Shyam Swapn

Shyam Swapn

Language:

Hindi

Pages:

115

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

230 mins

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Book Description

यह एक विचित्र संयोग ही कहा जाएगा कि जिस अंचल में रहकर बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में गजानन माधव मुक्तिबोध जैसे आधुनिक चिन्तक-कवि ने अपने समय के खुरदुरे और अदम्य यथार्थ के लिए फंतासी की विधि का आविष्कार किया, उसी अंचल के ठाकुर जगमोहन सिंह ने उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त के कुछ बरसों पहले एक पूरा उपन्यास ही फंतासी के रूप में लिखा। हिन्दी में यथार्थ के चित्रण की जो इकहरी परम्परा बाद में लगभग केन्द्रीय बन गई उसमें इस उत्तराधिकार का कोई बोध या स्मृति, दुर्भाग्य से, शेष नहीं है। उपन्यास की गल्पता को हिन्दी में इतनी जल्दी साध लिया गया था और उसे अपनी जातीय परम्परा के अनुकूल भी कर लिया गया था, यह जानना आज के स्मृतिवंचित दौर में रोमांचक है। इस अनोखे गद्य में मध्यकालीन कविता ‘स्वच्छन्द’ है : उस पर सचाई का व्यर्थ का बोझ नहीं है, बल्कि सपने की सहज प्रवाहमयता है। वह खिलता, स्पन्दित, कविसमयों में विन्यस्त ऐसा गद्य है कि विशेषत: आज तो सर्वथा अनन्य लगता है। ‘श्यामास्वप्‍न’ का पुनर्प्रकाशन सचमुच एक साहित्यिक घटना है। शायद इसका एक और साक्ष्य कि कैसे कई मायनों में उत्तर-आधुनिक हमारे यहाँ प्राक्-आधुनिक है।</p> <p>—अशोक वाजपेयी

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