Mahamoh : Ahilya Ki Jivani
Author:
Pratibha RaiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Unavailable
यदि अहल्या ‘सौन्दर्य’ का प्रतीक है, इन्द्र ‘भोग’ का; गौतम ‘अहं’ का प्रतीक है तो राम ‘त्याग’ एवं ‘भाव’ के प्रतीक हैं। सौन्दर्य का केवल स्थूल रूप ही नहीं होता—सूक्ष्म तत्त्व भी होता है। सौन्दर्य का तत्त्व न समझ पाने पर सौन्दर्य और सौन्दर्यग्राही दोनों ही सौन्दर्य का खंडित रूप ही देख पाते हैं। सौन्दर्य मोह पैदा करता है, और मोहभंग भी करता है। इन्द्र का रूप मोह उत्पन्न करता है, जबकि राम के रूप ने अहल्या का मोहभंग किया है। मोह और मोहभंग के उतार-चढ़ाव के बीच आत्ममुग्धा अहल्या स्वयं ही बन गईं मोह का कारण और स्वयं ही मोह का लक्ष्य। इन्द्र मोह ने अहल्या को पाप की ओर प्रेरित किया था, जबकि राम-भाव ने प्रेरित किया था—मोक्ष की ओर। पाप से मोक्ष तक के उत्तरण पथ पर गौतम थे एक दंडाधिकारी प्रशासक मात्र। अहल्या की प्रेमाकांक्षा का रामाकांक्षा में बदल जाना ही अहल्या की तपस्या और मोक्ष है।</p>
<p>युगों से परे ‘महामोह’ है इन्द्र, गौतम और अहल्या के मोह एवं मोहभंग का आख्यान—भ्रान्ति और उत्थान की आख्यायिका।</p>
<p>
ISBN: 9788126724888
Pages: 480
Avg Reading Time: 16 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Somtirth
- Author Name:
Raghuveer Chaudhary
- Book Type:

-
Description:
महमूद ग़ज़नवी ने सोमनाथ लूटा, उसके बाद भारत के हिन्दुओं में मुस्लिमों के प्रति अरुचि जागी, जो और दृढ़ होती गई। ऐसा होना नहीं चाहिए था। महमूद के दो मुख्य सेनापति हिन्दू थे और महमूद धर्म के अगुआ के रूप में नहीं आया था। उसकी भूख सत्ता और सम्पत्ति की थी। उसके धर्माध्यक्ष भी उससे सावधान रहते थे। अन्त में वह भाग निकला। उस समय भारत में बचे हुए उसके साथी शादी कर यहाँ के समाज में मिल गए—जिनसे बाढेल और शेखावत हुए। यहाँ तत्कालीन राजनीतिक–सामाजिक स्थितियों का वर्णन करते हुए उपन्यासकार ने लोगों के निजी सुख–दु:ख तथा दाँव–पेच को भी संजीदगी से उजागर किया है।
लेखक ने यहाँ दो महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं—(1) सत्ता और सम्पत्ति के लोभी राजपुरुषों द्वारा धार्मिक प्रजाजनों के बीच खड़ी की गई ग़लतफ़हमी दूर करना, और (2) सृष्टि में व्याप्त कल्याणकारी सौन्दर्य को शिवतत्त्व के रूप में निरूपित करना।
ऐतिहासिक तथ्यों के प्रति वफ़ादार रहते हुए लेखक ने कहीं–कहीं छूट भी ली है लेकिन इस तरह कि कथासृष्टि के वातावरण में उपकारक सिद्ध हो।
सरस भाषा एवं रोचक शैली में यह उपन्यास पढ़ते हुए महसूस ही नहीं होता कि हम गुजराती उपन्यास का रूपान्तर पढ़ रहे हैं।
Basanti
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

-
Description:
‘झरोखे’, ‘कड़ियाँ’ और ‘तमस’ जैसे तीन विभिन्न आयामी उपन्यासों के बाद ‘बसन्ती’ का आना भीष्म साहनी के निर्बंध कथाकार की एक और सृजनात्मक उपलब्धि है। इस उपन्यास में एक ऐसी लड़की का चित्रण है जो मेहनत-मज़दूरी करने के लिए महानगर में आए ग्रामीण परिवार की कठिनाइयों के साथ-साथ बड़ी होती है; और निरन्तर ‘बड़ी’ होती जाती है।
दिल्ली जैसे महानगर में नए-नए सेक्टर और कॉलोनियाँ उठानेवालों की आए दिन टूटती झुग्गी-बस्तियों में टूटते ग़रीब लोगों, रिश्ते-नातों, सपनों और घरौंदों के बीच मात्र बसन्ती ही है जो साबुत नज़र आती है। वह अपने परिवार, परिवेश और परम्परागत नैतिकता से विद्रोह करती है। यह विद्रोह उसे दैहिक और मानसिक शोषण तक ले जाता है, पर उसकी निजता को कोई हादसा तोड़ नहीं पाता। प्रेमिका और ‘पत्नी’ के रूप में कठिन-से-कठिन हालात को ‘तो क्या बीबी जी’ कहकर उड़ाने और खिलखिलाने में ही जैसे बसन्ती की सार्थकता है। दूसरे शब्दों में वह एक जीती-जागती जिजीविषा है।
Pehla Aadmi
- Author Name:
Albert Camus
- Book Type:

-
Description:
पहला आदमी कामू का अन्तिम उपन्यास है। एक प्रकार से यह उनकी आत्मकथात्मक कृति है।
1960 में हुई एक कार दुर्घटना में जब कामू की मृत्यु हुई तो उनके हाथ में थमे ब्रीफकेस में इस उपन्यास की पांडुलिपि थी; काफी कुछ अधूरी और असंशोधित।
कामू की पत्नी ने इसे प्रकाशित नहीं होने दिया था। कई वर्ष बाद 1993 में अपनी माँ के निधन के बाद कामू की पुत्री कैथरीन ने ‘पहला आदमी’ बिना किसी संशोधन के प्रकाशित करने का निर्णय लिया। चूँकि लिखने के दौरान कामू द्वारा पांडुलिपि पर अंकित टिप्पणियाँ और परिवर्तन के लिए स्वयं को दी गई हिदायतें भी प्रकाशित की गईं इसलिए यह उपन्यास कामू के शोधार्थियों के लिए अमूल्य दस्तावेज़ और विश्व साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण घटना साबित हुआ। ‘पहला आदमी’ ने कामू के उन आलोचकों को भी शान्त कर दिया जो कहते थे कि ‘प्लेग’ के बाद कामू की सर्जनात्मक क्षमता चुक गई थी। ‘पहला आदमी’ में अपने पिता की खोज करता हुआ चालीस वर्षीय नायक जाक कारमॅरी अपने अतीत पर एक गहरी निगाह डालता है और अपनी अभाव से भरी ज़िन्दगी में भी जीवित रहने की गहरी इच्छा का परिचय देता है। कामू इस कृति में आत्मकथ्य के ज़रिए ग़रीबी का सामाजिक इतिहास रचते चले जाते हैं।
उपन्यास दो भागों में विभक्त है : ‘पिता की खोज’, और ‘पुत्र’। वह पिता जिसकी खोज नायक कर रहा है, कामू के पिता की तरह ही पहले विश्वयुद्ध में मारा जा चुका है। कारमॅरी की माँ का अनपढ़, बहरा, मितभाषी होना और चुपचाप यातनाएँ झेलते रहना पिता की खोज में उसी तरह बाधा डालता है जैसे कामू की माँ के स्वभाव ने उनके वास्तविक जीवन में बाधा डाली थी।
इस उपन्यास का शीर्षक ‘पहला आदमी’—चर्चा का विषय रहा है। कौन है यह पहला आदमी—पिता, पुत्र या वह अल्जीरिया निवासी, फ्रांसीसी या अरब या कोई भी वह निर्धन आदमी जिसकी मृत्यु के साथ उसका नाम-निशान तक मिट जाता है, कुछ शेष नहीं रहता? यह उपन्यास आपको भी यह उत्तर ढूँढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।
दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में अनूदित इस उपन्यास को सीधे फ्रेंच से हिन्दी में भाषान्तरित किया है डॉ. शरद चन्द्रा ने।
Khwab Ke Do Din
- Author Name:
Yashwant Vyas
- Book Type:

-
Description:
मैं बुरी तरह सपने देखता रहा हूँ। चूँकि सपने देखना-न-देखना अपने बस में नहीं होता, मैंने भी इन्हें देखा। आप सबकी तरह मैंने भी कभी नहीं चाहा कि स्वप्न फ़्रायड या युंग जैसों की सैद्धान्तिकता से आक्रान्त होकर आएँ या प्रसव पीड़ा की नीम बेहोशी में अखिल विश्व के पापनिवारक-ईश्वर के नए अवतार की सुखद आकाशवाणी के प्ले-बैक के साथ।
मीडिया के ईथर में तैरते हुए 1992 की नीम बेहोशी में ‘चिन्ताघर’ नामक लम्बा स्वप्न देखा गया था और चौदह बरस बाद अपने सिरहाने रखी 2006 की डायरी में जो सफे मिले, उनका नाम था—‘कॉमरेड गोडसे’। ऐसे जैसे एक बनवास से दूसरे बनवास में जाते हुए ख़्वाब के दो दिन।
कुछ लोग कहते हैं, तब अख़बारों के एडीटर की जगह मालिक के नाम ही छपते थे, चौदह साल बाद कहने लगे इश्तहारों और सूचनाओं के बंडलों पर जो एडीटर का नाम छपता है, वह मालिक के हुक्म बिना इंच भर न इधर हो, न उधर। कुछ लोग कहते हैं, बड़ा ईमान था जो हाथ से लिखते थे, चौदह साल बाद कहने लगे छोटा कम्प्यूटर है लाखों-लाख पढ़ते हैं।
तब एक लड़का था जो ‘चिन्ताघर’ में घूमता, मुट्ठियों में पसीने को तेजाब बनाता, दियासलाई उछालना चाहता था। चौदह साल बाद दो हो गए, जो ज़ोरदार मालिक और चमकदार एडीटर के चपरासी और साथी की शक्ल में आत्माओं के छुरे उठाए फिरते हैं। पहले दिन से चौदह बरस बाद के बनवासी दिन टकरा-टकरा कर चिंगारियाँ फेंकते हैं। इन चिंगारियों में हुई सुबह ख़्वाबों को खोल-खोल दे रही है।
आज इस सुबह सपनों की प्रकृति के अनुरूप भयंकर रूप से एक-दूसरे में गुम काल, स्थान और पात्रों के साथ मैं अपने सपनों की यथासम्भव जमावट का एक चालू चिट्ठा आपको पेश करता हूँ।
Nirupama
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

-
Description:
रचनाक्रम की दृष्टि से ‘निरुपमा’ निराला का चौथा उपन्यास है। पहले के तीन उपन्यासों—‘अप्सरा’, ‘अलका’ और ‘प्रभावती’ की तरह इस उपन्यास का कथानक भी घटना-प्रधान है। स्वतंत्रता-आन्दोलन के दिनों में, ख़ासकर बंगाल में समाज-सुधार की लहर पूरे उभार पर थी। निराला का बंगाल से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा, इसलिए उनके उपन्यासों में समाज-सुधार का स्वर बहुत मुखर है। लेकिन इसे समाज-सुधार न कहकर सामन्ती रूढ़ियों से विद्रोह कहें तो अधिक उपयुक्त होगा। ‘निरुपमा’ में उन्होंने ऐसे ही विद्रोही चरित्रों की अवतारणा की है। जनवादी चेतना से ओतप्रोत नवशिक्षित तरुण-तरुणियों के रूप में कृष्णकुमार, कमल और निरुपमा के चरित्र, नन्दकिशोर नवल के शब्दों में, ‘‘सामन्ती रूढ़ियों को तोड़कर समाज के सम्मुख एक आदर्श रखते हैं। उनके मार्ग में बाधाएँ आती हैं, पर वे उनसे विचलित नहीं होते और संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य तक पहुँचते हैं।’’ कमल और निरुपमा के माध्यम से निराला ने नारी-जाति की मुक्ति का भी पथ प्रशस्त किया है।
सन् 1935 के आसपास लिखा गया निराला का यह उपन्यास हमारे लिए आज भी कितना नया और प्रासंगिक है, यह इसे पढ़कर ही जाना जा सकता है।
Chhote-Chhote Sawal
- Author Name:
Dushyant Kumar
- Book Type:

-
Description:
छोटे-छोटे सवाल—यानी हमारे शैक्षिक ढाँचे पर, और कहीं भी बैठ उसे बनाते, बिगाड़ते चन्द दकियानूस दिमाग़ों की भ्रष्ट कारगुज़ारियों पर लगे बड़े-बड़े प्रश्नचिह्न। ऐसे प्रश्नचिह्न, जो दिन-ब-दिन फंदे की तरह कसते जा रहे हैं और न सिर्फ़ क़स्बाई स्कूल-कॉलेज, बल्कि नगरीय-महानगरीय विद्यालय-महाविद्यालय तक जिनकी गिरफ़्त में दम तोड़ते लग रहे हैं।
यह उपन्यास बड़े-बड़े सवालों से भी बड़े कुछ ऐसे ही छोटे-छोटे सवालों से सीधे टकराने की हिमायत करता है।
निस्सन्देह, एक अंचल विशेष से जुड़कर भी यह उपन्यास राष्ट्रव्यापी शिक्षा-समस्याओं की दोषपूर्ण बुनियाद को हिलाने की ताक़त रखता है।
Mukhyamantri
- Author Name:
Chanakya Sen
- Book Type:

-
Description:
‘मुख्यमंत्री’ एक राजनीतिक उपन्यास है। इसमें भारत के समकालीन राजनीतिक जीवन का आश्चर्यजनक यथार्थ चित्रण है। यह कृति वर्तमान भारतीय जीवन की तीखी आलोचना है। कृष्ण द्वैपायन कौशल का दुर्धर्ष व्यक्तित्व, उसकी रसिकता, उसके कुटिल राजनीतिक दाँव-पेच, अपने राजनीतिक संगी-साथियों के दोषों और कमज़ोरियों को पहचानने का उसका बुद्धिकौशल तथा सत्ता हथियाने के लिए सिद्धान्तों की भी निर्ममतापूर्वक
हत्या करने में गुरेज़ न करना—इन सबके कारण वह एक जीवन्त और शक्तिशाली चरित्र बन गया है। इसके साथ ही उपन्यास में उन अनेक राजनीतिज्ञों का भी बड़ा मार्मिक चित्रण हुआ है जिन्हें हमने देखा-सुना तो है, पर जिनके बारे में हमने कुछ अस्पष्ट-सी धारणाएँ बना रखी हैं। किन्तु उपन्यासकार ने इन सबको पूरे फ़ोकस में लाकर खड़ा कर दिया है।
‘मुख्यमंत्री’ मूल बांग्ला में 1966 में प्रकाशित हुआ था। अब तक इसके अनेक संस्करण हो चुके हैं। यह एक असाधारण उपन्यास है। भारतीय भाषाओं में लिखे गए राजनीतिक उपन्यासों में मुख्यमंत्री अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। भारतीय राजनीति के चारित्रिक ह्रास को समग्रता में उद्घाटित करता इसका कथानक ऐतिहासिक साहित्यिक दस्तावेज़ बन जाता है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के तत्काल बाद के वर्षों में राजनीतिक सत्ता पाने और बनाए रखने के लिए जोड़-तोड़ के जिन समीकरणों को स्थापित किया गया उन्होंने ही आगे चलकर सम्पूर्ण भारतीय राजनीति में चारित्रिक प्रदूषण फैलाया है। स्वतंत्रतापूर्व के आदर्श स्वातंत्र्योत्तर भारत की राजनीति में किस प्रकार एकांगी व असहाय हो गए यह भी इस उपन्यास में देखा जा सकता है।
स्वतंत्रता के बाद के वर्षों की यह कथा हमारी आज की व्यथा से अलग नहीं है। यही वजह है कि यह उपन्यास वर्षों बाद भी प्रासंगिक है, बल्कि कहना चाहिए कि आज और अधिक प्रासंगिक है।
Agnileek
- Author Name:
Hrishikesh Sulabh
- Book Type:

-
Description:
अग्निलीक’ उपन्यास आज़ादी के उत्तरार्द्ध की वह कथा है जिसके रक्त में आज़ादी के पूर्वार्द्ध यानी अठारह सौ सत्तावन के विद्रोह के गर्व की गरमाहट तो है, लेकिन अँग्रेज़ों के ख़िलाफ़ कभी जो हिदू-मुसलमान एक साथ लड़े थे, आज उसी ज़मीन पर बदली हुई राजनीति का खेल ऐसा कि उनके मंतव्य भी बदल गए है और मंसूबे भी। यह हिन्दी का सम्भवत: पहला उपन्यास है जिसमें हिन्दू-मुसलमान अपनी जातीय और वर्गीय ताक़त के साथ उपस्थित हैं। और यही कारण कि कथा शमशेर साँई के क़त्ल से शुरू होती है, उसकी गुत्थी मुखिया लीलाधर यादव और सरपंच अकरम अंसारी के बीच अन्तत: रहस्यमय बनी रहती है। क़ानून भी ताक़त के साथ ही खड़ा। असल में टूटते-छूटते सामन्तवाद के युग में अपने वर्चस्व को बनाए रखने की राजनीति क्या हो सकती है, इसे भावी मुखिया लीलाधर यादव की पोती रेवती के ज़रिए जिस रणनीति को लेखक ने गहराई से साधा है, उससे न सिर्फ़ बिहार को बल्कि भारतीय राजनीति में गहरी ज़ड़े जमा चुके वंशवाद को भी देखा-समझा जा सकता है। साथ ही यह भी कि इसको मज़बूत बनाने में रेशमा कलवारिन के रूप में उभरती हुई स्त्री-शक्ति का भी इस्तेमाल कितनी चालाकी से किया जा सकता है।
‘अग्निलीक’ अपने काल के घटना-क्रम में जीवन के कई मोड़ों से गुज़री रेशमा कलवारिन के साथ-साथ कई अन्य स्त्री-चरित्रों की अविस्मरणीय कथा बाँचता उपन्यास है। वह चाहे कभी प्रेम में रँगी यशोदा हो या उनकी पोती रेवती जिसके प्रेमी की उसका भाई ही अछूत होने के कारण हत्या कर देता है। सरपंच अकरम अंसारी के साथ बिन ब्याहे रहनेवाली उसी की फूफेरी बहन मुन्नी बी हो या शमशेर साँई को बेवा गुलबानो; सब अलग होते हुए भी उपन्यास को मुख्य कथा से अभिन्न रूप में जुड़े हुए हैं। यह उपन्यास महात्मा गाँधी के सपनों के गाँवों का उपन्यास नहीं है, इसमें वे गाँव हैं जो ‘हिन्द स्वराज’ की क़ब्र पर खड़े हैं। यहाँ जो हैं कलाली के धंधे में हैं, गंजेड़ी-जुआरी भी हैं। यहाँ राजनीति में प्रतिद्वंद्वी कट्टर दुश्मन हैं। जिन्हें अपने बच्चों की शिक्षा की फिक्र है, गाँव छोड़ चुके हैं। लेकिन हाँ, यहाँ जो स्त्रियाँ हैं, वे सिर्फ भोग की वस्तु नहीं हैं, मुक्ति का साहस भी रचना जानती हैं।
अग्निलीक पुरबियों के जीवन-यथार्थ की दुर्लभ कथा है।
Hata Rahim
- Author Name:
Virendra Sarang
- Book Type:

-
Description:
क्या किसी व्यक्ति या समाज का अस्तित्व महज़ एक संस्था या कुछ सूचनाओं में सीमित हो सकता है? आज के उत्तर-आधुनिक दौर की सच्चाई यही है कि देश और दुनिया की विशाल से विशालतर होती जाती आबादी में एक सामान्य जन जनसंख्या सूची की एक संख्या में सिमटकर रह जाने को अभिशप्त है। जनगणना का सूत्र लेकर चर्चित रचनाकार वीरेन्द्र सारंग का यह उपन्यास अत्यन्त तर्कसंगत ढंग से न सिर्फ़ इस दुरवस्था को उजागर करता है, बल्कि पूरी दृढ़ता से यह स्थापित करता है कि कुछ औपचारिक संख्याओं-सूचनाओं से किसी व्यक्ति या समाज की वास्तविक स्थिति-परिस्थिति को सम्पूर्णता में समझा नहीं जा सकता। मुख्य पात्र देवीप्रसाद की नज़र से यह उपन्यास एक बस्ती के तमाम दृश्य-अदृश्य रंग-रेशों को उजागर करता है, जहाँ अभावग्रस्तता और जड़ता आम है। लेकिन प्रतिकूलताओं की परतों के नीचे दबे सकारात्मक बदलाव के बीज अभी निर्जीव नहीं हुए हैं।
‘हाता रहीम’ की कहानी बेशक एक बस्ती में घूमती है, लेकिन तसले में सीझ रहे सारे चावलों का हाल एक दाने से जानने की तरह यह भारत के तमाम गाँवों-क़स्बों के समसामयिक यथार्थ का उद्घाटन करती है। सरकारी तंत्र इन गाँवों-क़स्बों के उद्धार का वादा करने में कभी कोताही नहीं करता, मगर किसी फ़ॉर्म के दस-बीस या तीस कॉलमों में लोगों की सूचनाएँ दर्ज करने की औपचारिकता से आगे उसकी दृष्टि प्राय: नहीं जा पाती। इस स्थिति में उपन्यास बतलाता है कि स्वप्न का सच्चाई में बदलना सम्भव नहीं है। उपन्यास का मुख्य चरित्र अपने विशिष्ट दृष्टिकोण के कारण एक ओर समाज के लिए प्रेरक की भूमिका निभाता है तो दूसरी ओर प्रतिकूल समय में व्यक्तिगत निष्ठा से समष्टिगत हित के सृजन संवर्धन का सन्देश भी देता है।
जनगणना विषय पर कथा साहित्य का एकमात्र यह पहला उपन्यास अपने तेवर में ख़ास है। एक अत्यन्त पठनीय कृति।
Smritipath
- Author Name:
Dhirendra Verma
- Book Type:

-
Description:
स्मृतिपथ
स्मृतिपथ धीरेन्द्र वर्मा का सातवाँ उपन्यास है। स्मृतिपथ इस अर्थ में एक उपन्यास है कि इसमें एक कहानी है, जो कल्पना पर आधारित है परन्तु यह एक कथा इस अर्थ में नहीं है कि यह कथाक्रम के पारम्परिक परिभाषा से पृथक् और भिन्न है। इसमें जीवन के आधारभूत मूल्यों का विश्लेषण किया गया है। स्मृतिपथ की कथा का किसी देश, काल या परिस्थिति से सीधा सम्बन्ध नहीं है और इसका परिदृश्य सार्वभौमिक है।
स्मृतिपथ एक कहानी न होकर एक धारणा है जो मनुष्य के जीवन से अपरिहार्य रूप से जुड़ी हुई है। इस सम्पूर्ण सृष्टि में जहाँ भी जीवन है, सभ्यता है, वहाँ के प्राणियों को एक सशक्त ‘स्मृति’ मिली है और एक ‘पथ’ मिला है जिस पर उन्हें चलना है, और बढ़ना है। अपनी जीवनयात्रा में हमें अपने स्वविवेक से अपना मार्ग चुनकर अपने गन्तव्य की ओर बढ़ना होता है और इस जीवन यात्रा को हम अपनी स्मृति के कोश में संचित करते हुए अपने स्मृतिपथ पर अपने कर्मों को छायांकित करते जाते हैं जिससे हम अपने इस जीवन के भाग्य का और अपने पुनर्जन्म का निर्धारण करते हैं।
Anaro
- Author Name:
Manjul Bhagat
- Book Type:

- Description: ''कहाँ गया गंजी का बाप?...दिल डूब रहा है...अनारो, तू डूब चली...उड़ चली तू...अनारो, उड़ मत...धरती? धरती कहाँ गई?...पाँव टेक ले...हिम्मत कर...थाम ले रे...नन्दलाल! हमें बेटी ब्याहनी है!...यहाँ तो दलदल बन गया!...मैं सन गई पूरी की पूरी...हाय! नन्दलाल...गंजी...छोटू!'' महानगरीय झुग्गी कॉलोनी में रहकर कोठियों में खटनेवाली अनारो की इस चीख़ में किसी एक अनारो की नहीं, बल्कि प्रत्येक उस स्त्री की त्रासदी छुपी है जो आर्थिक अभावों, सामाजिक रूढ़ियों और पुरुष अत्याचार के पहाड़ ढोते हुए भी सम्मान सहित जीने का संघर्ष करती है। सौत, ग़रीबी और बच्चे; नन्दलाल ने उसे क्या नहीं दिया? फिर भी वह उसकी ब्याहता है, उस पर गुमान करती है और चाहती है कि कारज-त्यौहार में वह उसके बराबर तो खड़ा रहे। दरअसल अनारो दु:ख और जीवट से एक साथ रची गई ऐसी मूरत है, जिसमें उसके वर्ग की सारी भयावह सच्चाइयाँ पूँजीभूत हो उठी हैं।
Parvati Chachi
- Author Name:
Vijay Kumar
- Book Type:

- Description: Parvati Chachi
Maut ki Kitab
- Author Name:
Khalid Javed
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Virus
- Author Name:
Jayant Vishnu Narlikar
- Book Type:

-
Description:
विज्ञान-गल्प सम्भवतः हिन्दी गद्य का सबसे उपेक्षित कोना है। न सिर्फ़ यह कि इसमें मौलिक रचनाएँ नहीं होतीं, बल्कि अन्यान्य भाषाओं से विज्ञान-कथाओं के अनुवाद भी अकसर नहीं किए जाते। ‘वाइरस’ इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक प्रयास है। यह उपन्यास कम्प्यूटरीकृत विश्व के सम्मुख एक भयावह परिकल्पना रखता है, जो ज़रूरी नहीं कि सच हो ही; लेकिन हो भी सकती है। श्रेष्ठ विज्ञान-गल्प का प्रस्थान-बिन्दु यह ‘हो सकने’ की सम्भावना ही होती है जो इतिहास में अनेक बार सच भी साबित हो चुकी है।
‘वाइरस’ की परिकल्पना का आधार कम्प्यूटर-प्रणाली की आम बीमारी वाइरस है लेकिन यह वाइरस आम नहीं है, वह एक साथ पूरे विश्व के कम्प्यूटरों को अपनी गिरफ़्त में लेता है और सभ्यता को पुनः उस युग में लौटने की आशंका खड़ी कर देता है, जब कम्प्यूटर नहीं थे, और तमाम काम मानव-श्रम की धीमी गति से होते थे। इस संकट को सामने देख पूरा विश्व अपने राजनैतिक मतभेद भुलाकर एकजुट होता है, और दुनिया के सात श्रेष्ठ वैज्ञानिक इसके कारणों की तलाश में जुट जाते हैं। और, जो कारण सामने आता है, वह इस उपन्यास की आधारभूत परिकल्पना का सर्वाधिक उत्तेजक और हमारी कल्पना के लिए स्तब्धकारी अंश है।
मराठी विज्ञान-ग़ल्प के प्रतिष्ठित लेखक की इस रचना में वे सभी गुण—यथा, तथ्यात्मकता, तर्कसंगति, कल्पना और मानव-कल्याण—हैं जो एक श्रेष्ठ विज्ञान-कथा में होने चाहिए।
Mokshawan
- Author Name:
Bhagwandas Morwal
- Book Type:

-
Description:
वृन्दावन को कृष्ण की क्रीड़ा-स्थली के रूप में जाना जाता है। श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का यह केन्द्र वर्षों से न सिर्फ़ भारत बल्कि दुनिया-भर के कृष्ण-प्रेमियों को आकर्षित करता आ रहा है।
लेकिन इस धार्मिक नगरी का एक पक्ष और है—यहाँ रहनेवाली विधवाएँ और उनका त्रासद जीवन। देश-भर से वे स्त्रियाँ जिन्हें विधवा हो जाने के बाद अपने घर या ससुराल, कहीं भी ठिकाना नहीं मिलता, वे वृन्दावन चली आती हैं। वे चाहे जिस आयु की हों।
प्रतिष्ठित कथाकार और अपने हर उपन्यास के लिए व्यापक अध्ययन करनेवाले भगवानदास मोरवाल ने ‘मोक्षवन’ में इसी विषय को उठाया है। इसके लिए उन्होंने वृन्दावन में काफ़ी समय भी बिताया और सम्बन्धित सामग्री की खोज-बीन की।
इस कथाकृति में आज के वृन्दावन, उसके मन्दिरों, परम्पराओं, गलियों-मुहल्लों, देवस्थानों आदि का एक विराट दृश्य रचते हुए, वे विधवाओं के दैनिक दुखों, जीवन-चर्या, वृन्दावन के धािर्मक वातावरण में उनकी दृश्यता का एक प्रामाणिक और मार्मिक चित्र प्रस्तुत करते हैं।
कहानी कोलकाता से आई युवा विधवा हरिदासी की है, जो मोक्ष की इस यात्रा में अत्यन्त दुख सहन करते हुए अन्तत: संसार को विदा कह देती है और भारतीय संस्कृति से जुड़े कई ऐसे सवालों को उठा जाती है जिन पर हमारा समाज अकसर मौन रहता है।
वृंदावन के साथ-साथ इस उपन्यास में बंगाल की लाल सौंधी मिट्टी की महक और कपास के सफ़ेद फूलों की कोमल बेचैनी भी रह-रहकर पाठक को उद्वेलित करती है।
Dukhmochan
- Author Name:
Nagarjun
- Book Type:

-
Description:
दु:खमोचन एक गाँव की कहानी है—ऐसे एक पिछड़े गाँव की कहानी, जहाँ युगों से निश्चल पड़ी जिंदगी नए युग की रोशनी पाकर धीरे–धीरे जाग रही है। मौजूदा परिवेश में प्रकारान्तर से यह देश के हर पिछड़े गाँव के जागने की कहानी है। दुखमोचन में लोकजीवन के चितेरे कथाकार नागार्जुन ने अलग–अलग जातियों और वर्गों में बँटे उस ठेठ देहाती समाज का जीवन्त चित्रण किया है, जो आज भी अभावों और विवशताओं में जीता है।
‘दुखमोचन’ एक छोटा मगर शक्तिशाली उपन्यास है। इसका नायक ‘दुखमोचन’ नई युग–चेतना का संवाहक है। अन्ध रूढ़ियों और पुराने संस्कारों से ग्रस्त समाज में बदलाव लाने के लिए वह जो संघर्ष करता है, उसे कथाकार ने बड़ी मार्मिकता से चित्रित किया है। पीड़ितों और दलितों के रहबर के रूप में दुखमोचन की भूमिका जहाँ मन में प्रेरणा जगाती है, वहीं नित्याबाबू और त्रिजुगी चौधरी जैसे गाँव के इने–गिने सम्पन्न लोगों के फरेबों और कुचक्रों से रोष उत्पन्न होता है।
Devki Ka Athwa Beta
- Author Name:
Yogendra Pratap Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Naari
- Author Name:
Siyaramsharan Gupt
- Book Type:

-
Description:
चिरन्तन नारी युग-युग के अन्धकार में, उसे तुच्छ करके चिरकाल से आगे बढ़ती जा रही है, दु:ख और विपत्ति के अँधियारे पथ को पददलित करती हुई। उसे कोई भय नहीं है, कोई चिन्ता नहीं है। यही वह भाव है, यही वह मूल-मंत्र है, जिसके इर्द-गिर्द प्रसिद्ध उपन्यासकार सियारामशरण गुप्त जी ने इस उपन्यास का ताना-बाना बुना है, जो रोचक है, उत्कृष्ट मनोरंजन प्रदान करनेवाला है, और दिशाहीन होते समाज को सही दिशा दिखानेवाला भी है।
नारी सहित प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर की सृष्टि है। इसी कारण ईश्वर की तरह वह गहन भी है। ईश्वर की तरह ही कष्ट सहन करके ही उसे ईश्वरीय शक्ति उपलब्ध करना होगा। उचित यही है, करणीय यही है। यही वह मान्यता है, यही वह सिद्धान्त है, जिसे इस उपन्यास में निरूपित किया गया है, स्थापित किया गया है। उपन्यास के पात्र जैसे सजीव होकर इन सर्वोच्च मान्यताओं को अपने क्रिया-कलापों और संवादों से इस प्रकार पूर्णता से स्थापित करते चलते हैं कि पाठक के मन-मस्तिष्क पर उसका स्थायी प्रभाव पड़े।
Crosshatch of Time
- Author Name:
Aswin T Dev
- Book Type:

- Description: Trust, a simple five letter word but a strong one which plays a major role in everyone life. This story is both a fairy tale and a story that shows the reality that life is not always a fairy tale. This tale is about two people, the coincidences in their life leading to different Phase in life. Their journey reaches an abrupt halt due to the distrust between them leading to an unsuccessful marriage. Trust breaks but the love doesn't. They both meet after ten years for their eldest daughter's marriage, the twin brothers come face to face after ten years and the youngest daughter sees her mother's face in real for the first time. A family reunion. Sweet right?? But not for long. Life starts throwing unexpected twists to their life forcing them to trust each other for survival. Can the "two" Trust each other after everything that had happened?? Love was deep inside them but what was on the surface was the broken trust. Can love build back a broken trust??.
Aaina Saaz
- Author Name:
Anamika
- Book Type:

-
Description:
हमारे दौर की राजनीति, समाज, आदमी–सब अपने भीतर से लेकर बाहर तक जाने कैसे तो जंजाल में उलझे हुए हैं, और जब उसे सुलझाने चलते हैं, उस जाल से निकलकर खुली, साफ़ जगह में आने के लिए हाथ-पाँव पटकते हैं तो सुलझते-निकलते नहीं, और उलझ जाते हैं।
क्या नहीं है हमारे पास? जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, अब वह भी है, और भरोसा है कि अब जिसकी कल्पना करेंगे, वह भी कल हो उठेगा।
लेकिन ताला अगर कहीं लग गया है तो वह कल्पना ही पर है; और उसके संगी-साथी दूसरे कई मनोभाव-मनोशक्तियाँ और इनका सरदार एक सूफ़ी मन, उजली कामनाओं, और धरती-आकाश को एक करते धवल सपनों की छतरी; यह सब उस ताले के भीतर कहीं छटपटा-सिसक रहे हैं।
खुसरो एक पैदा हुआ, मध्यकालीन कहे जानेवाले उस साँवले हिन्दुस्तान में जिसकी छतें इतनी ऊँची होती थीं, कि हम बौनों की तिमंज़िला बाँबियाँ उनमें खड़ी हो जाएँ। यह उस ख़ुसरो की आत्मकथा से रचा हुआ उपन्यास है जिसमें ख़ुसरो की चेतना को जीनेवाले आज के कुछ सूफ़ी मनवालों की कहानी भी साथ में पिरो दी गई है।
ख़ुसरो इस कथा में अपना वह सब बताते हैं जिस तक हम उनकी नातों, क़व्वालियों और पहेलियों की ओट में नहीं पहुँच पाते–कि उनका एक परिवार था, एक बेटी थी, बेटे थे, पत्नी थी, और थे निज़ाम पिया जिनकी निगाहों के साए तले उन्होंने वह सब सहा जो एक साफ़, हस्सास दिल अपने ख़ून-सने वक़्तों और बेलगाम सनकों से हासिल कर सकता था।
और इसमें कहानी है सपना की, नफ़ीस की, ललिता दी और सरोज की भी, जो आज के हत्यारे समय के सामने अपने दिल के आईने लिए खड़े हैं, लहूलुहान हो रहे हैं, पर हट नहीं रहे, जा नहीं रहे, क्योंकि वे उकताकर या हारकर अगर चले गए तो न पद्मिनियों के जौहर पर मौन रुदन करनेवाला कोई होगा, न इंसानियत को उसके क्षुद्रतर होते वजूद के लिए एक वृहत्तर विकल्प देनेवाला।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...