Samay Ke Pass Samay

Samay Ke Pass Samay

Authors(s):

Ashok Vajpeyi

Language:

Hindi

Pages:

80

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

160 mins

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Book Description

प्रेम, मृत्यु और आसक्ति के कवि अशोक वाजपेयी ने इधर अपनी जिजीविषा का भूगोल एकबारगी बदल दिया है : वे कहेंगे बदला नहीं, सिर्फ़ उसमें शामिल कुछ ऐसे अहाते रौशन भर कर दिए हैं जो पहले भी थे पर लोगों को नज़र नहीं आते थे। अपनी निजता को छोड़े बिना उनकी कविता की दुनिया अब कुछ अधिक पारदर्शी और सार्वजनिक है। उसमें अब एक नए क़िस्म की बेचैनी और प्रश्नाकुलता विन्यस्त हो रही है।</p> <p>समय, इतिहास, सच्चाई आदि को लेकर बीसवीं शताब्दी के अन्त में जो दृश्य हाशिये पर से दीखता है, उसे अशोक वाजपेयी अपनी कविता के केन्द्र में ले आए हैं। जुड़ाव-उलझाव के कुछ बिलकुल अछूते प्रसंग उनकी पहली लम्बी कविता में कुम्हार, लुहार, बढ़ई, मछुआरा, कबाड़ी और कुंजड़े जैसे चरित्रों के मर्मकथनों से अपनी पूरी ऐन्द्रियता और चारित्रिकता के साथ प्रगट हुए हैं। उनका पुराना पारिवारिक सरोकार अपने पोते के लिए लिखी गई दो कविताओं में दृष्टि और अनुभव के अनूठे रसायन में चरितार्थ होता है।</p> <p>एक बार फिर अशोक वाजपेयी की आवाज़ नए प्रश्न पूछती, नई बेचैनी व्यक्त करती और कविता को वहाँ ले जाने की कोशिश करती है जहाँ वह अक्सर नहीं जाती है। अब उनका काव्यदृश्य सयानी समझ और उदासी से, सयानी आत्मालोचना से आलोकित है, उसमें किसी तरह अपसरण नहीं है—कवि अपनी दुनिया में अपनी सारी अपर्याप्तताओं और निष्ठा के साथ शामिल है। कविता उसके इस अटूट उलझाव का साक्ष्य है।

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