Jigari
Author:
P. Ashok KumarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
‘जिगरी’ अशोक कुमार का सर्वाधिक चर्चित और पुरस्कृत उपन्यास है, जिसे इन्होंने एक हफ़्ते तक एक मदारी के साथ रहकर उसके पेशे और उसके भालू के स्वाभाव-व्यवहार का अध्ययन करने के बाद लिखा था। ‘अमेरिकन तेलगू एसोसिएशन’ की उपन्यास लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के लिए चुने जाने के बाद इसका यह हिन्दी अनुवाद 2008 में साहित्य अकादेमी की पत्रिका ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ में प्रकाशित हुआ। उपन्यास की लोकप्रियता का यह प्रमाण है कि उस हिन्दी अनुवाद के आधार पर इसके मराठी, पंजाबी, ओड़िया, कन्नड़, बांग्ला, मैथिली आदि भाषाओं के अनुवाद पुस्तकाकार प्रकाशित हुए हैं। बाद में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। अति संवेदनशील कथानक से युक्त इस उपन्यास में एक भालू और एक मदारी की कथा है, जिसमें मदारी की जीविका का आधार बने भालू के हाव-भाव, क्रिया-कलापों, क्रोध, अपनत्व आदि का तथा मदारी के साथ उसके आत्मीय सम्बन्धों का मार्मिक चित्रण किया गया है। यह है तो एक लघु उपन्यास पर सवाल बड़े खड़े कर देता है।</p>
<p>‘वन्य जीव संरक्षण क़ानून’ वन्य प्राणियों के संरक्षण की दिशा में एक स्वागतयोग्य क़दम है। लेकिन यहाँ यह भी सत्य है कि प्राणी और मनुष्य के बीच प्रेम और ममता का ऐसा मज़बूत सम्बन्ध होता है जो क़ानून का उल्लंघन भी लग सकता है। आज जब मानवीय संवेदनाएँ मन्द-दुर्बल पड़ती जा रही हैं, अधिकांशतः औपचारिक मात्र रह गई हैं, यह उपन्यास इन संवेदनाओं को बचाए रखने की आवश्यकता की ओर बरबस हमारा ध्यान खींचता है।</p>
<p>जीवन्त अनुवाद में प्रस्तुत एक अत्यन्त पठनीय उपन्यास।
ISBN: 9788126728473
Pages: 116
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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आलोचकों द्वारा पिछली सदी के दस महत्त्वपूर्ण उपन्यासों में शुमार ‘मित्रो मरजानी’ ने सर्जना के रचनात्मक पाठ की लेखकीय सीमाओं को उलाँघकर मित्रो जैसा एक ऐसा धड़कता पात्र हमें दिया है जो लेखक से अलग और आगे नितान्त अपने होने के बलबूते पर पाठकों और दर्शकों की महापंचायत में दशकों से बना हुआ है। मान लेना होगा कि इस रचना की बुनत में कुछ ऐसा ज़रूर घटित हुआ है जो सर्वसाधारण के चैतन्य में कुछ जगाता है। अपने शब्दों से, अपनी भाषा से कुछ ऐसा कहता है जो नया भी है और पुराना भी। पारिवारिक जीवन का ढका-छिपा नेपथ्य और उसके संवेदन का द्रष्टव्य मित्रो की उपस्थिति के साथ-साथ उसके संवाद की नकोर भाषा में मुखर होता है। गृहस्थ की देहरी पर टिकी स्त्री की पारम्परिक छवि आदिम उत्तेजनाओं से निजात पाने को व्याकुल दीखती है, पर छटपटाहट में ही अपने वजूद में उसे भी खोज रही है जिसे ‘अपने’ में अपना व्यक्तित्व कहते हैं।
प्रसिद्ध ग्राफ़िक कलाकार-चित्रकार नरेन्द्र श्रीवास्तव ने इस पात्र से प्रभावित हो ‘मित्रो मरजानी’ उपन्यास के मूलपाठ को चित्रात्मक वर्णमाला/लिपि में आबद्ध करने का निर्णय लिया और बरसों के परिश्रम से उपन्यास में अंकित मानवीय व्यवहार के विविध मुखड़ों को जिस ध्वनि-चित्रात्मक कौशल और स्फुरण से प्रस्तुत किया है, वह पाठक को उपन्यास की रेखाओं की त्वरित और ऊर्जावान सचित्र लिपि में भारतीय परिवार को पढ़ने और देखने का नया अनुभव देगा।
भारत में किसी पुस्तक की टाइपोग्राफ़िक प्रस्तुति का यह पहला प्रयास है, जो बेशक हिन्दी समाज के पाठकीय अहसास में भी कुछ अभिनव जोड़ेगा।
Honi Anhoni
- Author Name:
Balwant Singh
- Book Type:

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प्रस्तुत पुस्तक में हिन्दी जगत के मूर्धन्य उपन्यासकार बलवन्त सिंह ने मानवीय मनोविज्ञान से युक्त आधुनिक परिवेश में रची-बसी कहानी प्रस्तुत किया है, जो युवा हृदय में हलचल पैदा करने में सक्षम है।
इस उपन्यास में आधुनिक मनोभूमि का विराट चित्र प्रस्तुत किया गया है। जनजीवन के सामाजिक यथार्थ की ऐसी विश्वसनीयता विरल है। इस रचना में संवेदना का सरल प्रवाह विद्यमान है, यह उपन्यास बेजोड़ ही नहीं क्लासिक है जिसे पाठक जब पढ़ना शुरू करेंगे तो अन्त तक पढ़ने को विवश हो जाएँगे।
Shigaf
- Author Name:
Manisha Kulshreshtha
- Book Type:

- Description: विस्थापन का दर्द महज़ एक सांस्कृतिक, सामाजिक विरासत से कट जाने का दर्द नहीं है, बल्कि अपनी खुली जड़ें लिए भटकने और कहीं जम न पाने की भीषण विवशता है, जिसे अपने निर्वासन के दौरान सैनसबेस्टियन (स्पेन) में रह रही अमिता, लगातार अपने ब्लॉग में लिखती रही है। डॉन किहोते की ‘रोड टू ला मांचा’ से कश्मीर वादी में लौटने की, अमिता की भटकावों तथा असमंजस-भरी इस यात्रा को अद्भुत तरीक़े से समेटता हुआ यह उपन्यास विस्थापन और आतंकवाद की कोई व्याख्या या समाधान नहीं प्रस्तुत करता, वरन् आस्था-अनास्था की बर्बर लड़ाइयों के बीच, कुचले जाने से रह गए कुछ जीवट पलों को जिलाता है और ज़मीन पर गिर पड़े उस दिशा संकेतक बोर्ड को उठाकर फिर-फिर गाड़ता है जिस पर लिखा है—भाई मेरे, अमन का एक रास्ता इधर से भी होकर गुज़रता है। शिगाफ़ यानी एक दरार जो कश्मीरियत की रूह में स्थायी तौर पर पड़ गई है, जिसमें से धर्मनिरपेक्षता एक हद तक रिस चुकी है, इस शिगाफ़ को भरने के लिए प्रयासरत है उपन्यास का पत्रकार नायक ज़मान। अमिता और ज़मान जिनका लक्ष्य तो एक है मगर फिर भी दो विपरीत व विषम अतीत से उपजे जीवन-मूल्यों को सहेजते हुए वे कई बार प्रक्रिया तथा प्रतिक्रिया से उलझते हुए आपस में टकराते रहते हैं। अमिता के ब्लॉग, यास्मीन की डायरी, मानव बम जुलेखा का मिथकीय कोलाज, अलगाववादी नेता वसीम के एकालाप के ज़रिए कश्मीर और कश्मीरियत की विदीर्ण व्यथा-कथा को अलग कोण, नए शैलीगत प्रयोगों तथा ताज़गी-भरी भाषा के साथ अपने उपन्यास ‘शिगाफ़’ में अनूठे ढंग से प्रस्तुत कर रही हैं—मनीषा कुलश्रेष्ठ।
Mobile
- Author Name:
Kshama Sharma
- Book Type:

- Description: मोबाइल—मोबाइल गर्ल। ग्लोबल लड़की...। छोटे शहर की लड़कियाँ बड़े शहर में आकर चुनौतियाँ झेलतीं, आगे बढ़तीं, लड़ती-झगड़तीं, ईर्ष्या-द्वेष से दो-चार होतीं, जीवन के रास्ते तलाशतीं...छोटे शहर की लड़कियाँ जिनके पास संसाधन नहीं हैं, आत्मनिर्भरता का विचार तो पनप रहा है, लेकिन नौकरियाँ न के बराबर हैं। इसलिए उन लड़कियों का संघर्ष, चुनौतियाँ और जिजीविषा तथा ख़ुद निर्णय लेने की क्षमता भी बहुत अधिक है। इस सदी की तेज़ी से बदलती दुनिया में यह लड़की भी अछूती कैसे रह सकती है ! इस लड़की के लिए महानगर एक रक्षक की तरह है जो उसे न केवल रोज़ी-रोटी देता है, बल्कि तमाम तरह की बेड़ियों और पिछड़े हुए विचारों से मुक्त करता है। यह उपन्यास इसी आत्मनिर्भर लड़की की कहानी है जिसकी आकांक्षाओं और सपनों के सामने आसमान क्या, पूरा सोलर सिस्टम छोटा है।
Decoy
- Author Name:
Amiya Sen +1
- Book Type:

- Description: A story that depicts the beautiful bond between a father and son. Junaid, a high school student and an aspiring cricket player falls prey to evil intentions when he trusts his close friend to help him achieve his dreams. What happens next? Is the bond between the father and son strong enough to save him from the decoy? Or will Junaid give up? Read on the gripping tale to find out what unfolds.
Aakhiri Kalaam
- Author Name:
Doodhnath Singh
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Description:
यह कथा-कृति उपन्यास की सारी सीमाओं और लालचों को उलट-पुलट देती है। चरित्रों के टकराव से कथा का विकास—यह जो उपन्यास-लेखन की आदत बन चुकी है, यहाँ इस आदत से लगभग इनकार है। फिर भी यह कथा-कृति एक उपन्यास ही है। इसमें गद्य और वृत्तान्त का एक अजब संयोजन है, जहाँ से ढाँचागत वर्जनाएँ समाप्त होती हैं और कथा का विस्तार और खुलापन बातों और विचारों को आमंत्रित करते-से लगते हैं। गद्य और गल्प का एक नया रसायन तैयार होता है जो अपने रस और सुर से अद्भुत पठनीयता पैदा करता है। इस तरह यह उपन्यास गल्प की एक नई, अबाध निरन्तरता का प्रमाण है।
इस उपन्यास में मिथकीय संस्कृति के विश्लेषण की एक पवित्र और निहत्थी छटपटाहट है। मिथक को इतिहास में बदलने की कोशिशों का पर्दाफाश है; विचार, संरचना और संस्कृति पर एकल बहसों का निर्वेद है। इसी के भीतर कहानी के तार बिखरे पड़े हैं। इन्हीं तकलीफ़ों के भीतर से इतिहास के उन सूत्रों को ढूँढ़ने का प्रयत्न है, जो एक मिले-जुले समाज की बुनियाद हैं और जिनको उलट-पुलट देने की बर्बर आहटें इधर चौतरफ़ा सुनाई दे रही हैं। इसी तरह यह उपन्यास अपने समय के संसार की एक चित्र-रचना बनता है। अपने अतीत, इतिहास, मिथक और साहित्य-संस्कृति को उकेरता-उधेड़ता हुआ उसकी एक विस्फोटक और स्तब्धकारी पुनर्रचना सामने रखता है। उन बातों, अर्थों और व्याख्याओं को सामने लाता है, जो उसी में छुपी थीं लेकिन लोग और समाज, संस्कृति और विचार के धनुर्धर उसकी ओर से अक्सर आखें मूँदे रहते हैं।
अन्तत: यह उपन्यास हमारे अतीत और वर्तमान की एक नई ‘पोलेमिक्स' है। इंसाफ़ की इच्छा का एक दुखद-द्वंद्वात्मक संवाद है, जो अपने लोगों और अपनी जनता को ही सम्बोधित है।
ANAND LAHAR
- Author Name:
Ramchandra Dwivedi
- Book Type:

- Description: "यह सृष्टि द्वंद्वमय है। जीवन के प्रत्येक क्रिया-कलाप के साथ सम-विषम भाव जुडे़ हुए हैं। लेखनी या वाणी तो सीमित साधनमात्र है। पद्यमय रचना पाठकों को अच्छी लगती है, अतः तुकांत पदों में रचना होने लगी। हर्ष, आनंद, खुशी, उल्लास, आमोद-प्रमोद, प्रसन्नता के ही पर्याय हैं। आनंद की अनुभूति केवल ठहाके लगाने या मुसकराने से ही नहीं होती। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में खुशी की खोज की जा सकती है। प्रस्तुत पुस्तक में हम व्यावहारिक जगत् के कुछ विषयों का संक्षेप में उल्लेख कर रहे हैं, जो आनंद-प्राप्ति में साधनरूप हैं—हास्य के स्रोत, हँसी का महत्त्व, काल और स्थान, मानव-स्वभाव, श्रम का महत्त्व, सांसारिक संबंध, प्राचीन साधन, सुख की खोज, आशा का बंधन, मन की पहचान, सज्जन-दुर्जन, जड़-चेतन में हास्य, वाणी का महत्त्व, परसेवा, परिश्रम तथा भाग्य, सुख-साधन, जगत्-धर्म, प्रकृति के वरदान, कृत्रिमता, कंप्यूटर-युग आदि। व्यक्ति के उत्थान-पतन से जुड़े ये विचार पठनीय तो हैं ही, संग्रहणीय भी हैं। हर आयु-वर्ग के पाठकों के लिए यह पुस्तक रोचक, ज्ञानवर्धक और आनंददायक है।"
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