
Curfew Ki Raat
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
160
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
320 mins
Book Description
शहादत की कहानियाँ हिन्दुस्तान के ज़मीनी यथार्थ का वो चेहरा पेश करती हैं, जो निरन्तर बदल रहा है। हिन्दुस्तान, जिसका सांस्कृतिक बोध एक तरफ़ बहुसंस्कृति के सौन्दर्य को प्रकट करता है तो दूसरी तरफ़ साम्प्रदायिक विद्वेष की उस कुरूपता की शिनाख़्त भी करता चलता है, जो हिन्दुस्तान को एक विभाजित जनसंख्या और धार्मिक पहचान के आधार पर प्रताड़ित मनुष्यता में तब्दील करना चाहता है। मानवीय समाज की धड़कन सुनते इस कथाकार के क़िस्सों में मुस्लिम समुदाय के कई सवाल अंडरकरंट की तरह पाठक को झकझोरते हैं। उन्हें पेश करता कहानीकार मुस्लिम समुदाय की रूढ़िवादिता का भी खुलकर बयान करता है। </p> <p>कहानीकार के रचना संसार में आम जीवन ख़ूब धड़कता है, जिसे रचनाकार बहुत बारीकी से सामने ले आता है। इसमें वे तमाम पूर्वाग्रह भी आ जाते हैं, जो इनसान को किन्हीं ख़ास पहचानों में सीमित करके उनकी सहजता ख़त्म कर देते हैं। ग़ौरतलब है कि पूर्वाग्रही व्यक्ति तो पहले ही असहज है और वह जिनके प्रति पूर्वाग्रही है उनकी दुनिया को भी असहज कर देता है। इस तरह अनेक असहजताएँ दुनिया के बड़े हिस्से में विस्तार पाकर इनसान को बौना कर देती हैं। यह बौनापन सब तरफ के लोगों से उनका इनसान होना छीन रहा है। ‘कर्फ़्यू की रात’ संग्रह की कहानियाँ इस बात की तस्दीक़ करती हैं।</p> <p>— प्रज्ञा रोहिणी