
Kabir-Kavya Main Kaalbodh
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
264
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
528 mins
Book Description
कबीर का कालविषयक चिन्तन अद्वितीय है। कबीर ने काल के सन्दर्भ को साधारण मनुष्यों से लेकर सुलतानों अर्थात् सत्ता-प्रतिष्ठानों तक कुशलता से जोड़े और यह दिखाया कि सज्जनों को काल त्रस्त नहीं करता, वे कालभय से मुक्त जीवन व्यतीत करते हैं लेकिन अन्यायी और अत्याचारी हमेशा कालभय से गहरे सन्त्रस्त रहते हैं। इस पुस्तक में सुमीता कुकरेती ने यह रेखांकित किया है कि कबीर जैसे कालजयी कवि ने जनमानस को पहचान कर काल का रचनात्मक विश्लेषण किया। कबीर के लिए मृत्यु मानव-जीवन का ऐसा शाश्वत सत्य है जिसके माध्यम से उन्होंने जीवन की महत्ता का प्रतिपादन किया। कबीर का मुख्य उद्देश्य तदयुगीन मानवीय मूल्यों के क्षरण, सामाजिक विषमताओं और अपसंस्कृतियों के बरक्स सही जीवन जीने में विश्वास, समता और न्याय को रखना था। इसीलिए कबीर करुणा का अचूक इस्तेमाल करते हैं और कहीं-कहीं तीखी फटकार लगाते हैं। वह शोषक और अन्यायी वर्ग को उनके जीवन की क्षणभंगुरता समझाकर डराते भी हैं और मानवीय जीवन को उचित तरीके से जीने की राह भी दिखाते हैं।<br>‘कबीर-काव्य में कालबोध’ पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें अध्ययन-क्षेत्र को केवल युग-विशेष तक सीमित नहीं रखा गया है बल्कि कबीर के समकालीन कवियों के अतिरिक्त देशी-विदेशी आधुनिक कवियों और आलोचकों की दृष्टियों का गहरा अध्ययन और उनका तार्किक प्रयोग भी किया गया है। यह इसका वह उल्लेखनीय पक्ष है जो इसे परम्परित शुष्क और प्रायः नकलची शोध-प्रबन्धों और कथित आलोचनात्मक ग्रन्थों से अलग करता है। कबीर की कविता की अनउद्घाटित खूबियों को उद्घाटित करने वाला यह मौलिक कार्य कबीर-काव्य के पैराडाइम को विस्तृत करता है और ऐसा निर्भ्रान्त विमर्श भी रचता है जिससे सार्थक बहस सम्भव होती है। यहाँ हम कबीर के माध्यम से पूर्व मध्यकाल यानी भक्तिकालीन कविता को समझने की विशिष्ट आलोचनात्मक सरणी से भी परिचित होते हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि ‘कबीर-काव्य में कालबोध’ एक महान रचनाकार को समझने की नई साहित्यिक पहल है।<br>पाण्डित्यपूर्ण दार्शनिक विषय को पठनीय बनाते हुए सुमीता कुकरेती ने कबीर का विचार-सम्पन्न समाजशास्त्रीय विवेचन किया है। उन्होंने कबीर काव्य के वास्तविक स्वभाव को जिस गहरी विश्लेषण-दृष्टि के साथ उकेरा है उसमें विचारोत्तेजक बौद्धिक परामर्श मौजूद है। उनके वस्तुनिष्ठ निष्कर्ष और मौलिक स्थापनाएँ विशेष अर्थ रखती हैं।