
Krishnavtar : Vol. 3 : Paanch Pandav
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
390
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
780 mins
Book Description
पौराणिक चरित्रों को आधार बनाकर अनेक श्रेष्ठतर आधुनिक उपन्यासों की रचना करनेवाले सुप्रसिद्ध गुजराती कथाकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का भारतीय कथा-साहित्य में अपना एक विशिष्ट स्थान है। अपनी कृतियों में उन्होंने सुदूर अतीत का जो विस्तृत जीवन-फलक प्रस्तुत किया है, वह जितना विराट् है उतना ही आकर्षक, साथ ही वह वैज्ञानिकता की कसौटी पर भी खरा उतरता है।</p> <p>मुंशी जी का ‘कृष्णावतार’ एक वृहत् उपन्यास है—सात खंडों में विभक्त। ‘पाँच पाण्डव’ तीसरे खंड का हिन्दी रूपान्तर है। अन्य खंडों की ही तरह अगर यह परस्पर सम्बद्ध है तो अपने आपमें एक पूरी कथा भी है। पाँचों पाण्डवों के जन्म, विकास और संघर्षों-उपलब्धियों की इस रोचक-रोमांचक गाथा में आर्यावर्त्त के महान नायक श्रीकृष्ण की विलक्षण ऐतिहासिक भूमिका बड़ी कलात्मकता से रेखांकित हुई है। पुराकालीन आर्यों की संघर्षशील गतिविधियों, नागों की अरण्य-संस्कृति और ‘राक्षस’ नाम से पुकारे जानेवाले प्रस्तरयुगीन मानवों की आदिम जीवनचर्या के जीवन्त चित्र इसमें पूरी तरह से मुखर हैं।