Tatari Veeran

Tatari Veeran

Authors(s):

Dino Buzzati

Language:

Hindi

Pages:

194

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

388 mins

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Book Description

सन् 1940 में प्रकाशित ‘तातारी वीरान’ दीनो बुत्साती की एक उत्कृष्ट कृति है। इसमें कुशल लेखक ने मँजी शैली के माध्यम से मानव-जीवन में व्याप्त बेतुकेपन (absurdity) को अपनी वैचित्र्यपूर्ण भाव-संवेदनाओं के ताने-बानों से पिरोया है। उपन्यास में व्यक्त दर्शन एक तरह का अस्तित्ववादी चिन्तन है। कथानक की बुनावट की दृष्टि से यह एक अतियथार्थवादी रचना है जिसमें कथा-संयोजन स्वैरकल्पना (fantasy) के माध्यम से होता है। ‘तातारी वीरान’ के पात्र जीवन-भर अपने द्वारा ही निर्मित भ्रमों के क़ैदी बनकर एक आशा में पूरी ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं—जीवन में कुछ बड़ा कर पाने की निर्मूल आशा में! जीवन के हर आयाम में छाया बेतुकापन वस्तुत: एक सम्भावित भय से परिचालित रहता है। मानवीय सम्बन्धों की आधारभूमि एक-दूसरे के बीच की ऐसी ‘जानकारी’ पर निर्मित होती है जो ठोस नहीं अपितु दलदल युक्त है—जिसमें बेतुकेपन की अन्त:सलिला निरन्तर बहती रहती है।

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