Vichar Ka Aina Kala Sahitya Sanskriti : Mahatma Gandhi
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
240
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
480 mins
Book Description
विचार का आईना शृंखला के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय जनमानस को गहराई से प्रभावित किया। इसके पहले चरण में हम मोहनदास करमचन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ और गजानन माधव मुक्तिबोध के विचारपरक लेखन से एक ऐसा मुकम्मल संचयन प्रस्तुत कर रहे हैं जो हर लिहाज से संग्रहणीय है।</p> <p>मोहनदास करमचन्द गांधी ऐसे जननेता हैं जो वैश्विक उपस्थिति रखते हैं। वे भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के ऐसे नायक हैं जिन्होंने इसे जनता का आन्दोलन बना दिया। औपनिवेशिक सत्ता का प्रतिरोध करते हुए उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपनी लड़ाई का केन्द्रीय शिल्प बनाया। उन्होंने साध्य ही नहीं साधन की भी पवित्रता की बात की, बेलगाम उपभोग की संस्कृति का विरोध किया। सत्याग्रही के रूप में विरोधी के प्रति भी किसी तरह की कटुता न रखने की बात कही। अपने समय के शीर्ष लेखकों, चिन्तकों और कलाकारों पर गांधी के विचारों का गहरा असर रहा। वे लोगों से निरन्तर संवादरत रहे और अपने विचारों को मजबूती से रखते रहे। हमें उम्मीद है कि उनके कला, साहित्य और संस्कृति सम्बन्धी लेखन को पढ़ते हुए इस कठिन समकाल से जूझने की अनेक राहें रोशन होंगी।