Hadapada Appanna-Lingam

Hadapada Appanna-Lingam

Language:

Hindi

Pages:

96

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

192 mins

Buy For ₹300

* Actual purchase price could be much less, as we run various offers

Book Description

ध्यान करना चाहूँ तो क्या ध्यान करूँ।</p> <p>मन तेजोहीन धुँधला पड़ गया था, तन शून्य हो गया था।</p> <p>कायक गुण गल चुका। देह से अहं मिट गया था।</p> <p>अपने आपसे प्रकाश में झूमते मैं सुखी बनी</p> <p>अप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥</p> <p> </p> <p>मन याद कर रहा है।</p> <p>बुरी विषय वासना की ओर मन बहक रहा है।</p> <p>डाली की चोटी की ओर जा रहा है मन</p> <p>मन किसी भी नियम में बँधता नहीं,</p> <p>छोड़ देने पर मन जाता भी नहीं।</p> <p>अपनी इच्छा पर मनमानी करते मन को नियम में बाँधकर</p> <p>लक्ष्य में स्थिर करके शून्य में विहरनेवाले</p> <p>शरणों के चरणों में मैं समा रही</p> <p>अप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥</p> <p>—लिंगम्मा</p> <p> </p> <p>घास-फूस-कचरा निकालकर स्वच्छ किए</p> <p>हुए खेत में कूड़ा-करकट बोनेवाले पागलों की तरह</p> <p>विषय-सुखों के झूठे भ्रम में लोलुप होकर</p> <p>तकलीफ़ में पड़नेवाले मनुष्य कैसे जान सकते</p> <p>महाघन गुरु के स्वरूप को?</p> <p>मरण बाधा में पड़नेवाले आपको कैसे जान सकते हैं</p> <p>बसवप्रिय कूडल चन्नबसवण्णा? ॥</p> <p> </p> <p>भूख मिटाने अन्न स्वीकार करते हैं,</p> <p>विषय के मोह में झूठ बोलते हैं,</p> <p>नए-नए व्यसन में पड़कर</p> <p>भस्म धारण करके सारा विश्व घूमते हैं।</p> <p>इस मिथ्या को छोड़कर, माया के धुँधलेपन को दूर किए बिना</p> <p>नहीं समा सकता हमारा बसवप्रिय कूडल चन्नबसवण्णा॥    </p> <p>—अप्पण्‍णा

More Books from Rajkamal Prakashan Samuh