Mahatirth Ke Kailasbaba

Mahatirth Ke Kailasbaba

Authors(s):

Bimal Mitra

Language:

Hindi

Pages:

284

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

568 mins

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Book Description

तिब्बत की रहस्यमयी भैरवी माताजी के निर्देश पर कैलासबाबा की खोज में मैं गया था चौरासी महासिद्ध श्मशान और फिर पार किया पाप-परीक्षा-पत्थर। पुण्यभूमि शिवस्थल, कैलासनाथ के चरण-कमल में बैठकर चित्ताकाश में पाया था नर्मदा नाम, किन्तु हाय, गँदले मन की स्थिरता के अभाव में उस महासत्य को न जान पाया। इशारा पाने के बावजूद आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में मन में आए उस आकस्मिक विचार को पकड़कर नहीं रख पाया। मेरी राय में ज्ञानगंज के एक भिखारी लामा ही ज्ञानीगुरु थे, जिन्होंने मुझे देखते ही मन्तव्य दिया था कि मेरा मन ही है 'गँदला पानी'। शिवस्थल के स्थान माहात्म्य के प्रभाव में चित्ताकाश के नर्मदा नाम को मैं प्रश्रय न दे पाया। दरअसल सत्य को पकड़कर रखने की क्षमता मुझमें नहीं थी। इसके बाद देखते-देखते गुज़र गए दो साल। मैं भले ही भूल जाऊँ पर काल की पोथी में अंकित था मेरा प्राप्य। सन् 2009 में मिल गया 'दर्शन'—मिट गईं सारी इच्छाएँ। महातीर्थ के वही कैलासबाबा वर्तमान में परमपूज्य कायकल्पी बर्फ़ानी दादाजी हैं। उन्हीं की कृपा से प्रकाशित हुई है यह पुस्तक 'महातीर्थ के कैलासबाबा'।</p> <p>—भूमिका से

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