Manush

Manush

Authors(s):

Haku Shah

Language:

Hindi

Pages:

233

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

466 mins

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Book Description

आज एक तरफ़ कला और व्यापार का फ़र्क़ धुँधला पड़ता जा रहा है तो दूसरी तरफ़ कला और राजनीति का : कला परोक्ष क्‍यों, प्रत्यक्ष रूप से भी राजनीति हो चली है। ऐसे सन्दर्भ में हकु शाह की आवाज़, उनका रचना-संसार, उनका व्यक्तित्व किसी दूसरी दुनिया की उत्पत्ति प्रतीत होते हैं। हकुभाई की कला न केवल पूरी व गहरी मानवीय संवेदना से उत्पन्न है, बल्कि वह नित नए तरीक़ों से उस सम्बन्ध को दृश्य और ग्राह्य बनाती जाती है।</p> <p>अपनी लम्बी कला-यात्रा के दौरान, हकुभाई विभिन्‍न रूपों में मिले हैं—कभी गांधी के साथ, कभी</p> <p>गुमनाम कुम्हारों की संगत में, कभी कलाकारों के साथ स्वर मिलाते हुए। अब शब्दों के रूप में हकुभाई शाह का साक्षात्कार हो रहा है—क्या कहने!</p> <p>—आलोक राय

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