
Sookha Bargad
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
228
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
456 mins
Book Description
सुपरिचित कथाकार मंज़ूर एहतेशाम का यह महत्त्वपूर्ण उपन्यास वर्तमान भारतीय मुस्लिम समाज के अन्तर्विरोधों की गम्भीर, प्रामाणिक और मूल्यवान पड़ताल का नतीजा है और यही कारण है कि इस उपन्यास को हिन्दी की कालजयी रचनाओं में गिना जाता है।</p> <p>सामाजिक विकास के जिन अत्यन्त संवेदनशील गतिरोधों पर क़लम उठाने और उन्हें छूने-भर का साहस भी बहुत कम लोग कर पाते हैं, उन्हें इस उपन्यास में न सिर्फ़ छुआ गया है, बल्कि सबसे बड़े ख़ुदा—इंसान की ज़रूरतों, आशा-आकांक्षाओं और अस्तित्व के सन्दर्भ में उनकी गहरी छानबीन की गई है। धर्म, जातीयता, क्षेत्रीयता, भाषा और साम्प्रदायिकता के जो सवाल आज़ादी के बाद हमारे समाज में यथार्थ के विभिन्न चेहरों में उभरे हैं, उनकी असहनीय आँच इस समूची कथाकृति में मौजूद है।</p> <p>यही सारे सवाल आज भी हमारे आसपास एक ऐसे बरगद की झूलती जड़ें बनकर फैले हुए हैं, जिसके नीचे किसी भी कौम की तरक़्क़ी और ख़ुशहाली असम्भव है। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण है यह जानना कि इस त्रासदी के पीछे किसका हाथ है और इसका हल क्या है? कहना न होगा कि इस प्रश्न का उत्तर देते हैं वे तमाम लोग जो इस समाज में शोषित, पीड़ित, अपमानित और लांछित हैं, लेकिन आज भी टूटे नहीं हैं।