Trimurti
Author:
R. S. KelkarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 32
₹
40
Unavailable
यह आज़ादी के कुछ बरसों बाद की दिल्ली है और दिल्ली का सत्ता-तंत्र। स्वतंत्रता के लिए चले लम्बे संघर्ष, अनेक लोगों की क़ुर्बानी के बाद हासिल हुई गद्दियों का निजी स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करते नेताओं, उनके छुटभैयों, टुटपुँजिया व्यवसायियों की कलुष-क्रीड़ा।</p>
<p>र.श. केलकर ने इस छोटे से उपन्यास में जिस दुनिया का चित्र खींचा है, भारतीय लोकतंत्र को उसके बहुत बाद तक भुगतने थे। कौड़ीमल एम.पी. हों, उनके लिए प्राइवेट सेक्रेटरी के तौर पर काम करनेवाली प्रतिभा हो, लाला रामभरोसे हों, या अन्य पात्र, धीर-धीरे इन सबको</p>
<p>व्यक्तियों के बजाय पतन के प्रतीक बन जाना था।</p>
<p>लाइसेंसों, ठेकों, ज्योतिषियों, बिना रीढ़ के बुद्धिजीवियों और धन के परजीवियों की एक पूरी दुनिया इस उपन्यास में हमें दिखाई देती है।</p>
<p>उपन्यास में ख़ास तौर पर देखने लायक़ है—दिल्ली की सड़कों-गलियों-बाज़ारों आदि का विवरण देनेवाली लेखक की भाषा जो एक कैमरे की तरह एक-एक चीज़ का विवरण देती चलती है। शब्द चित्र हो उठते हैं, और लेखक नि:संगतापूर्वक कहानी को उनके बीच से आगे लिए जाता है।
ISBN: 9788180311949
Pages: 129
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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सिंह बनाम राजनेता। मोर बनाम प्रशासक। नाग बनाम पूँजीपति और चूहा बनाम आम आदमी—‘जंगल तंत्रम’ के ये ख़ास घटक हैं। इन्हीं चार जन्तुओं के माध्यम से लेखक ने आज की राजनीति के तहत चलनेवाली लोकतांत्रिक शासन-प्रणाली के जनविरोधी चरित्र को उजागर किया है।
सिंह, मोर और नाग किस तरह अपने-अपने निहित स्वार्थों के लिए पारस्परिक गठजोड़ किए हुए हैं, फ़ैंटेसीनुमा इस उपन्यास से यह बख़ूबी समझ में आ जाता है। चूहा इसे समझता भी है कि इसकी जोड़-तोड़ का असली शिकार तो मैं ही हूँ पर वह इससे उबर नहीं पाता। छोटे-छोटे प्रलोभनों, सुख-सुविधाओं की आस उसे बराबर कमज़ोर बनाए हुए है। संघर्ष के लिए वह खड़ा तो होता है, पर उसी की वर्गीय और परम्परागत दुर्बलताएँ उसकी पीठ का बोझ बनी हुई हैं।
वास्तव में सुपरिचित कथाकार श्रवण कुमार गोस्वामी का यह बहुचर्चित उपन्यास अपनी सार्थक प्रतीकात्मकता और धारदार भाषा-शैली के आद्योपान्त निर्वाह के कारण एक अनूठा प्रभाव छोड़ता है।
Santaronwali Ladki
- Author Name:
Jostein Gaarder
- Book Type:

- Description: महान बाल-साहित्य ‘सोफीज़ वर्ल्ड’ के रचनाकार यॉस्टेन गेर्डर की यह कृति किशोर वय के पाठकों को ध्यान में रखकर संवेदनशील भाषा में एक परिकथा की तरह रची गई है। ग्योर्ग रोएड को सन्तरोंवाली लड़की की कहानी उसकी लाल रंग की बच्चागाड़ी में मिलती है जिसे उसके पिता ने अपनी मृत्यु से कुछ ही दिन पूर्व उसी के लिए लिखा था। दरअसल यह प्रेम से लिखी गई एक गहन प्रेमकथा है जो संवेदना, धैर्य, उत्कंठा के साथ-साथ नैतिक और प्राकृतिक सौन्दर्य के वैभव से बुनी पहेली जैसी लगती है। यह सहज भाषा में लिखी गई एक असाधारण कथा है जो पाठकों को एक रचनात्मक आस्वाद प्रदान करती है। हिन्दीभाषी पाठकों को यह पुस्तक न केवल पठनीय लगेगी, बल्कि वे इसे वर्षों भुला नहीं पाएँगे।
Non Resident Bihari : Kahin Paas Kahin Fail
- Author Name:
Shashikant Mishra
- Book Type:

- Description: ा होता है जब बिहार में किसी भी थोड़े सम्पन्न परिवार में बच्चे का जन्म होता है? उसके जन्मते ही उसके बिहार छूटने का दिन क्यों तय हो जाता है? जब सभी जानते हैं कि मूँछ की रेख उभरने से पहले उसको अनजान लोगों के बीच चले जाना है—तब भी क्यों उसको गोलू-मोलू-दुलारा बना के पाला जाता है? वही ‘दुलारा बच्चा’ जब आख़िरकार ट्रेन में बिठाकर बिहार से बाहर भेज दिया जाता है तब क्या होता है उसके साथ? सांस्कृतिक धक्के अलग लगते हैं, भावनात्मक अभाव का झटका अलग—इनसे कैसे उबरता है वह? क्यों तब उसको किसी दोस्त में माशूका और माशूका में सारे जहाँ का सुकून मिलने लगता है? ‘एनआरबी’ के नायक राहुल की इतनी भर कहानी है—एक तरफ़ यूपीएससी और दूसरी तरफ़ शालू। यूपीएससी उसकी ज़िन्दगी है, शालू जैसे ज़िन्दगी की ‘ज़िन्दगी’। एक का छूटना साफ़ दिखने लगता है और दूसरी किनारे पर टँगी पतंग की तरह है। लेकिन इसमें हो जाता है लोचा। क्या? सवाल बहुतेरे हैं। जवाब आपके पास भी हो सकते हैं। लेकिन ‘नॉन रेज़िडेंट बिहारी’ पढ़कर देखिए—हर पन्ना आपको गुदगुदाते, चिकोटी काटते, याद-गली में भटकाते ले जाएगा एक दिलचस्प अनुभव की ओर
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