Somtirth

Somtirth

Language:

Hindi

Pages:

256

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

512 mins

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Book Description

महमूद ग़ज़नवी ने सोमनाथ लूटा, उसके बाद भारत के हिन्दुओं में मुस्लिमों के प्रति अरुचि जागी, जो और दृढ़ होती गई। ऐसा होना नहीं चाहिए था। महमूद के दो मुख्य सेनापति हिन्दू थे और महमूद धर्म के अगुआ के रूप में नहीं आया था। उसकी भूख सत्ता और सम्पत्ति की थी। उसके धर्माध्यक्ष भी उससे सावधान रहते थे। अन्त में वह भाग निकला। उस समय भारत में बचे हुए उसके साथी शादी कर यहाँ के समाज में मिल गए—जिनसे बाढेल और शेखावत हुए। यहाँ तत्कालीन राजनीतिक–सामाजिक स्थितियों का वर्णन करते हुए उपन्यासकार ने लोगों के निजी सुख–दु:ख तथा दाँव–पेच को भी संजीदगी से उजागर किया है।</p> <p>लेखक ने यहाँ दो महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं—(1) सत्ता और सम्पत्ति के लोभी राजपुरुषों द्वारा धार्मिक प्रजाजनों के बीच खड़ी की गई ग़लतफ़हमी दूर करना, और (2) सृष्टि में व्याप्त कल्याणकारी सौन्दर्य को शिवतत्त्व के रूप में निरूपित करना।</p> <p>ऐतिहासिक तथ्यों के प्रति वफ़ादार रहते हुए लेखक ने कहीं–कहीं छूट भी ली है लेकिन इस तरह कि कथासृष्टि के वातावरण में उपकारक सिद्ध हो।</p> <p>सरस भाषा एवं रोचक शैली में यह उपन्यास पढ़ते हुए महसूस ही नहीं होता कि हम गुजराती उपन्यास का रूपान्तर पढ़ रहे हैं।

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