Life-Line

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Authors(s):

Mukul Joshi

Language:

Hindi

Pages:

144

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

288 mins

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Book Description

सैनिकों की बात करते ही हमारे मन में उनकी वह छवि उभरती है जिसमें वह वर्दी पहने और हथियार लिये हुए सीमा पर मुस्तैदी से खड़े हैं। ये छवि उनकी बहादुरी और देश के प्रति अथाह निष्ठा के बारे में तो बताती है पर यह नहीं बताती कि वे भी उतने ही साधारण या असाधारण मनुष्य हैं जितना कि कोई दूसरा हो सकता है।</p> <p>सैनिकों के दुर्दम्य जीवन और उनके सुखों-दुखों पर केन्द्रित मुकुल जोशी के कहानी-संग्रह ‘लाइफ़-लाइन’ में कुल ग्यारह कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ सैनिकों के जीवन की इस रूढ़ छवि को जितना पुष्ट करती हैं उतना ही ध्वस्त भी करती हैं। ऐसा करते हुए ये ऐसे सैनिकों को हमारे सामने ले आती हैं जिनके प्रति सिर्फ सम्मान ही नहीं जागता बल्कि उनसे हम कुछ उस तरह से भी प्रेम या लड़ाई कर सकते हैं जैसे अपने किसी भाई या दोस्त के साथ करते हैं। इन कहानियों में 'जैतूनी हरे रंग में डूबे हुए' सैनिकों का जीवन उनके सुख-दुख, स्वप्न-दुःस्वप्न इतने साफ और पारदर्शी रूप में सामने आए हैं कि इसे पढ़ते हुए हम उन्हें सैनिक के रूप में देखने के साथ-साथ मनुष्य के रूप में भी देख पाते हैं। इसे पढ़ते हुए हम बार-बार जानते हैं कि वे अपने पीछे एक गौरव के साथ-साथ बहुत सारा खालीपन छोड़ जाते हैं जिसे कभी भी नहीं भरा जा सकता।</p> <p>—मनोज कुमार पांडेय

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