Namaste Samthar
Author:
Maitreyi PushpaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
कुन्तल ने चाहा था कि एक साहित्यिक संस्था के ज़िम्मेदार पद पर आई है तो साहित्य को समाज की मशाल बनाने का उद्योग करेगी। कुछ ऐसा करेगी कि उस मँझोले शहर का कोना-कोना साहित्य के स्पर्श से स्पन्दित हो उठे। युवा प्रतिभाओं को वह आकाश मिले जो उनका हक़ है, और मनुष्य को वह दृष्टि जिससे मनुष्यों का यह क्षुद्र संसार भी जीने योग्य हो उठता है। लेकिन उसे पता भी नहीं लगा, और जाने कितने तीरों, कितने आरोपों, कितने सवालों की नोक पर उसे रख दिया गया। उसका सपने देखना, वह भी स्त्री होकर, यही उसका अपराध हो गया। राजनीति की सबसे निकृष्ट चालों से लिथड़ा साहित्य-संसार अचानक उसे एक काली कारा जैसा महसूस हुआ।</p>
<p>अकेले बैठकर वह बस सोचती ही रह जाती कि जिन शब्दों से सृष्टि के संताप को व्यक्त करने, आदमीयत की उलझनों को खोलने का काम लिया जाना था, वे संकीर्ण स्वार्थों के हड़ियल हाथों का खिलौना कैसे बन गए, कब और क्यों! मैत्रेयी पुष्पा का यह उपन्यास इन्हीं सवालों से जूझता हुआ, साहित्य और संस्कृति की दुनिया के उन कोनों से परदा उठाता है, जहाँ शब्दों की बाज़ीगरी अपने निकृष्टतम रूप में दिखाई देती है, और जहाँ एक उत्साहसम्पन्न, विज़नरी स्त्री उस यथार्थ से हार-हार कर लड़ती जाती है, जिस यथार्थ को न्याय के पैरोकारों ने अपनी छिछली स्वार्थपरता से गढ़ा है। सुगढ़ भाषा और सान्द्र स्त्री अनुभव से रचा यह उपन्यास हमारे समय के साहित्यिक समाज, राजनीतिक दिग्भ्रम और मर्दाना वर्चस्व से हर जगह लड़ती औरत की समग्र कथा है।
ISBN: 9789390971558
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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‘साहब बीबी गुलाम’ कलकत्ता शहर के बसने, बढ़ने और फैलने का दिलचस्प आख्यान है।
इस उपन्यास के रूप में बांग्ला कथाकार बिमल मित्र ने एक ऐसी कृति प्रस्तुत की है जो अपने आपमें कथाशिल्प का स्थापत्य है। इसमें कोलकाता के बहुरंगी अतीत को उसके विकासशील वर्तमान से जोड़ने का एक सुन्दर और कलात्मक प्रयोग किया गया है।
इस कृति में कथाकार ने उन राजा-रईसों के वैभव-विलास और आमोद-प्रमोद का चित्रण किया है जो कभी आलीशान महलों में बड़ी शान-ओ-शौकत से रहा करते थे। साथ ही इसमें उनके निरीह सेवकों-ग़ुलामों की विवशता का भी हृदयस्पर्शी चित्रण है जो दिन-रात उनकी सेवा में लगे रहते हैं। सामन्ती परिवार का वह भीतरी परिवेश इसमें पूरे प्रभाव के साथ उभरा है जिसमें अपरिमित सुखों के बीच अलग-अलग तरह के दु:ख पलते रहते हैं। पूरी कथा ओवरसियर भूतनाथ की ज़ुबानी सामने आती है जो वर्तमान का संवाहक होकर भी अतीत की यादों में खोया रहता है। अन्तःपुरवासिनी ‘छोटी बहू’ उसके ही मन पर नहीं, पाठकों के मन पर भी छाई रहती है।
Saat Paheliyaan
- Author Name:
Rajeev Pundir
- Book Type:

- Description: हमारे जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं जो हमें समझ नहीं आतीं और हमेशा के लिए एक पहेली बनकर हमारे दिल और दिमाग़ के किसी कोने में सुप्तावस्था में पड़ी रहती हैं । मौका मिलते ही वो फिर से हमारे सामने अपनी बिसात बिछाकर हमें चुनौती देती हैं हल करने के लिए । लेकिन हल फिर भी नहीं निकलता । ऐसी ही कुछ सोती-जागती, हंसती-खेलती, कुछ उदास और कुछ गुमसुम बैठी कहानियों का ये संग्रह आपके सामने प्रस्तुत है – सात पहेलियाँ ।.
Pipal Tole Ke Launde
- Author Name:
Ishan Trivedi
- Book Type:

- Description: एक छोटे-से गाँव का छोटा-सा बैंक है। बस सौ-डेढ़ सौ खाते ही खुले होंगे वहाँ। लेकिन हर महीने की तीसरी तारीख़ को पास ही के एक हाइवे के तीन बड़े कारख़ानों से बहुत सारा पैसा आके यहाँ जमा होता है। सिर्फ़ तीन घंटों के लिए। और इन तीन घंटों में जो होता है उसके पीछे कुछ मील दूर बसे एक क़स्बे की बीस साल लम्बी दास्तान है। वह दास्तान जिसमें बलखाती, उबाल-भरी प्रेम कहानियाँ हैं। वह दास्तान जिसमें बदलती दुनिया के साथ भागते-हाँफते क़स्बाई सपनों का बेमानीपन है। वह दास्तान जहाँ ज़िन्दगी के ख़ालीपन को भरने के लिए रास्ते भी ऐसे चुने जाते हैं जो कहीं नहीं ले जाते। वह दास्तान पीपलटोले के उन तीन लड़कों की है जिनकी आँखों पे ज़िन्दगी ने ऐसा चश्मा चढ़ा दिया है कि उन्हें अपने चारों तरफ़ सब कुछ बस ग़लत होता दिखाई दे रहा है। आगे वही है जो लूट रहा है, तो हम भी क्यों ना लूटें? बैंक डकैती की एक घटना को लेकर लिखी गई यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है। उन अजीब-सी प्रेम कहानियों में भी कल्पना कम है, यथार्थ ज़्यादा जो इसके साथ आप पढ़ेंगे। थोड़े सड़कछाप अन्दाज़ में रुहेलखंडी धज के सा
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