Name Not Known
Author:
Sunilkumar LawatePublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
आप विश्वास करें या न करें, लेकिन है यह हक़ीक़त। एक बालक अनाथाश्रम में जन्मा, पला और बड़ा हुआ। उसके माँ-बाप, रिश्तेदार कोई नहीं था। उसका जाति-धर्म, वंश, गोत्र कुछ नहीं था। सिर्फ़ था एक नम्बर, जैसे कारावास में क़ैदी का होता है। वह ‘नेम नॉट नोन’ था।</p>
<p>प्रश्नों से घिरी उसकी ज़िन्दगी में प्रश्नों ने ही उसे पाला-पोसा। प्रश्नों ने ही उसे वयस्क बनाया, समझदार बनाया।</p>
<p>आज वह एक ‘वेलनोन’ सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकार, समीक्षक, वक्ता, अनुवादक, सम्पादक और प्राचार्य के रूप में सुविख्यात है। एक सामाजिक ‘आयडॉल’ बना है।</p>
<p>प्रस्तुत पुस्तक ‘नेम नॉट नोन’ सुनीलकुमार लवटे की आत्मकथा है। सब कुछ होने पर भी कुछ न करने वालों को यह आत्मकथा न सिर्फ़ सक्रिय करती है, अपितु सोचने को भी प्रेरित करती है कि आख़िर मनुष्य में वह कौन-सा रसायन होता है जो उसे सारी प्रतिकूलताओं को परास्त करने की ऊर्जा देता है, जीते-जी मृत्युंजय बनाता है।
ISBN: 9788183612920
Pages: 196
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Maj Gen Suraj Bhatia
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- Description: "बंदा बहादुर ने अपना प्रारंभिक जीवन एक वैरागी के रूप में बिताया। यह लगभग सत्रह वर्ष चला। अधिकांश समय उन्होंने दक्षिण भारत में गोदावरी नदी पर स्थित नंदेड़ नामक नगर में अपने आश्रम में तपश्चर्या करते बिताया। उन्होंने हिंदू शास्त्रों तथा योग एवं प्राणायाम विद्याओं का गहन अध्ययन किया। कुछ लोग मानते हैं कि वे तंत्र विद्या के भी ज्ञाता थे। गुरु गोविंद सिंह ने उन्हें गले से लगाया, उन्हें अमृत छकाकर सिख बनाया, उनका नाम बंदा सिंह बहादुर रखा और उन्हें पंजाब से मुगल राज्य की जड़ें उखाड़ फेंकने की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद उन्होंने पंजाब में मुगलों के शहर, गढ़ और किले आक्रमण करके अपने अधीन करने का कार्यक्रम शुरू किया। बंदा ने ऐलान किया कि वे जमींदारों को हटाकर सभी जमीन खेतिहर गरीब किसानों में बाँटेंगे। महमूद गजनी और मुहम्मद गौरी के दिनों के बाद इतनी सदियाँ बीत जाने के बाद पहली बार उत्तर भारत में किसी गैर-मुसलमानी शक्ति ने एक बड़े और बेशकीमती भू-भाग पर अपना आधिपत्य जमाया। अंततः मुगलों ने बंदा बहादुर को पकड़कर बेडि़यों में डाल लोहे के पिंजड़े में बंद कर दिया गया। हथकडि़यों और पाँव की साँकलों में बंदा को महीनों तक जेल में बंद रख, मुसलमान जल्लादों के हाथों जो अमानवीय यातनाएँ दी गईं, वे अनुमान और कल्पना से परे हैं। वीर, क्रांतिकारी, हुतात्मा, धर्मपारायण, राष्ट्रनिष्ठ वीर बंदा सिंह बहादुर की जाँबाजी और पराक्रम का गौरवगान करती यह पुस्तक हर राष्ट्राभिमानी के लिए पढ़नी आवश्यक है। "
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