Hansini
Author:
Anton ChekhavPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
हंसनी मुख्य रूप से कलाकारों के अपने रचनात्मक और व्यक्तिगत जीवन के बीच तालमेल न बैठा पाने की पीढ़ी का लेखा-जोखा है। प्रतिष्ठित अभिनेत्री आर्कदीना स्थापित और लोकप्रिय लेखक त्रिगोरिन के प्रेम के बिना ज़िन्दा नहीं रह सकती। त्रिगोरिन रचना-कर्म को बेहद नीरस पाता है, मगर लिखने के लिए अभिशप्त है। उसे अपनी जड़ता तोड़ने के लिए हर बार नई उत्तेजना कि तलाश है और इसकी शिकार होती है—नीना अर्थात् आर्कदीना के पुत्र तेपलेव की प्रेमिका। दोनों को नाटक और लेखन की यानी जीवन के नए मुहावरों की तलाश है।</p>
<p>इस जटिल और उलझी हुई थीम को जिस ख़ूबसूरती से चेख़व ने नाटक का रूप दिया है, वह पूरी दुनिया के नाटकों के इतिहास में अभूतपूर्व है।</p>
<p>इस सन्दर्भ में अनुवादक राजेन्द्र यादव का कथन है : चेख़व की रचनाओं की आत्मीयता, करुणा और ख़ास क़िस्म की निराश उदासी (लगभग आत्मदया जैसी) मुझे बहुत छूती है। मैं उसके प्रभाव से लगभग मोहाच्छन्न था। उसी श्रद्धा से मैंने इन नाटकों को हाथ लगाया था। रूसी भाषा नहीं जनता था, मगर अधिक से अधिक ईमानदारी से उसके नाटकों की मौलिक शक्ति तक पहुँचाना चाहता था। इसलिए तीन अंग्रेज़ी अनुवादों को सामने रखकर एक-एक वाक्य पढ़ता और मूल को पकड़ने कि कोशिश करता। आधार बनाया मॉस्को के अनुवाद को। बाद में सुना, अनुवादों को पाठकों ने पसन्द किया, अनेक रंग-संस्थानों और रेडियो इत्यादि ने इन्हें अपनाया, पाठ्यक्रम में भी उन्हें लिया गया।
ISBN: 9788183618427
Pages: 96
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: सुप्रसिद्ध नाटककार बादल सरकार की यह कृति बांग्ला और हिन्दी दोनों भाषाओं में अनेक बार मंचस्थ हो चुकी हैं। बांग्ला में शम्भू मित्र (‘बहुरूपी’, कलकत्ता) और हिन्दी में श्यामानन्द जालान (‘अनामिका’, कलकत्ता), सत्यदेव दुबे (‘थियेटर यूनिट’, बम्बई) तथा टी.पी. जैन (‘अभियान’, दिल्ली) ने इसे प्रस्तुत किया। गाँव का निर्जन श्मशान, कुत्ते के रोने की आवाज़, धू-धू करती चिता और शव को जलाने के लिए आए चार व्यक्ति—इन्हें लेकर नाटक का प्रारम्भ होता है। हठात् एक पाँचवाँ व्यक्ति भी उपस्थित हो जाता है—जलती हुई चिता से उठकर आई लड़की, जिसने किसी का प्रेम न पाने की व्यथा को सहने में असमर्थ होकर आत्महत्या कर ली थी और जिसके शव को जलाने के लिए मोहल्ले के ये चार व्यक्ति उदारतापूर्वक राजी हो गए थे। आत्महत्या करनेवाली लड़की के जीवन की घटनाओं की चर्चा करते हुए एक-एक करके चारों अपने अतीत की घटनाओं की ओर उन्मुख होते हैं, उन लड़कियों के, उप-घटनाओं के बारे में सोचने को बाध्य होते हैं जो उनके जीवन में आई थीं और जिनका दुखद अवसान उनके ही अन्याय-अविचार के कारण हुआ था । किन्तु ‘पगला घोड़ा’ में नाटककार का उद्देश्य न तो शमशान की बीभत्सता के चित्रण द्वारा बीभत्स रस की सृष्टि करना है और न ही अपराध-बोध का चित्रण। बादल बाबू के शब्दों में यह ‘मिष्टि प्रेमेर गल्प’ अर्थात् ‘मधुर प्रेम-कहानी’ है।
Doosara Adhyay
- Author Name:
Ajay Shukla
- Book Type:

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Description:
साहित्य कला परिषद् द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार—1993 से सम्मानित नाटक। स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित इस नाटक में नाटकीय द्रशत्व की अपेक्षा कथात्मकता अधिक है। पात्र भी दो ही हैं, और इसका पूरा ताना-बाना यथार्थ, स्मृति और कल्पना और अति कल्पना के झिलमिल रंगों से बना है। इस रचना का वास्तविक आकर्षण चरित्रों की जटिलता, स्थिति की विडम्बना और सहज किन्तु जीवन्त भाषा संवाद में है। आधुनिक खोखले जीवन का साक्षात् दर्शन है—यह नाटक। प्रत्यक्ष कथानक के आगे जाकर यह नाटक अनेक प्रश्नों को खड़ा करता है कि हमारे स्थापित मूल्यों का आधार क्या है।
Chor Nikal Ke Bhaga
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

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Description:
समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य, नाटक और पत्रकारिता को अपनी रचनात्मक उपस्थिति से समृद्ध करनेवाली रचनाकार मृणाल पाण्डे की यह नवीनतम नाट्यकृति है। हिन्दी रंगमंच पर भी यह नाटक पिछले दिनों विशेष चर्चित रहा है।
हास्य-व्यंग्य से भरपूर अपने चुटीले भाषा-शिल्प और लोकनाट्य की अनेक दृश्य-छवियों को उजागर करता हुआ यह नाटक वस्तुत: हमारी कला-संस्कृति के बाज़ारीकरण से जुड़े सवालों को उठाता है। कला, सौन्दर्य, प्रेम और परम्परा जैसे तमाम मूल्यों का सौदा हो रहा है, और इस सौदे में राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कितने ही सफ़ेदपोश शामिल हैं।
नाटक की उक्त अन्तर्वस्तु को उद्घाटित करने के लिए लेखिका ने प्रेम और सौन्दर्य के प्रतीक ताजमहल की चोरी की कल्पना की है। वास्तव में यह एक फंतासी भी है, जिसके सहारे लेखिका उन मानव-मूल्यों पर मँडराते ख़तरों को रेखांकित करती है, जिनकी सफलता मनुष्य जाति की तमाम कलात्मक उपलब्धियों को निरर्थक कर देगी। साथ ही वह कलाओं के उस जनतंत्र को भी लक्षित करती है, जिसे लेकर सत्ता-स्वायत्ता जैसी बहसें अक्सर होती रहती हैं। कहना न होगा कि मृणाल पाण्डे की यह नाट्य-रचना अपने हास्यावरण में गम्भीर अर्थों तक जाने की क्षमता लिए हुए है।
Shri Maithlisharan Gupt Ke Natak
- Author Name:
Maithlisharan Gupt
- Book Type:

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Description:
श्रीमैथिलीशरण गुप्त के नाटकों का यह संग्रह एक साथ प्रकाशित होने के कारण ही महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इस अर्थ में और भी महत्त्वपूर्ण है कि अभी तक अप्रकाशित, ‘निष्क्रिय-प्रतिरोध’ और ‘विसर्जन’, नाटकों के पहली बार प्रकाशन के कारण अधिकतर मूल्यवान है। इसमें पाँच मौलिक और चार अनूदित कुल नौ नाटक सम्मिलित हैं। इन सभी प्रकार के नाटकों के चयन में गुप्त जी ने वैविध्य का ध्यान रखा है। इन नाटकों का मुख्य उद्देश्य अपने समय के महत्त्वपूर्ण और चुनौती-भरे प्रश्नों का उत्तर देना रहा है।
‘अनघ’ नाटक अहिंसा, करुणा, लोक-सेवा आदि पर आधारित है। ‘विसर्जन’ में पहली बार बेगार प्रथा की ख़िलाफ़त की गई है। यह बेगार प्रथा और शोषण के ख़िलाफ़ सशक्त नाटक है। ‘निष्क्रिय-प्रतिरोध’ दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहान्सबर्ग पर केन्द्रित है जो महात्मा गांधी द्वारा कुलियों पर किए गए अत्याचार के विरोध की याद दिलाता है। महाकवि भास के संस्कृत नाटकों के किए गए अनुवादों में पारिवारिकता, उदारता, सत्याग्रह, लोक-सेवा, अन्तरात्मा की प्रतिध्वनि और अहिंसा आदि मूल्यों की मार्मिक अभिव्यक्ति है। श्रीमैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा लिखित इस संग्रह के नाटक उनके समय के प्रश्नों को समझाने और उनका उत्तर खोजने के अतिरिक्त आज के नारी-विमर्श एवं दलित-विमर्श के चिन्तन को भी रेखांकित करते हैं।
Tajmahal Ka Udghatan
- Author Name:
Ajay Shukla
- Book Type:

- Description: ताजमहल का टेंडर तो जारी हो चुका था। चीफ़ इंजीनियर गुप्ता जी की देखरेख में उनके विश्वस्त ठेकेदार भइया जी को ठेका मिलना ही था। ठेका मिला भी और घोटाले के आरोपों के बीच काम भी शुरू हो गया। किन्तु मुग़ल शासन की समस्या का अन्त नहीं। इधर औरंगजेब ने सत्ता सँभाली और उधर दारा शिकोह उसके पीछे पड़ गया। अदालत ने हस्तक्षेप किया तो औरंगजेब की ताजपोशी ही ख़तरे में पड़ गई। अब क्या औरंगजेब को भी चुनाव लड़ना पड़ेगा? ऐसी परिस्थिति में ताजमहल का उद्घाटन कैसे होगा?
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