झाँकने की कोशिश की। ...बाहर सिर्फ़ मेघ ही मेघ। मैं गुम होता जा रहा हूँ। निचाट अकेला!...मार्गरेट, मैं हूँ।...एक बार फिर कहो, हमारा हर पल बेहद आनन्द-भरा था।’</p> <p>अपने आदि और अन्त से बिलकुल बेख़बर, बेपरवाह जीवन-यात्रा के असीम विस्तार में निर्मल जल की झील जैसा चमकता एक बिन्दु, प्रेम का एक अपूर्व अनुभव। नील लोहित जब आकाश में उड़ान भरता है, तो उसकी स्मृति बस यही कुछ अपने साथ ले जाती है। मार्गरेट हमेशा-हमेशा उसके साथ नहीं रह सकती, भले ही उसे उसके ईश्वर से अनुमति भी मिल गई हो। ‘अपने माँ, डैडी, यहाँ तक कि गॉड से भी ज़्यादा, मैं तुम्हें प्यार करती हूँ...मुझे ले लो...’ वह कहती है। लेकिन नील के अन्तस की बेचैनी उसे उस झील के तट पर डेरा डालने की इजाज़त नहीं देती।</p> <p>बांग्ला के विख्यात कथाकार सुनील गंगोपाध्याय की क़लम से उतरी यह प्रेमकथा हमें अपने साथ अमेरिका के एक ख़ूबसूरत अंचल की बड़ी आत्मीय सैर कराती हुई मनुष्य की इच्छाओं, लाचारियों, आवेगों और निराशाओं से भी परिचित कराती है; और प्रेम के प्रति एक गहन आस्था भी जगाती है।

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