Dhalti Sanjh Ka Suraj

Dhalti Sanjh Ka Suraj

Authors(s):

Madhu Kankariya

Language:

Hindi

Pages:

199

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

398 mins

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Book Description

<span style="font-weight: 400;">मधु कांकरिया की विशिष्ट पहचान; साहित्य को शोध और समाज के बीहड़ यथार्थ के साथ जोड़कर, मानवीय त्रासदी के अनेक पहलुओं की बारीक जाँच करना है। उपन्यास या कहानी लिखते समय, उनके सामने समाज ही नहीं, मानव कल्याण का अभिप्रेत रहता है। वे साहित्य लेखन को एक अभियान की तरह निभाती हैं। इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि मधु के यहाँ व्यक्ति ग़ायब है। बल्कि व्यक्ति ही उनकी संवेदना और मानसिक उथल-पुथल का संवाहक बनता है। इसलिए उनके लेखन में तरह-तरह के पात्र हैं और हर पात्र की अपनी विसंगति है, अपने वैयक्तिक राग-विराग हैं, अपने संघर्ष हैं तो अपने अनाचार-दुराचार भी हैं। उनके वैविध्यपूर्ण और सामाजिक सरोकारों से सम्पृक्त लेखन में शोध भी है, तथ्य भी पर सबसे ऊपर है, मानवीय अनुभूति और बुनियादी सवालों रूबरू होने की कूवत।&nbsp;</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">इस उपन्यास में जो कथ्य है वह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो जीवन में कथित सफलता अर्जित करने के बाद उसकी सीमाओं को महसूस करता है। उसमें एक तलाश है, अपनी सार्थकता की, अपनी आत्मा की, अर्थवत्ता की। अपने जीवन के लक्ष्य की। यह सब उसे तब हासिल होता है जब वह पड़ाव-दर-पड़ाव अपनी माँ की तलाश में उन गाँवों में जा पहुँचता है जहाँ क़र्ज़े की नोक पर टँगे, जीवन और व्यवस्था से हारे किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। ग्रामीण जीवन के किनारे खड़े-खड़े भी वह देख पाता है कि वहाँ कितनी ग़रीबी है, अभाव है। कुरीतियाँ हैं। शोषण है। सत्ता और बाज़ार का जबरदस्त प्रकोप है। असफलता से किसान नहीं डरता, वह हिम्मत हार जाता है जब वह अपनी क्षमता पर विश्वास खो देता है। जब उसे लगता है कि अब वह किसी काम का नहीं रह गया है। हमारा यह सिस्टम किसान को लगातार यही अहसास करवा रहा है। इन्ही गाँवों में उसे अपना लक्ष्य मिलता है। उसे अपना प्राप्य और कर्मक्षेत्र मिलता है। उसे महसूस होता है कि आज ज़रूरत है गाँव की ओर देखने की।&nbsp;</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">—मृदुला गर्ग</span>

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