Bhartiya Rajniti Aur Samvidhan : Vikas, Vivad Aur Nidan
Author:
Subhash KashyapPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 716
₹
895
Available
हिन्दी-भाषी समाज के लिए यह स्थिति दुखद है कि देश की ज्वलन्त समस्याओं का परिप्रेक्ष्य स्पष्ट करनेवाली गम्भीर और व्यवस्थित सामग्री का हिन्दी में आज भी घोर अभाव है। प्रख्यात संविधान-विद् और पूर्व संसदीय सचिव सुभाष काश्यप की यह किताब राजनीति को प्रस्थान बिन्दु बनाते हुए भ्रष्टाचार अपराधीकरण, जातिवाद और साम्प्रदायिकता आदि जैसे विषयों पर संविधान और संसद की भूमिकाओं का एक विकास-क्रम में खुलासा करती है। पुस्तक चार भागों में विभाजित है—‘स्वाधीनता की अर्द्धशती’, ‘भारत का संविधान’, ‘भारत की संसद’ और ‘राज्यों में विधानपालिका’। इसमें जहाँ एक ओर संविधान- निर्माण, संविधान की आत्मा और संसद की बहुआयामी भूमिका जैसे मूलभूत प्रश्नों का गहराई के साथ विवेचन हुआ है, वहीं कुछ बिलकुल ताज़ा मुद्दों; जैसे—न्यायिक सक्रियता, लोकपाल, दल-बदल, राज्यपालों की भूमिका, राष्ट्रपति शासन और अनुच्छेद 356, सदन-अध्यक्ष की भूमिका और संसदीय विशेषाधिकार आदि जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया है।</p>
<p>
ISBN: 9788126707201
Pages: 224
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Rashtranayak Narendra Modi
- Author Name:
Usha Vidhyarthi
- Book Type:

- Description: भारत से लेकर वैश्विक स्तर तक ऐसे मनीषियों की लंबी शृंखला है, जिन्होंने अपने विचार, कर्म और सकारात्मक दृष्टि से मानव सभ्यता को शिखर पर आच्छादित कर दिया, लेकिन कुछ व्यक्तियों के कारण राजनीति को पतितों की अंतिम शरणस्थली तक कहा जाने लगा। इसी पतनोन्मुख व्यवस्था में नरेंद्र मोदी के रूप में एक ऐसे महामानव का उदय हुआ, जिन्होंने राजनीति के मर्म को अपना धर्म समझते हुए मानवमात्र के कल्याण को अपना उद्देश्य बना लिया। अपने स्वहित को राष्ट्रहित और समाजहित में समाहित कर दिया। मानव सेवा को अपने जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य बनाते हुए राजनीति के मूलभाव को पुनः स्थापित करने का महान् कार्य किया। श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व और कृतित्व ने राजनीति को पुनः सेवा, श्रम और त्याग का माध्यम बना दिया। सेवा और त्याग की भावना के बिना राजनीति में संवेदना संभव नहीं। संवेदनशील व्यक्ति ही राजनीति के मर्म और धर्म को समझते हुए राष्ट्र के लिए प्राणोत्सर्ग कर सकता है, जो निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व में निहित है। ‘सबका-साथ, सबका-विकास’ सिर्फ नारा नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन है, जो उन्हें गांधी, आंबेडकर, दीनदयाल, जे.पी. और लोहिया के विचार सागर से निचोड़ के रूप में प्राप्त हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनोन्मुखी कार्यों को प्रमुखता से चिह्नित करने का एक विनम्र प्रयास है।
Gandhi Kyon Nahin Marte!
- Author Name:
Chandrakant Wankhede
- Book Type:

-
Description:
गांधी को गोली मार दी गई, उनका शरीर मर गया लेकिन गांधी नाम की जिस आभा ने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान जनसाधारण के हृदय में आकार लिया था, वह न मर सकी। वह आज तक जीवित है और सक्रिय भी।
यह किताब इसी पहेली को सुलझाने की कोशिश करती है कि वह क्या चीज थी जो गोलियों से भी बच निकली और गोलियों के पीछे खड़ी नफरत की मानव-विरोधी आँधी को आज तक चकमा देती आ रही है।
लेखक के मन में इस किताब के बीज उस समय पड़े जब वे संघ की शाला में पढ़ने गए थे। यहाँ आकर उन्हें गांधी के विषय में वह सुनने को मिला जो उनके अब तक के सीखे हुए से एकदम उलट था। घर-परिवार और समाज में उन्हें गांधी का आदर करना सिखाया गया था, और शाला में उन्होंने देखा कि गांधी का मजाक उड़ाया जाता है। उन्हें कायर, कमजोर और व्यभिचारी कहा जाता है। होश सँभालने के बाद से अब तक जिसे वे नायक मानते रहे थे, यहाँ उन्हें खलनायक बताया जा रहा था।
यहीं से उन्होंने गांधी को जानने का निश्चय किया। उन्होंने उनकी आत्मकथा पढ़ी और हैरान हुए कि कैसे कोई व्यक्ति प्रसिद्धि और लोकप्रियता के शिखर पर जाकर अपने बारे में वह लिख सकता है जो गांधी ने लिखा। उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास को पढ़ा और जाना कि स्वतंत्रता की अवधारणा को देश के अन्तिम व्यक्ति से जोड़ने का चमत्कार गांधी ने कैसे किया; कैसे उन्होंने धर्म के अनुशासन को दूसरों के बजाय अपनी तरफ मोड़कर धर्म के अर्थ ही बदल दिए।
यह पुस्तक गांधी के जीवन और स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास पर बराबर नजर रखते हुए हमें बताती है कि गांधी हमारे आज और आनेवाले समय के लिए क्यों जरूरी हैं; और यह भी कि उनके विचारों की दीप्ति को समाप्त करना सम्भव भी नहीं है।
Gram Sabha : Loktantra Ka Aadhar
- Author Name:
Sudhanshu Gupta
- Book Type:

- Description: ग्राम सभा, जिसे संविधान के अनुच्छेद 243(बी) में परिभाषित किया गया है, पंचायती राज व्यवस्था में लोकतंत्र का आधार है, जो स्थानीय स्तर पर लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करती है और उन्हें शासन में शामिल करती है
Usne Gandhi Ko Kyon Mara
- Author Name:
Ashok Kumar Pandey
- Rating:
- Book Type:

- Description: यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुये अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने। साथ ही, गांधी हत्या को सही ठहराने वाले आरोपों की तह में जाकर उनकी तथ्यपरक पड़ताल करते हुए न केवल उस गहरी साज़िश के अनछुए पहलुओं का पर्दाफ़ाश करती है बल्कि उस वैचारिक षड्यंत्र को भी खोलकर रख देती है जो अंतत: गांधी हत्या का कारण बना। यह किताब जहाँ एक तरफ़ गांधी पर अफ़्रीका में हुए पहले हमले से लेकर गोडसे द्वारा उनकी हत्या के बीच गांधी के पूरे राजनैतिक जीवन में उन पक्षों पर विस्तार से बात करती है जिनकी वजह से दक्षिणपंथी ताक़तें उनके ख़िलाफ़ हुईं तो दूसरी तरफ़ उन पर हुए हर हमले और अंत में हुई हत्या की साज़िशों का पर्दाफ़ाश करती है। दस्तावेज़ों की व्यापक पड़ताल से यह उन व्यक्तियों और समूहों के साथ-साथ उन कारणों को स्पष्ट रूप से सामने लाती है जिनकी वजह से गांधी की हत्या हुई। यह किताब एक तरफ़ राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन और उसमें गांधी की भूमिका दर्ज करती है तो दूसरी तरफ़ गांधी की पूरी वैचारिक यात्रा की पड़ताल करती है। यह किताब दक्षिणपंथ के गांधी के ख़िलाफ़ होने के कारणों, कांग्रेस के भीतर के अंतर्विरोधों और विभाजन की प्रक्रिया सामने लाती है। इसके अलावा एक पूरा खंड गोडसे द्वारा अदालत में गांधी पर लगाए गए आरोपों के बिंदुवार जवाब का है। इस किताब को पढ़ते हुए हिंदी का पाठक एक ही किताब में गांधी के दर्शन, उनकी वैचारिक यात्रा और उनकी हत्या की साज़िश के राजनीतिक कारणों से परिचित हो सकेगा।.
Vikas Ki Rajneeti
- Author Name:
Vinay Sahasrabuddhe
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Karmayogi Sannyasi Yogi Adityanath
- Author Name:
Rahees Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Arya Evam Hadappa Sanskritiyon Ki Bhinnata
- Author Name:
Ramsharan Sharma
- Book Type:

-
Description:
यह पुस्तक आर्य एवं हड़प्पा सभ्यता का एक गहन अध्ययन है। इसमें प्रो. शर्मा ने आर्यों के मूल स्थान की खोज की कोशिश के साथ-साथ ज़्यादा ज़ोर इन सभ्यताओं के सांस्कृतिक पहलू पर दिया है।
लेखक ने अपने अध्ययन के दौरान इस पुस्तक में आर्य एवं हड़प्पा संस्कृतियों की भिन्नता को दर्शाया है। लेखक का मानना है कि हड़प्पा सभ्यता नगरी है लेकिन वैदिक सभ्यता में नगर का कोई चिह्न नहीं है। कांस्य युग का हड़प्पा सभ्यता में प्रमाण मिलता है। हड़प्पा में लेखन-कला प्रचलित थी लेकिन वैदिक युग में लेखन-कला का कोई प्रमाण नहीं है।
अपनी सूक्ष्म विश्लेषण-दृष्टि और अकाट्य तर्कशक्ति के कारण यह कृति भी लेखक की पूर्व-प्रकाशित अन्य कृतियों की तरह पठनीय और संग्रहणीय होगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
Sindhu Sabhyata
- Author Name:
Irfan Habib
- Book Type:

-
Description:
‘भारत का लोक इतिहास’ शृंख्ला की यह दूसरी पुस्तक सिन्धु सभ्यता के बारे में है। इसे इस शृंखला की पहली पुस्तक ‘प्रागैतिहास’ की अगली कड़ी के रूप में भी पढ़ा जा सकता है। सिन्धु सभ्यता के और विस्तृत विवरण के अलावा इसमें अन्य समकालीन और उसके बाद की संस्कृतियों का सर्वेक्षण भी किया गया है। साथ ही भारत के मुख्य भाषा परिवारों के उद्भव पर विमर्श भी इसमें शामिल है।
सिन्धु घाटी और सीमावर्ती क्षेत्रों में आरम्भिक कांस्य युग और उसके सांस्कृतिक पहलू तथा सिन्धु सभ्यता की व्यापकता, जनसंख्या, कृषि, हस्तशिल्प, व्यापार, क़स्बों और शहरों की बनावट के साथ इसमें जनता, समाज और राज्यसत्ता आदि का भी प्रमाण-आधारित विश्लेषण किया गया है।
तालिकाओं, चित्रों और विस्तृत सन्दर्भ-ग्रन्थ सूचियों के साथ यह पुस्तक शृंखला की अन्य पुस्तकों की ही तरह संग्रहणीय और पठनीय सिद्ध होगी।
Nai Bhajapa Ke Shilpakaar
- Author Name:
Ajay Singh +1
- Book Type:

- Description: "अपनी स्थापना के लगभग 40 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है और भारतीय राजनीति में अपनी स्थिति को निरंतर अधिक सुदृढ़ बनाती जा रही है। इस पार्टी का ऐतिहासिक अभ्युदय कुछ लोगों को सहज और स्वत:स्फूर्त लग सकता है, लेकिन 18 करोड़ सदस्यों के इस संगठन का मार्ग प्रशस्त करने के पीछे गहन आंतरिक विचार-विमर्शों और योजनाओं का योगदान रहा है। गहरे शोध तथा ठोस उदाहरणों के माध्यम से 'नई भाजपा के शिल्पकार' में पिछले दशकों के दौरान हुए पार्टी के कायाकल्प की व्याख्या की गई है। इस प्रसंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐसे योगदानों पर प्रकाश डाला गया है, जिनके बारे में लोग कम जानते हैं। संगठन निर्माण के पारंपरिक तरीकों से परे जाकर किए गए उनके प्रयोग, सूक्ष्मता के साथ हर आयाम पर उनकी पैनी नजर और पार्टी के जनाधार का विस्तार करने के लिए उनकी अभिनव पद्धतियों को यह पुस्तक उजागर करती है। पार्टी के संस्थापकों द्वारा सन् 1951 में अपनाई गई दृष्टि पर आधारित अतीत के विश्लेषण के साथ-साथ अजय सिंह ने भाजपा के भविष्य की झलक भी दिखाई है। अनेक पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं और समीक्षकों के साथ विस्तृत साक्षात्कारों पर आधारित विवरणों से पता चलता है कि किस प्रकार कैडर पर आधारित इस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए एक नितांत भारतीय मॉडल को विकसित किया, जिसके आधार पर अंतत: भाजपा चुनाव जीतने वाली एक मशीन के रूप में स्थापित हो गई है।"
Bhajpa Hinduttva Aur Musalman
- Author Name:
Vedpratap Vaidik
- Book Type:

-
Description:
‘भाजपा, हिन्दुत्व और मुसलमान’ अपने ढंग की अनूठी कृति है। इस विषय का यह पहला मौलिक और विचारोत्तेजक ग्रन्थ है। उक्त तीनों मुद्दों और उनके आपसी सम्बन्धों पर जितनी गहराई और जितने कोणों से विद्वान लेखक ने विचार किया है, अब तक किसी भी ग्रन्थ में नहीं किया गया है। भाजपा का असली संकट क्या है, उसका समाधान क्या है, उसका भविष्य कैसा है, वह कहीं कांग्रेस की कार्बन-कॉपी तो नहीं बन गई है, संघ और भाजपा के बीच अन्तर्द्वन्द्व के मुद्दे कौन-कौन से हैं, आदि अनेक प्रश्नों पर डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
सावरकर का हिन्दुत्व अब कितना प्रासंगिक रह गया है? उसमें से क्या घटाया और क्या जोड़ा जाए, इस जटिल और विवादास्पद विषय पर डॉ. वैदिक ने जो मौलिक विचार प्रस्तुत किए हैं, वे भाजपा ही नहीं, 21वीं सदी के भारत के लिए भी ध्यातव्य हैं। हिन्दुत्व और इस्लाम के नाम पर चले अभियानों पर लेखक के जिन बेबाक निबन्धों ने देश की तत्कालीन राजनीति पर सीधा असर डाला था, वे भी इस ग्रन्थ में संकलित किए गए हैं। इस ग्रन्थ में कुछ निबन्ध ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपको लगेगा कि वे अपने आप में एक-एक ग्रन्थ के बराबर हैं। मुस्लिम राजनीति और मुसलमानों के प्रति भाजपा के रवैए पर भी लेखक ने अपनी दो-टूक राय ज़ाहिर की है। मुसलमान भारतीय इतिहास को कैसे देखें और शेष भारत मुसलमानों को कैसे देखे, आदि अत्यन्त पेचीदा और नाजुक मुद्दों पर भी लेखक ने अपने निर्भीक विचार प्रस्तुत किए हैं। डॉ. वैदिक के ये निबन्ध राजनेताओं, विद्वानों, पत्रकारों और प्रबुद्ध पाठकों के लिए दिशा-बोधक और उपयोगी हैं।
Rashtra-Sadhak Narendra Modi
- Author Name:
R. Balashankar
- Book Type:

- Description: "नरेंद्र मोदी भारत के अब तक के सबसे परिवर्तनकारी प्रधानमंत्री रहे हैं। लोकप्रियता और पराक्रम में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ दिया है। सुधारों में वह पी.वी. नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी का रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं। उन्होंने भारतीयों में ऐसी आकांक्षा जगाई, जैसी पहले कभी नहीं देखी गई थी। मोदी के नेतृत्व में, भारत ने सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन देखा, जिसमें बी.जे.पी. का उदय सत्ताधारी दल के रूप में एक नई राजनीतिक कहानी तथा शैली के रूप में हुआ, जिसने कांग्रेस की छह दशकों की श्रेष्ठता को समाप्त कर दिया। सरकार आधुनिक, डिजिटल, भ्रष्टाचार-मुक्त, जवाबदेह और विश्वसनीय बन गई तथा जनता को भी अभूतपूर्व रूप से भागीदार बना दिया है। यह जी.एस.टी., विमुद्रीकरण तथा भारत-केंद्रित कूटनीति लेकर आई, पुरानी प्रणालियों और नियमों को समाप्त किया, स्वच्छ भारत अभियान, कल्याणकारी योजनाओं और सड़कों तथा बंदरगाहों के निर्माण के लक्ष्य निश्चित किए। मोदीकेयर, मुफ्त रसोई गैस, स्मार्ट सिटी और कारोबार में आसानी किस प्रकार जीवन बदल रहे हैं; राफेल, लिंचिंग, पुरस्कार वापसी और असहिष्णुता क्या है; मोदी और अरुण जेटली किस प्रकार एन.पी.ए. के कचरे को साफ कर रहे हैं; किस प्रकार सकारात्मक काररवाई के कारण अल्पसंख्यकों, ओ.बी.सी. तथा एस.सी.-एस.टी. समूहों को नया लाभ मिला; अमित शाह ने किस प्रकार बी.जे.पी. को चुनावों में उलट-पुलट देने वाली ताकत बनाया; कैसे नितिन गडकरी ने चार वर्षों में यू.पी.ए. के 10 वर्षों से भी अधिक सड़कें बनवाईं; मोदी ने किस प्रकार अमीरों की साँठगाँठ को समाप्त किया, जिसका पर्दाफाश राडिया टेप में हुआ था; कैसे मोदी ने प्रणालियों को बदला और एक नए भारत का निर्माण किया; मोदी के नेतृत्व को किस प्रकार नैतिकता, भावना और तर्क के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है—यह पुस्तक भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के प्रभाव के विस्तार और भविष्य में इसकी दिशा का आकलन करती है। "
DHYEYA YATRA (SET OF 2 VOL.)-(PB)
- Author Name:
Ed. M. Kant +2
- Book Type:

- Description: This book has no description
Santal Hool Santal-Vidroh : 1854-55
- Author Name:
Dr. S.P. Sinha
- Book Type:

- Description: सन्ताल हूल झारखंड में हुए महान उपनिवेश-विरोधी विद्रोह के वास्तविक स्वरूप और भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में उसके समुचित स्थान को रेखांकित करनेवाली पुस्तक है। भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आदिवासी प्रतिरोध का लम्बा सिलसिला रहा है। छोटानागपुर और सन्ताल परगना के आदिवासियों ने पहाड़ियों और घने जंगलों के अपने गढ़ में अंग्रेजों को कभी भी चैन से नहीं रहने दिया। वे ईस्ट इंडिया कम्पनी की शोषणकारी नीति और भेदभावपूर्ण व्यवस्था से असन्तुष्ट थे। उन्हें उसकी अधीनता स्वीकार नहीं थी। वे अपना राज चाहते थे, इसलिए उन्होंने बार-बार विद्रोह किया। उन्हीं विद्रोहों में से एक था सन्ताल हूल, जो 1857 के बहुचर्चित प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के ठीक पहले 1854-55 में हुआ था। इस विद्रोह के नेता थे सिदो, कानू, चाँद और भैरव। सन्ताल हूल का–जैसा कि अन्य आदिवासी विद्रोहों में भी दिखता है—उपनिवेशवाद विरोधी तेवर और स्वाधीनता का उद्देश्य स्पष्ट था। उसके नेताओं और भागीदारों की शहादत भी असंदिग्ध थी। बावजूद इसके उसके बारे में भ्रम बना रहा और बौद्धिक-अकादमिक जगत में ‘इतिहास को नीचे से देखने’ का विचार पनपने के वर्षों बीत जाने के बाद तक सन्ताल हूल को भारतीय इतिहास की मुख्यधारा में समुचित स्थान नहीं दिया गया। इसी स्थिति के मद्देनजर आदिवासी इतिहास और संस्कृति के अधिकारी विद्वान डॉ. एस.पी. सिन्हा ने इस पुस्तक में सन्ताल हूल के बारे में उपलब्ध तमाम दस्तावेजों, परम्परागत और मौखिक स्रोतों को आधार बनाकर सन्तालों की अपनी व्यवस्था, अंग्रेजी व्यवस्था से उनके असन्तोष, हूल के नेताओं के व्यक्तित्व और नेतृत्व-क्षमता, हूल के उद्देश्य और आदर्श आदि के वास्तविक स्वरूप को सामने रखा है। यह पुस्तक एक ओर सन्ताल हूल सम्बन्धी पहले के अध्ययनों की समीक्षा करती है तो भावी अध्ययनों के लिए एक प्रासंगिक दिशा निर्देश भी प्रस्तावित करती है। सिदो, कानू, चाँद और भैरव जैसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आरम्भिक सूत्रधारों को उनका श्रेय प्रदान करते हुए यह पुस्तक इतिहास के अधूरे परिप्रेक्ष्य को पूरा करती है।
Trishanku Rashtra : Smriti, Swa Aur Samkalin Bharat
- Author Name:
Deepak Kumar
- Book Type:

-
Description:
आज़ादी के सत्तर साल बाद आज भारत हमें जिस रूप में प्राप्त होता है, वह विडम्बनाओं और विरोधाभासों का कहीं से सिला, कहीं से उधड़ा एक जटिल ताना-बाना है। उसका कोई एक रूप नहीं है। विस्तृत भूभाग और इतिहास में दूर तक फैली सांस्कृतिक जड़ों के चलते उसे समझना यूँ भी सहज नहीं है। आज़ादी के बाद बने राष्ट्र के रूप में वह और पेचीदा हुआ है। यहाँ अगर आधुनिकता अपने शुद्धतम रूप में दिखती है तो परम्पराओं की जकड़बन्दी भी उतनी ही कसी हुई है। विकास है तो भ्रष्टाचार भी है, बहुरंगी विविधता में सहअस्तित्व और सहिष्णुता की भावना चमत्कृत करती है तो साम्प्रदायिकता और जातिवाद की भयावह अकुलाहट डराती भी है।
‘त्रिशंकु राष्ट्र’ भारतीय अस्मिता की इसी पहेली को समझने की कोशिश है। निजी और ऐतिहासिक स्मृतियों को व्यापक सामाजिक और सभ्यतागत सन्दर्भों में विश्लेषित करते हुए लेखक ने स्वातंत्र्योत्तर भारत का एक दिलचस्प ख़ाका तैयार किया है जिसमें हम, जाति, धर्म, साम्प्रदायिकता, प्रशासन, भ्रष्टाचार, शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति आदि का गहरा विश्लेषण पाते हैं।
दुर्लभ वाग्विदग्धता के साथ अपने और आसपास के संस्मरणों के आईने से यह किताब भारतीय उपमहाद्वीप के वृहत्तर जीवन की विभिन्न तहों को उघाड़ती है।
Vande Mataram
- Author Name:
Savyasachi Bhattacharya
- Book Type:

-
Description:
राष्ट्रगान ‘वंदे मातरम्’ आरम्भ से ही विवाद के केन्द्र में है। इसकी रचना, लोकप्रियता और विवाद तीनों का इतिहास एक ही है। इतिहासकार और समाजशास्त्री सब्यसाची भट्टाचार्य ने ‘वंदे मातरम्’ पुस्तक में इसी इतिहास-कथा को सिलसिलेवार और सप्रमाण बतलाने का सार्थक यत्न किया है।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने सन् 1870 के दशक के शुरुआती वर्षों में इसे वंदना-गीत के रूप में रचा। 1881 में इसे उपन्यास ‘आनन्दमठ’ में शामिल किया गया। कथा-सन्दर्भ के भीतर इस गीत ने विस्तृत रूपाकार में हिन्दू-युद्धघोष का रूप धारण कर लिया। सन् 1905 में बंगाल के आन्दोलन ने इस गीत को राजनीतिक नारे में तब्दील कर दिया। कहा जाता है कि जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में इसे पहली बार गाया। 1920 तक विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर यह राष्ट्रीय हैसियत पा चुका था। 1930 में गीत के बिम्ब-विधान, व्यंजना और बुतपरस्ती को लेकर व्यापक विरोध हुआ। सन् 1937 में गीत के उन अंशों को छाँट दिया गया, जिनको लेकर आपत्तियाँ थीं तथा शेषांश को राष्ट्रगान के रूप में अपना लिया गया।
विभिन्न समय और सन्दर्भों में गीत के ‘पाठ’ और ‘पाठक’ के बीच जारी संवाद में निरन्तरता और परिवर्तन को जानना इस पुस्तक का सबसे दिलचस्प पहलू है। लेखक इसमें संवाद की ऐतिहासिकता को रेखांकित करता है।
Bharat Mein Angrezi Raj Aur Marxvaad : Vol. 1
- Author Name:
Ramvilas Sharma
- Book Type:

-
Description:
मार्क्सवादी हिन्दी आलोचना और भाषाविज्ञान विषयक युगान्तकारी कृतित्व की कड़ी में डॉ. रामविलास शर्मा की यह एक और उपलब्धि-कृति है। दो खंडो़ में प्रकाशित इतिहास विषयक इस ग्रन्थ का यह पहला खंड है।
छह अध्यायों में विभक्त इस खंड की मुख्य प्रस्थापना यह है कि भारतीय जनता की समाजवादी चेतना उसकी साम्राज्यविरोधी चेतना का ही प्रसार है। इसे साहित्य और राजनीति, दोनों के विश्लेषण और आवश्यक प्रमाणों सहित इस खंड में स्पष्ट किया गया है। इसके पहले अध्याय में रामविलास जी ने विश्व बाज़ार क़ायम करनेवाली ब्रिटिश-नीति की विवेचना की है और सिद्ध किया है कि भारत इसी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। तभी तो भारतीय माल को ब्रिटिश बाज़ार में बेचनेवाले अंग्रेज़ व्यापारी कुछ ही वर्षों के बाद ब्रिटिश माल को भारतीय बाज़ारों में बचने योग्य हो गए। दूसरे अध्याय में गदर, गदर पार्टी और क्रान्तिकारी दल की चर्चा करते हुए जयप्रकाश नारायण, जवाहरलाल नेहरू और मार्क्सवादियों के तत्सम्बन्धी दृष्टिकोण की समीक्षा की गई है। तीसरे अध्याय में लाला हरदयाल, जयप्रकाश और नेहरू की मार्क्सवादी धारणाओं का विवेचन हुआ है। चौथा अध्याय ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण उस हिन्दी साहित्य को सामने रखता है जो 1917 में रूसी क्रान्ति से पूर्व लिखा जाकर भी मार्क्सवादी विचारधारा से सम्बद्ध है। पाँचवें अध्याय में डॉ. शर्मा ने स्वाधीनता-प्राप्ति के लिए समझौतावादी और क्रान्तिकारी, दोनों रुझानों का विश्लेषण करते हुए उन पर किसान-मज़दूर-संगठनों के प्रभाव का आकलन किया है और छठे अध्याय में, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद भारतीय क्रान्तिकारी उभार पर मुस्लिम सम्प्रदायवाद की शक्ल में किए गए साम्राज्यवादी हमले की भीतरी परतों की गहरी पड़ताल की है।
संक्षेप में डॉ. रामविलास शर्मा का यह ग्रन्थ अंग्रेज़ी राज के दौरान भारतीय जनता की साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष-चेतना और उसके विरुद्ध रची गई पेचीदा साज़िशों का पहली बार प्रामाणिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
- Author Name:
Arundhati Roy
- Book Type:

- Description: वर्तमान भारत में असमानता को समझने और उससे निपटने के लिए, अरुंधति रॉय ज़ोर दे कर कहती हैं कि हमें राजनीतिक विकास और एम.के. गांधी का प्रभाव, दोनों का ही परीक्षण करना होगा। सोचना होगा कि क्यों बी.आर. आंबेडकर द्वारा गांधी की लगभग दैवीय छवि को दी गई प्रबुद्ध चुनौती को भारत के कुलीन वर्ग द्वारा दबा दिया गया। राय के विश्लेषण में, हम देखते हैं कि न्याय के लिए आंबेडकर की लड़ाई, जाति को सुदृढ़ करनेवाली नीतियों के पक्ष में, व्यवस्थित रूप से दरकिनार कर दी गई, जिसका परिणाम है वर्तमान भारतीय राष्ट्र जो आज ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र है, विश्वस्तर पर शक्तिशाली है, लेकिन आज भी जो जाति व्यवस्था में आकंठ डूबा है।
Chunav Rajneeti Aur Reporting
- Author Name:
Brajesh Rajput
- Book Type:

- Description: This book has no description
Kingmakers
- Author Name:
Rajgopal Singh Verma
- Book Type:

-
Description:
अठारहवीं सदी में भारत ने राजनैतिक अव्यवस्था, प्रशासनिक दुर्बलता, आर्थिक अवनति और सांस्कृतिक पतन की अकल्पनीय परिस्थितियों का सामना किया। उस दौर के कई बादशाह विलासी और निहायत अदूरदर्शी रहे। ऐसे में व्यभिचार एवं भ्रष्टाचार के मामलों में वृद्धि हुई, जबकि जनकल्याण की अवधारणा पृष्ठभूमि में चली गई थी।
ऐसे समय में सैयद बन्धुओं—सैयद अब्दुल्ला ख़ान और सैयद हुसैन अली ख़ान का उत्कर्ष हुआ। अपने पराक्रम और वीरता के लिए विख्यात ये दोनों भाई मुग़लों के वफ़ादार थे। उनको अपनी विवशता का वास्ता देकर, सत्ता-संघर्ष में भावनात्मक रूप से शहज़ादे फ़र्रूखसियर ने उन्हें अपने पक्ष में कर लिया था। अगले सात सालों तक इन भाइयों का ऐसा सिक्का चला कि बादशाह से कहीं बेहतर स्थिति उनकी रही। शाही विरासत के फ़ैसलों के साथ ही रोज़मर्रा के कामों में भी उनकी निर्णायक दख़ल रही। वस्तुत: वे मुल्क की बादशाहत को बनाने और बिगाड़ने वाले बन बैठे थे।
लेकिन इतना शक्ति सम्पन्न होने पर भी सैयद बन्धुओं को क्या मिला? एक की धोखे से हत्या कर दी गई जबकि दूसरे को ज़हर दे दिया गया। शाही सेना की अग्रिम पंक्ति में रहकर, शत्रुओं से टक्कर लेने वाले वे दोनों भाई, मुग़ल बादशाहों के महलों की राजनीति का शिकार तो नहीं हो गए थे? गलतियाँ तो उनकी भी रही होंगी!
इतिहास के उत्तर मुग़लकालीन इन अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर तलाशने की कोशिश करती यह पहली किताब है, जिसमें ‘किंगमेकर्स’ के रूप में मशहूर सैयद भाइयों के व्यक्तित्व और कृतित्व, उनके उत्कर्ष और पराभव की परतों को उघाड़ने के साथ ही मुग़ल वंश के पतन की स्थितियों पर भी पर्याप्त प्रकाश तथ्यसंगत डाला गया है। यह किताब भारतीय इतिहास के उस कालखंड का एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिसकी अभी तक प्राय: अनदेखी की गई है। लेखक ने इस किताब को उपन्यास जैसी रोचक शैली में लिखा है, परन्तु इतिहास की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता भी बनाए रखी है।
—प्रो. शशि प्रभा
Pashchim Bengal Mein Mau Kranti
- Author Name:
Arun Maheshwari
- Book Type:

-
Description:
अंग्रेज़ों के शासनकाल के दौरान जिस तरह की नीतियाँ चलाई गर्इं उनके कारण पश्चिम बंगाल में कृषि संकट स्थायी रूप से गहरा गया और उससे उत्पन्न सामाजिक–आर्थिक परिस्थितियों ने वहाँ जन–आन्दोलनों को जन्म दिया। इन आन्दोलनों में कम्युनिस्ट पार्टी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही जिसका सिलसिलेवार ब्योरा इस पुस्तक में मिलता है।
संयुक्त मोर्चा सरकारों के काल में जिस तरह भूमि सुधार आन्दोलन व्यापक रूप से प्रारम्भ हुआ था, उसे वाममोर्चा सरकार ने उसकी तार्किक परिणति तक पहुँचाया और पश्चिम बंगाल पूरे भारत में सच्चे भूमि सुधार के एक आदर्श राज्य के रूप में उभरकर सामने आया। पश्चिम बंगाल में पूरे भारत की सिर्फ़ अढ़ाई प्रतिशत ज़मीन होने पर भी सारे भारत में भूमि सुधार कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा भूमिहीनों के बीच बाँटी गई कुल ज़मीन का 20 प्रतिशत हिस्सा पश्चिम बंगाल का है। इसके साथ ही त्रि–स्तरीय पंचायत व्यवस्था और स्वशासी निकायों ने बंगाल के गाँवों में शक्तियों के सन्तुलन को बदल दिया है और इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादन में भी वृद्धि के नए रिकार्ड क़ायम हुए हैं। लेखक ने इस समूचे घटनाक्रम को एक ‘मौन क्रान्ति’ की संज्ञा दी है। इस समूचे उपक्रम में सरकार की भूमिका के साथ ही पार्टी और उसके जन–संगठनों की जो भूमिका रही है, वह इस पुस्तक में तमाम तथ्यों के साथ उभरकर सामने आई है।
निश्चय ही यह न केवल राजनीतिशास्त्र और समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए एक ज़रूरी पुस्तक है, बल्कि आम पाठकों के लिए भी यह जानने का प्रामाणिक स्रोत है कि पश्चिम बंगाल की संयुक्त मोर्चा सरकारों ने कैसे इस आन्दोलन को इसकी सफल परिणति तक पहुँचाया।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...