
Tamrapat
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
608
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
1216 mins
Book Description
मौजूदा समय के जटिल यथार्थ, समाज की बहुमुखी विसंगतियों और आधुनिक मनुष्य के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों का जैसा अंकन उपन्यास विधा में सम्भव है, ऐसा और किसी विधा में नहीं। भारतीय भाषाओं के उपन्यासकारों ने अपने समकाल को समझने और विश्लेषित रूप में पाठकों तक पहुँचाने में इस विधा का बखूबी प्रयोग किया है।</p> <p>मराठी में कादम्बरी यानी उपन्यास लेखन का अपना एक इतिहास रहा है। प्रसिद्ध लेखक रंगनाथ पठारे का यह चर्चित उपन्यास ‘ताम्रपट’ उन सब सम्भावनाओं को समेटे हुए है जिनकी अपेक्षा उपन्यास से की जाती है। अपने बृहद् कलेवर में ‘ताम्रपट’ की कथा का फलक भारतीय इतिहास के लगभग चार दशकों में फैला हुआ है—1942 से लेकर 1979 तक। अलग से कहना ज़रूरी नहीं कि यही वह दौर है जब देश ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के उत्साह और अवसाद दोनों को झेलते हुए विश्व-पटल पर अपनी पहचान कराई। इस काल में हमने सत्ता के संघर्षों का विभिन्न रूप देखा, संस्थाओं का बनना और उनका भ्रष्ट होना भी देखा, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में अनेक निर्मितियों और विध्वंसों को भी देखा; नागरिकों के नैतिक उत्थान-पतन से भी हम रूबरू हुए। ‘ताम्रपट’ के माध्यम से हम इस पूरी यात्रा से गुज़रते हैं। लेखक की विराट विश्वदृष्टि और अपने आसपास के यथार्थ का विश्वसनीय अभिज्ञान इस उपन्यास में अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित है।