Surya Ka Jalavtaran
Author:
Satish JayaswalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Travelogues0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
पूर्वोत्तर भारत की यात्राओं का यह वृत्तान्त-संकलन ‘सूर्य का जलावतरण’ हमें भारतीय राष्ट्र राज्य के उन क्षेत्रों से परिचित कराता है, जो अपने रहन-सहन, बोली-भाषा और संस्कृति के लिहाज से उस उत्तर व मध्य भारत से नितान्त भिन्न हैं, जिसे हम अपनी रोजमर्रा की निगाह से सम्पूर्ण भारत के रूप में देखने के आदी हैं।</p>
<p>इस पुस्तक से गुजरते हुए हमें एक बहु-सांस्कृतिक विराट भारत को जानने का अवसर मिलता है, और अपने उन लोगों को जानने का भी जो धर्म, रीति-रिवाज और वेशभूषा के फर्क के बावजूद भारत को सम्पूर्ण भारत बनाते हैं।</p>
<p>नगालैंड, जो म्यांमार के साथ अपनी सीमा साझा करता है और जहाँ दिन-भर साधारण नगा और बर्मी लोग सीमा के आर-पार अपनी छोटी-छोटी व्यापारिक गतिविधियाँ करते हैं, लेखक ने इस विवरण को बहुत नजदीक से देखकर यहाँ अंकित किया है।</p>
<p>इसी तरह मणिपुर की सीमाएँ भी म्यांमार से गुँथी हैं। असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्किम भी अपनी तमाम विविधता और सौन्दर्य के साथ इस पुस्तक में मौजूद हैं।</p>
<p>इन यात्रा-विवरणों में लेखक ने राजनीतिक विडम्बनाओं को भी नजरन्दाज नहीं किया है, जो इन क्षेत्रों में अकसर गम्भीर रूप लेती रही हैं। मसलन मणिपुर की वर्तमान समस्या।</p>
<p>लेकिन लेखक का खास जोर उस सौन्दर्य पर है जो यहाँ की प्रकृति और जन-जीवन में साक्षात् होता है; एक स्वप्निल सौन्दर्य जिसे हर कोई अपनी आँखों से देखना चाहेगा।
ISBN: 9789360864668
Pages: 214
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Kinnar Desh Mein
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Book Type:

- Description: महा घुमक्कड़ राहुल सांकृत्यायन ने हिमालय के तमाम अंचलों को अपनी आँखों से देखकर उनका परिचय लिखने का निश्चय किया था। उसी निश्चय का एक परिणाम है यह अनूठा भ्रमण-वृत्तान्त— ‘किन्नर देश में’। किन्नर देश से उनका आशय हिमाचल के उस रमणीय भू-भाग से है जो तिब्बत की सीमा पर सतलुज की घाटी में लगभग सत्तर मील की लम्बाई और प्रायः उतनी ही चौड़ाई में फैला हुआ है। यहाँ के प्राचीन निवासियों का ही जाति-नाम है किन्नर अथवा किंपुरुष। उन्हें देवयोनि माना जाता था। इस हिसाब से उनका प्रदेश देवलोक हुआ। स्वाभाविक ही उनके बारे में तमाम तरह की किंवदन्तियाँ और धारणाएँ अन्य समाजों में मौजूद रहीं। लेकिन राहुल ने पाया कि ‘जिस देश में कभी देवता रहते थे वहाँ पीछे पिछड़े मनुष्य रहने लगे’। इस पुस्तक में किन्नरों के समाज, संस्कृति, इतिहास, अर्थतंत्र, रीति-रिवाज, रहन-सहन, धर्म, मान्यताएँ, अन्धविश्वास आदि का विवरण दर्ज करते हुए वे उम्मीद जताते हैं कि इन पिछड़े मनुष्यों का देश फिर से देवलोक बन जाएगा। वस्तुतः इस पुस्तक में राहुल ऐसे एक भू-भाग का दर्शन करते हैं जो भारत का हिस्सा होते हुए भी अधिकतर भारतीयों के लिए अजाना या बहुत ही कम जाना हुआ है। कहना न होगा कि इस पुस्तक में साहित्य के सहृदय पाठकों के लिए एक अजाने-अनदेखे समाज और क्षेत्र का दिलचस्प वृत्तान्त है तो इतिहास, संस्कृति और मानवशास्त्र जैसे विषयों के अध्येताओं के लिए भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण जानकारी।
Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa���Kaliashnath���Mansarovar
- Author Name:
Bimal Dey
- Book Type:

- Description: सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।
Vilayat ke Ajoobe
- Author Name:
Mirza Sheikh Etesamuddin
- Book Type:

-
Description:
18वीं शताब्दी मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ यूरोपीय शक्तियों विशेष रूप से अंग्रेज़ों के उत्थान की शताब्दी है। पतन और उत्थान की यह सदी हिन्दुस्तान के सामंती ढाँचे के टूटने और उपनिवेश विस्तार की भी सदी मानी जाती है। उपनिवेशवादी षड्यंत्र और विस्तारवादी नीति से पहली बार इस महाद्वीप का सामना हो रहा था। हिन्दुस्तान के इतिहास में पहली बार सामाजिक ढाँचा छिन्न-भिन्न होने की प्रक्रिया आरम्भ हो गई थी। यह वही समय था जब मिर्ज़ा शेख़ एतेसामुद्दीन ने अपना सफ़रनामा ‘शिगुर्फ़नामा-ए-विलायत’ फारसी में लिखा था। यह यात्रा संस्मरण संभवतः किसी पहले हिन्दुस्तानी द्वारा लिखा गया यूरोप का पहला यात्रा संस्मरण है। इस सफ़रनामे का अध्ययन कई दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मिर्ज़ा शेख़ एतेसामुद्दीन ने यूरोप की यात्रा 1766 यानी राजा राममोहन राय से लगभग 65 साल पहले की थी। जबकि अब तक यही माना जाता था कि राजा राममोहन राय पहले पढ़े-लिखे व्यक्ति थे जिन्होंने यूरोप की यात्रा की थी।
मिर्ज़ा प्रसिद्ध शायर मीर तकी मीर के समकक्ष हैं। 18वीं शताब्दी में जिस प्रकार मीर ने दिल्ली के उजड़ने का दर्द बयान किया है उसी प्रकार के अक्स इस सफ़रनामे में भी देखे जा सकते हैं। अपने धर्म और संस्कृति के प्रति दृढ़ विश्वास होने के बावजूद मिर्ज़ा साहब का अंग्रेज़ी संस्कृति से प्रभावित होने वाला प्रसंग हैरत पैदा करता है। इसके अतिरिक्त धर्म को लेकर वाद-विवाद प्रसंग भी बहुत रोचक और मज़ेदार है । दोनों संस्कृतियों में श्रेष्ठता का भाव भी देखने को मिलता है। इस यात्रा संस्मरण को पढ़ते हुए आप 18 वीं शताब्दी की समुद्री यात्रा का हैरतअंगेज़ और अद्भुत अनुभव कर सकते हैं। इस सफ़र से गुज़रने का अनुभव बहुत आह्लादकारी और रोमांचक है।
Cycle Se Duniya Ki Sair
- Author Name:
Bimal Dey
- Book Type:

-
Description:
बांग्ला के विख्यात यात्रा-वृत्तकार एवं यात्री-पर्वतारोही बिमल दे की यह पुस्तक उनके सबसे साहसी यात्रा-अभियान पर केन्द्रित है। पाँच वर्षों में पूरी हुई यह यात्रा उन्होंने साइकिल से की थी।
वर्ष 1967 में कोलकाता से शुरू हुआ उनका यह सफ़र ईरान, तुर्की, रूस, अफ़गानिस्तान, इराक, सूडान, मिस्र, इटली, स्विट्जरलैंड, स्पेन, मोरक्को, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों और उनके प्रमुख शहरों से होते हुए 1972 तक जारी रहा।
बांग्ला में ‘सुदूरेर पियासी’ नाम से प्रकाशित और अत्यन्त चर्चित इस पुस्तक में बिमल दे ने अपने उन अनुभवों को अंकित किया है जिनका उनकी चिन्तन-धारा पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ा।
विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, जीवन-शैलियों और प्रकृति के अनेकानेक रूपों को एक सजग आँख से दिखाती यह पुस्तक हमारी सोच और जीवन-दृष्टि को भी विस्तृत करती है, और विविधता से परिपूर्ण इस विशाल संसार में रहने व जीने का सलीका देती है।
Dil Se Maine Duniya Dekhi
- Author Name:
Harivansh
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी के ज़्यादातर पत्रकारों के यात्रा-वृत्तान्त आम तौर पर रपट होते हैं। उनके केन्द्र में सिर्फ़ तथ्य और विवरण होते हैं। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और सांसद हरिवंश के इन यात्रा-विवरणों में तथ्यों के साथ-साथ संवेदना और मानवीय प्रसंगों को भी बख़ूबी पिरोया गया है। इसी के चलते उनकी ये पत्रकारीय रपटें साहित्यिक आस्वाद से युक्त हो जाती हैं।
यात्रा के दौरान उनके मन में एक अन्तर्यात्रा भी समानान्तर चलती रहती है, विदेश उन्हें अपने देश को और सतर्क निगाह से देखने को प्रेरित करता है। वे सिर्फ़ पर्यटक की तरह नहीं एक प्रबुद्ध विचारक की तरह दुनिया को देखने लगते हैं। उनके इन यात्रा-संस्मरणों में सतत एक बेचैनी दिखाई देती है। साथ ही उनका पत्रकार भी अपनी वस्तुगतता के साथ लगातार उनके यात्री के साथ रहता है। उनका प्रयास होता है कि वे जहाँ भी जाएँ, वहाँ के यथार्थ को इस तरह प्रस्तुत करें, जिससे समय और समाज की समझ को विस्तार मिले—उनकी अपनी समझ भी खुले और पाठक की भी।
यही विशेषता इस पुस्तक को एक साहित्यिक कृति बनाती है। आप इन यात्रा-विवरणों को पढ़कर रोमांचित भी होंगे, उत्तेजित भी होंगे और देश तथा दुनिया के विषय में सोचने के लिए व्याकुल भी होंगे।
Darakte Himalaya Par Dar-Ba-Dar
- Author Name:
Ajoy Sodani
- Book Type:

-
Description:
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ़ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार लेखक और उनकी सहधर्मिणी अपर्णा के जीवट और साहस पर आश्चर्य होता है। अव्वल तो मानसून के मौसम में कोई सामान्य पर्यटक इस दुर्गम इलाक़े की यात्रा करता नहीं, करता भी है तो उसके बचने की सम्भावना कम ही होती है। ऐसे मौसम में ख़ुद पहाड़ी लोग भी इन स्थानों को प्रायः छोड़ देते हैं। लेकिन किसी ठेठ यायावर की वह यात्रा भी क्या जिसमें जोखिम न हो। इस लिहाज़ से देखें तो यह यात्रा-वृत्तान्त दाँतों तले उँगली दबाने पर मजबूर करनेवाला है। यात्रा में संकट कम नहीं है। भूकम्प आता है, ग्लेशियर दरक उठते हैं। कई बार तो स्थानीय सहयोगी भी हताश हो जाते हैं और इसके लिए लेखक की नास्तिकता को दोष देते हैं। फिर भी यह यात्रा न केवल स्थानीय जन-जीवन के कई दुर्लभ चित्र सामने लाती है, बल्कि हज़ारों फीट ऊँचाई पर खिलनेवाले ब्रह्मकमल, नीलकमल और फेनकमल जैसे दुर्लभ फूलों के भी साक्षात् दर्शन करा देती है। लेखक बार-बार पौराणिक इतिहास में जाता है और पांडवों के स्वर्गारोहण के मार्ग के चिह्न खोजता फिरता है। श्रुति-इतिहास से मेल बिठाते हुए पांडवों का ही नहीं, कौरवों का भी इतिहास जोड़ता चलता है। इस बारे में लेखक का अपना अलग ही दृष्टिकोण है। वह ‘महाभारत’ को इतिहास नहीं मानता, लेकिन यह भी नहीं मान पाता कि उसमें सब कुछ कपोल कल्पना है। इस अर्थ में देखें तो यह किताब इतिहास का भी यात्रा-वृत्तान्त है। आश्चर्य नहीं कि रवानी और मौज सिर्फ़ लेखक के योजना-निर्माण में ही नहीं, बल्कि इस वृत्तान्त की भाषा में भी है जिसे पढ़ने का सुख किसी औपन्यासिक रोमांच से भर देता है।
Canada Nama
- Author Name:
Chitra Rana Raghav
- Book Type:

- Description: Travlouge By Chitra rana raghav
Da Nang : The City Of Wonders
- Author Name:
Geetesh Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Chasing The Monk's Shadow
- Author Name:
Mishi Saran
- Rating:
- Book Type:

- Description: An Indian woman with a China craze retraces the footsteps of a Chinese monk with an Indian obsessionIn the seventh century AD, the Chinese monk Xuanzang (earlier spelt as Hiuen Tsang or Hsuan Tsang) set off on an epic journey to India to study Buddhist philosophy from the Indian masters. Travelling along the Silk Road, through the desolate wastes of the Gobi desert and the icy passes of Central Asia, braving brigands and blizzards, Xuanzang finally reached India, where his spiritual quest took him to Buddhist holy places and monasteries throughout the subcontinent. By the time he returned to China eighteen years later, carrying with him nearly 600 scriptures which he translated from Sanskrit into Chinese, Xuanzang had covered an astonishing 10,000 miles. He also left a detailed record of his journey, which remains a valuable source of historical information on the regions he traversed. Fourteen hundred years later, Mishi Saran follows in Xuanzang's footsteps to the fabled oasis cities of China and Central Asia, and the Buddhist sites and now-vanished kingdoms in India, Pakistan and Afghanistan that Xuanzang wrote about. Travelling seamlessly back and forth in time between the seventh century and the twenty-first, Saran uncovers the past with consummate skill even as she brings alive the present through her vivid and engaging descriptions of people and places. Her gripping chronicle includes an extraordinary eyewitness account of Kabul under the Taliban regime, just one month before 9/11. Running parallel to the account of her travels is the moving story of the author's inner journey towards a new understanding of her roots and her identity. With its riveting mix of lively reportage, high adventure, historical inquiry and personal memoir, this delightfully written book is a path-breaking travelogue.
Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa - Kaliashnath - Mansarovar)
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।
Buddh ka Kamandal Laddakh
- Author Name:
Krishna Sobti
- Book Type:

-
Description:
हिमालय हमारे देश के भूगोल और इतिहास का महानायक है। हिमालय देश की चारों दिशाओं में फैले भारतीय जनमानस का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्रोत है। शिखरों पर स्थित हमारे तीर्थों का पवित्र प्रतीक है। भारतीय मन को उद्वेलित करती कलात्मक अभिव्यक्तियाँ इसी महान उद्गम से निकली नदियों के साथ-साथ प्रवाहित होती रही हैं। भारत-भूमि से उदित हो विश्व-भर के नागरिकों को शान्ति का परम सन्देश देती रही हैं। हिमालय की ऊँचाइयों में स्थित लद्दाख़ दूसरे पर्वतीय स्थानों से एकदम अलग है। ऊपर निर्मल नीला आकाश, श्वेत फेनिल बादलों से सजा और नीचे पीले, रेतीले, मटमैले में स्लेटी ऊँचे बर्फ़ीले शिखरों को लुभाती ग्रे, काली, ताम्बई और दालचीनी रंग की चट्टानें। कुदरत के कठोर वैभव का अनूठा लैंडस्केप।
लद्दाख़ की जीती-जागती छवियों से सजी इस किताब में कृष्णा सोबती ने वहाँ बिताए अपने कुछ दिनों की यादें ताज़ा की हैं और उन अनुभूतियों को फिर से अंकित किया है जिन्हें विश्व के इसी भू-भाग से अनुभव और अर्जित किया जा सकता है। लद्दाख़ को कई नामों से जाना जाता है जिनमें एक नाम ‘बुद्ध का कमण्डल’ भी है। बुद्ध के कमण्डल, लद्दाख़ में उदय होती उषाओं, घिरती साँझों और इनके बीच फैले स्तब्धकारी सौन्दर्य के पथरीले विस्तार में टहलती, प्रसिद्ध चित्रकार सिद्दार्थ के कैमरे से लिए गए चित्रों से सजी यह किताब हमें उस जगह ले जाती है, जिसका इस धरती पर स्थित होना ही हमें चकित करता है।
Safar Ek Dongi Main Dagmag
- Author Name:
Rakesh Tiwari
- Book Type:

-
Description:
‘सफ़र एक डोंगी में डगमग' यात्रा-वृत्तान्त के तौर पर जितनी रोमांचक है उतना ही मज़बूत इसका ऐतिहासिक और भौगोलिक पक्ष भी है।
डगमग डोंगी के साथ चलते हुए लेखक घाट-घाट के ऐतिहासिक महत्त्व के पर्दों को हमारे सामने इस तरह खोलता जाता है, जैसे कोई पुरातत्त्वविद् खुदाई कर इतिहास को हमारे सामने ला खड़ा कर देता है। यह पुस्तक उत्तर-पूर्वी भारत की बदलती भौगोलिक संरचना, संस्कृति और बोलियों को समझने में एक विशिष्ट दस्तावेज़ की तरह भी काम करती है।
दिल्ली की ‘ओखला हेड' जैसी छोटी नहर से यात्रा शुरू कर जल्द ही यमुना में हिलोरें मारती डोंगी मथुरा, आगरा, इलाहाबाद, बनारस, कानपुर और पटना होती हुई अन्ततः कोलकाता की हुगली नदी में जाकर रुकती है। लेखक को यह यात्रा पूरी करने में जहाँ बासठ दिन लगते हैं, वहीं किताब लिखने में तीस साल।
लेखक के साथ डोंगी भी अपना इतिहास लिखती हुई चलती है। इसमें नदियाँ जीते-जागते किरदारों की तरह हैं, जो कूद-कूदकर पंक्तिबद्ध आती हैं, अठखेलियाँ करती हैं और अपना नाम दर्ज कराती हुई खो जाती हैं।
'सफ़र एक डोंगी में डगमग' रोमांच, बेचैनी, उकताहट, संघर्ष, जिजीविषा, दोस्ती और ढेरों किस्सों में बँधी किताब है जो आख़िरी पन्नों तक पाठकों को बाँधे रहती है।
Meri Roos Yatra
- Author Name:
Anna Bhau Sathe
- Book Type:

-
Description:
अण्णा भाऊ साठे एक सक्रिय कॉमरेड थे, इसलिए उनकी दिली इच्छा थी कि कुछ भी करके जीवन में एक बार सोवियत संघराज्य देखा जाए। उनके रूस पहुँचने से पहले ही उनका साहित्य रूस की जनता तक पहुँच चुका था। एक प्रखर कॉमरेड के रूप में उनके विचारों और साहित्य का रूसी जनता, चिन्तकों एवं राजनेताओं से गहरा परिचय हो चुका था। अण्णा भाऊ ने बड़ी ईमानदारी से स्वीकार किया है कि उन्हें रूस-यात्रा का अवसर उनके साहित्य सृजन के कारण प्राप्त हुआ।
अण्णा भाऊ ने मनुष्य को मनुष्य के रूप में देखा, समझा और प्रस्तुत किया है। यह दृष्टि उन्हें मार्क्सवादी दर्शन से प्राप्त हुई है।
मेरी रूस यात्रा शीर्षक यात्रा वर्णन में उन्होंने अपने साहचर्य में आए पात्रों का बहुत ही सुन्दर एवं संवेदनापूर्ण चित्रण किया है। इस चित्रण में उनके भीतर बसा हुआ साहित्य-सर्जक बहुत ही उच्चकोटि का दिखता है। अण्णा भाऊ को महाराष्ट्र की मिट्टी के प्रति बहुत लगाव था, आत्मीयता का भाव था। इसका भी परिचय इस यात्रा-वर्णन में प्राप्त होता है। उन्होंने मॉस्को में पहला भाषण मराठी में दिया। अण्णा भाऊ की भाषा व्यंग्यपूर्ण है। सहज, सरल भाषा में वे गहरा व्यंग्य-प्रहार करने में कुशल हैं।
यात्रा वर्णन के अन्त में अण्णा भाऊ ने पूर्वदीप्ति शैली का सुन्दर प्रयोग किया है। ताशकन्द से दिल्ली विमान यात्रा के दौरान वे पूर्वदीप्ति शैली में भूत और वर्तमान को अभिव्यक्ति देते हैं, जो इस यात्रा-वर्णन को अत्यन्त प्रभावी एवं रसमय बनाता है, चरमोत्कर्ष पर ले जाता है।
अण्णा भाऊ की कलम में स्वानुभूति की धार है, भाषा में लोक जीवन की महक है, वे शब्दों के जादूगर हैं, सहज-सरल, प्रवाही भाषा द्वारा चरित्र-चित्रण को मनोवैज्ञानिक आधार पर प्रस्तुत करने में माहिर और सजग लेखक हैं। उनमें निरीक्षण की अद्भुत क्षमता है, जो उनके जीवनानुभवों से सिद्ध हुई है। कहीं पर भी वर्णन में अतिशयोक्ति एवं अस्वाभाविकता नहीं है। मनुष्य को सार्वकालिक दृष्टि से देखने का उनका नजरिया विशेष है।
Hum Bhi To Hain
- Author Name:
Jyoti Thakur
- Book Type:

- Description: Book
Khushhali Ka Panchnama
- Author Name:
Parveen Jha
- Book Type:

- Description: ‘ख़ुशहाली का पंचनामा’ एक यात्रा संस्मरण नही प्रवास संस्मरण है। प्रवास संस्मरण संस्कृति का हिस्सा बन कर लिखा जाता है जबकि यात्रा संस्मरण संस्कृति को बाहर से देखने की क़वायद है। यह पुस्तक मैंने नॉर्वे की संस्कृति के आकलन पर लिखी है। मेरे सामने प्रश्न यह था कि क्या वाक़ई ख़ुशहाली परिभाषित की जा सकती है। नॉर्वे जैसे देश जो सबसे खुशहाल देशों में माने जाते हैं, क्या वे वाक़ई खुशहाल हैं? अगर हैं, तो उनके सूत्र क्या हैं? अगर नहीं हैं, तो आख़िर कहे किस आधार पर जाते हैं? यह डायरी चूँकि एक भारतीय की लिखी है, इस कारण दोनों संस्कृतियों की तुलना भी की गयी है। कई सूत्र एक जैसे हैं, तो कई भिन्न ध्रुवों पर है। उन्हें जानने के लिए यह किताब एक रोचक यात्रा हो सकती है।
Darra-Darra Himalaya
- Author Name:
Ajoy Sodani
- Book Type:

- Description: — ‘दर्रा-दर्रा हिमालय’ एक परिवार की हिमालय पर घुमक्कड़ी का वृत्तान्त है। ऐसा परिवार जो फ़ुर्सत के क्षणों में विदेशों की सैर के बजाय बर्फ़ ढँके इन पहाड़ों को वरीयता देता है। इंदौर के अजय सोडानी को हिमालय की सर्द, मनोहारी और जानलेवा वादियों से गहरा अनुराग है। काल्पनिक से लगनेवाले सौन्दर्यशाली पहाड़ों पर सपरिवार चढ़ाई और बर्फ़ के गगनचुम्बी शिखरों को दर्रा-दर्रा महसूस करने के दौरान प्रकृति के मनोरम स्पर्श से भीगे तन-मन कई बार मौत के मुक़ाबिल भी रहे, लेकिन ज़िन्दगी के पन्ने पर हौसले की स्याही से साहस की गाथा रचनेवाले मौत की परवाह कहाँ करते। जनश्रुतियों और पौराणिक ग्रन्थों में चर्चित स्थलों और मार्गों की सत्यता को परखने, हिमालय और वहाँ के जनजीवन के विलुप्तप्राय सौन्दर्य को निहारने-समझने की उत्कंठा में क़रीब बीस हज़ार फ़ीट की ऊँचाई वाले कालिंदी खाल पास को लाँघते हुए भी मौत का भय बर्फ़ की तरह पिघलता रहा। हिमालय की घाटियों में विचरती वायु में जाने ऐसा क्या था कि अजय बार-बार वहाँ लौटे और हर बार हिमालय की दी हुई एक नई चुनौती को स्वीकार किया। 'दर्रा-दर्रा हिमालय' अपनी राष्ट्रीय धरोहरों और प्रतीकों के प्रति अनुरक्ति वाले मानस की साहसिक यायावरी की गाथा तो कहती ही है, साथ ही रोज़-ब-रोज़ बढ़ती प्रदूषण की समस्या और पर्यावरण संरक्षण पर उसकी चिन्ता से भी रू-ब-रू कराती है।
Everest
- Author Name:
Jon Krakauers +1
- Book Type:

- Description: ಜಾನ್ ಕ್ರಾಕೌರ್ ಅಮೇರಿಕಾದ ಜನಪ್ರಿಯ ಲೇಖಕ ಮತ್ತು ಪರ್ವತರೋಹಿ. ಈತನ ಕೃತಿಯನ್ನು ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ತಂದವರು ವಸುಧೇಂದ್ರ. ’ಎವರೆಸ್ಟ್’ ಕೃತಿಯು ಪರ್ವತಾರೋಹಣದ ದುರಂತ ಕತೆಯಾಗಿದೆ. ಪರ್ವತಾರೋಹಣ ಮಾಡುವಾಗ ನಡೆದ ಘಟನೆಗಳು ಲೇಖಕರ ಬದುಕಿನ ಧೈರ್ಯವನ್ನು ನಿರಂತರವಾಗಿ ಕೆಣಕಿದ ಕಥಾನಕ ಅಂಶಗಳು ಈ ಕೃತಿಯಲ್ಲಿದೆ. ಲೇಖಕರಿಗೆ ಎವರೆಸ್ಟ್ ಹತ್ತುವ ಬಯಕೆಯು ಸಂಕೀರ್ಣವಾದ ಸಂಗತಿ, ಮತ್ತು ಅಪಾಯಕಾರಿ ವಿಸ್ಮಯ, ವಿಷಯಗಳು ತಿಳಿದಿದ್ದರೂ ಎವರೆಸ್ಟ್ ಹತ್ತಲೇಬೇಕೆನಿಸಿದ ಲೇಖಕರ ತೊಳಲಾಟದ ಪರಿಯನ್ನೂ, ಕಹಿ ಸತ್ಯದ ಮುಖಗಳನ್ನು ಒಂದೆಡೆ ಕೃತಿ ತೆರೆದಿಡುತ್ತದೆ.
Ek Lambi Chhanha
- Author Name:
Rameshchandra Shah
- Book Type:

-
Description:
...इधर मैं आपके लन्दन और वेल्ज़ वाले यात्रा-वृत्तान्त शौक़ से पढ़ता रहा हूँ। आप हर स्थिति और दृश्य को कितनी उत्सुकता से देखते हैं और कितनी गहराई से ग्रहण करते हैं...
—कृष्ण बलदेव वैद
...आपका यात्रा-वृत्तान्त मुझे बहुत अच्छा लगा। इसका एक बहुत नकारात्मक कारण यह है कि मैंने सोचा था, इसमें औपन्यासिकता का रस नहीं होगा और बोझिल होगा। मगर इसमें आनन्द और रस भरपूर है, बोझिल बिलकुल भी नहीं। श्रद्धेय वात्स्यायनजी और निर्मल वर्मा के यात्रा-वृत्तान्तों से एकदम भिन्न रस का यात्रा-वृत्तान्त है।...
—अशोक सेकसरिया
...पिछले सप्ताह से मैं रह-रह कर आपके साथ आयरलैंड के वन्य स्थलों के सन्नाटे, झीलों पर उड़ते हंसों, डब्लिन की सड़कों-पबों का मूक—ईर्ष्यालु पाठक—साक्षी रहा हूँ। मैंने मुद्दत पुरानी येट्स की कविताओं की पुस्तक भी पास रख ली थी और जब आप अपने संस्मरण में किसी कविता का अंश उद्धृत करते तो तुरन्त मैं एक उत्सुक-उत्तेजित पाठक-पर्यटक के उत्साह की रौ में उसे पुस्तक में पूरा का पूरा पढ़ने का आनन्द लेता। आपने ‘इनिस्क्री के द्वीप’ की अखंड निःस्तब्धता और कूल पार्क के सात वनों की जो छवि आँकी है, वह अपने आपमें बेजोड़ है। हमारे दार्शनिक मित्र दयाजी को जब कोई चीज़ या कोई कही हुई बात अच्छी लगती थी तो वह बच्चों की तरह ताली बजाते थे। आपके आयरलैंड के संस्मरणों को पढ़ते हुए हर दूसरे पृष्ठ पर ताली बजाने को मन करता है। इस बीच अन्य पत्रिकाओं में भी आपके यात्रा-वृत्त पढ़ता रहा हूँ। पर आपने आयरलैंड और येट्स के बारे में जो डूबकर लिखा है, वह अद्वितीय है।...
—निर्मल वर्मा
Door Durgam Durust : Purvgrahon Ke Paar Purvottar Ki Yatra
- Author Name:
Umesh Pant
- Book Type:

- Description: ‘दूर दुर्गम दुरुस्त’ दरअसल पूर्वोत्तर से जुड़ी यात्राओं की एक दस्तावेज़ है। इसे आप एक घुमक्कड़ की मनकही भी कह सकते हैं जो अक्सर अनकही रह जाती है। मुख्यधारा में पूर्वोत्तर की जितनी भी चर्चा होती है, उसमें उसके दुर्गम भूगोल की चीख़-पुकार ही शामिल रहती हैं। यह किताब उनसे विलग उन आहटों को सुनने की कोशिश है जो कहीं दबकर रह जाती हैं। इस किताब में मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर के कुछ हिस्सों में की गई यात्राओं के वृत्तान्त हैं। जगहों और लोगों की कहानियाँ हैं। पूर्वोत्तर में भटकता एक यात्री मन, देखने और सुनने से एक क़दम आगे बढ़कर महसूस करने की ललक में जो कुछ समेट सका है, उसकी शाब्दिक यात्रा है यह किताब!
O Maria Peeta Che
- Author Name:
Pratibha Adhikari
- Book Type:

- Description: Book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...