Nai Kahani Ki Bhumika

Nai Kahani Ki Bhumika

Authors(s):

Kamleshwar

Language:

Hindi

Pages:

192

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

384 mins

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Book Description

'एक शानदार अतीत कुत्ते की मौत मर रहा है, उसी में से फूटता हुआ एक विलक्षण वर्तमान रू-ब-रू खड़ा है—अनाम, अरक्षित, आदिम अवस्था में। और आदिम अवस्था में खड़ा यह मनुष्य अपनी भाषा चाहता है, आस्था चाहता है, कविता और कला चाहता है, मूल्य और संस्कार चाहता है; अपनी मानसिक और भौतिक दुनिया चाहता है...।'</p> <p>यह है नयी कहानी की भूमिका—इस कहानी को शास्त्र और शास्त्रियों द्वारा परिभाषित करने की जब-जब कोशिश हुई है, कहानी और कहानीकार ने विद्रोह किया है। इस कहानी को केवल जीवन के सन्दर्भों से ही समझा जा सकता है, युग के सम्पूर्ण बोध के साथ ही पाया जा सकता है।</p> <p>नयी कहानी के प्रमुख प्रवक्ता तथा समान्तर कहानी आन्दोलन के प्रवर्तक कमलेश्वर ने छठे दशक के कालखंड में जीवन के उलझे रेशों और उससे उभरनेवाली कहानी की जटिलताओं को गहरी और साफ़ निगाहों से विश्लेषित किया है। साहित्य का यह विश्लेषण बिना स्वस्थ सामाजिक दृष्टि के सम्भव नहीं है।</p> <p>कमलेश्वर की यह पुस्तक इसलिए ऐतिहासिक महत्त्व की है कि यह समय और साहित्य को पारस्परिक समग्रता में समझने की दृष्टि देती है। 'नयी कहानी की भूमिका' अपने समय के साहित्य की अत्यन्त विशिष्ट दस्तावेज़ है; पाठकों, लेखकों और अध्येताओं के लिए अपरिहार्य पुस्तक है।

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