Aalochak Ke Notes

Aalochak Ke Notes

Authors(s):

Ganesh Pandey

Language:

Hindi

Pages:

206

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

412 mins

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Book Description

‘आलोचक के नोट्स' गणेश पाण्डेय की आलोचना की नई किताब है। उनकी आलोचना अपने समय के साहित्यक परिदृश्य पर एक ज़रूरी हस्तक्षेप है। आलोचना से रचना और रचना से आलोचना का काम लेना लेखक की ख़ूबी है। उनके लिए आलोचना का मतलब पाठकों के भीतर ज़रूरी बेचैनी और सवाल पैदा करना है। इसीलिए अपनी आलोचना में सुन्‍दर कविता बरक्स मज़बूत कविता का सवाल उठाते हैं। वे अपने समय की रचना और आलोचना की दुनिया की निर्मम चीरफाड़ करना साहित्य के सुदीर्घ और स्वस्थ जीवन के लिए ज़रूरी मानते हैं। रचना और आलोचना, दोनों की प्रवृत्तियों और विचलन पर नज़र रखते हैं। यह बताना ज़रूरी है कि कवि के रूप में भी गणेश पाण्डेय एक पल के लिए भी आलोचक के दायित्व से मुक्त नहीं होते। जैसे उनके दिमाग़ में कोई पेंसिल है, आप से आप नोट करती रहती है, कवि और आलोचक की कारस्तानी। उनकी आलोचना हिन्दी की प्रशंसामूलक आलोचना का विकास ऩहीं है। वे आलोचना में उद्धरणों की कबूतरबाज़ी और क़तरनबाज़ी में विश्वास नहीं करतें हैं, बल्कि उसका जमकर विरोध करते हैं, उसे आलोचना की मुंशीगीरी कहते हैं। आलोचना अपने विस्तार में नहीं, कई बार सूत्रों में ज्‍़यादा महत्वपूर्ण होती है। आलोचना में छोटी और लक्ष्य-केन्द्रित टिप्पणियाँ ज्‍़यादा मूल्यवान होती हैं। रचना और आलोचना के कोने-अन्‍तरे में छिपे अँधेरे पर आलोचक की उठी हुई एक उँगली, किसी किताब, लेखकों की किसी पीढ़ी, किसी समूह, किसी सूची की आँख मूँदकर की गई महाप्रशंसा को चीर देती है। पाठक अनुभव करेंगे कि ‘आलोचक के नोट्स’ के लेख और नोट्स उन्हें अपनी तर्कशीलता, सर्जनात्मकता और चुम्‍बक जैसी भाषा से अपना बना लेंगे; ऐसी पठनीयता विरल है।

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