Yayati
Author:
Girish KarnadPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
हर व्यक्ति जैसे दुःख और द्वन्द्व का एक भँवर है और फिर वह भँवर एक नदी का हिस्सा भी है; और यह हिस्सा होना भी पुनः एक दुःख और द्वन्द्व को जन्म देता है। इसी तरह एक शृंखला बनती जाती है जिसका अन्त व्यक्ति की उस आर्त्त पुकार पर होता है कि ‘भगवान, इसका अर्थ क्या है?’ ‘ययाति’ नाटक के सारे पात्र इस शृंखला को अपने-अपने स्थान से गति देते हैं, जैसे जीवन में हम सब। अपनी इच्छाओं-आकांक्षाओं से प्रेरित-पीड़ित इस तरह हम जीवन का निर्माण करते हैं।</p>
<p>राजा ययाति की यौवन-लिप्सा, देवयानी और चित्रलेखा की प्रेमाकांक्षा, असुरकन्या शर्मिष्ठा का आत्मपीड़न और दमित इच्छाएँ, और पुरु का सत्ता और शक्ति-विरोधी अकिंचन भाव—ये सब मिलकर जीवन की ही तरह इस नाटक को बनाते हैं, जो जीवन की ही तरह हमें अपनी अकुंठ प्रवहमयता से छूता है।</p>
<p>अपने अन्य नाटकों की तरह गिरीश करनाड इस नाटक में भी पौराणिक कथाभूमि के माध्यम से जीवन की शाश्वत छटपटाहट को संकेतित करते हुए अपने सिद्ध शिल्प में एक अविस्मरणीय नाट्यानुभव की रचना करते हैं।
ISBN: 9788183618229
Pages: 91
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Karel Čapek
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- Description: क़रीब एक सदी पूर्व लिखित ‘आर.यू.आर.’ ही वह पुस्तक है जिसमें ‘रोबोट’ शब्द पहली बार आया था। चेक भाषा के ‘रोबोटा’ से गढ़े गए इस शब्द का अर्थ बेगार या बँधुआ मज़दूरों से कराया गया काम होता है। लेखक ने इस नाटक में वैज्ञानिक विकास और मानवीय भविष्य के जटिल सम्बन्धों को लेकर जो भविष्यवाणी थी, वह कल्पना के दायरे को पार कर आज यथार्थ बन चुकी है—मानवीय मेधा के समक्ष ज़बरदस्त चुनौती के रूप में रोबोट आज एक वास्तविकता है।
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