Thoda Sa Pragatisheel
Author:
Mamta KaliyaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
ममता कालिया की नवीन कहानियों का संग्रह ‘थोड़ा सा प्रगतिशील’ उनके रचनात्मक विकास का महत्त्वपूर्ण बिन्दु है। इन कहानियों में एक ओर प्रेम तो दूसरी ओर बदलते हुए समाज की जीवन्त तस्वीर है। इन कहानियों को महज़ स्त्री-लेखन के कोष्ठक में सीमित नहीं किया जा सकता क्योंकि इनमें समूचे समाज की संघर्षधर्मिता विभिन्न पात्रों और स्थितियों द्वारा व्यक्त हुई है।</p>
<p>प्रस्तुत कहानियों का शिल्प मौलिक और सहज है तथा भाषा-शैली जानदार। वरिष्ठ कथाकार उपेन्द्रनाथ अश्क के शब्दों में, “ममता कालिया की कहानियों में हमेशा अपूर्व पठनीयता रही है। पहले वाक्य से उनकी रचना मन को बाँध लेती है और अपने साथ अन्तिम पंक्ति तक बहाए लिए जाती है।” इन कहानियों में स्त्री-विमर्श समानता का स्वप्न लेकर उपस्थित है।
ISBN: 9788180318511
Pages: 119
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: ज़िन्दगी दो चीज़ों की मोहताज होती है - एक रोटी का कौर और दूसरा सही दौर। जहां रोटी की अहमियत रोज़ महसूस होती है, वहीं दौर को समय की सुई इतना भगाती है कि बैठकर उसको महसूस करने या उसकी अहमियत समझने का वक़्त ही नहीं मिलता।इसी तरह हम अक्सर खुद से पूछते हैं कि कोई बात, कोई याद, कहीं हुआ एक वाकया या घटना मामूली सा तो था पर मुझे क्यों याद है। ऐसा क्या खास था इसमें? कुछ भी नहीं!यह शायद आपके दिमाग का आपसे बदला लेने का तरीका है कि मन को सुकून देने वाली ज़िन्दगी की अहम बातों को याद नहीं रखोगे, तो फिर भुगतो! या शायद उसकी नम्र अर्जी है कि साहब जी/मैडम जी, बहुत भाग लिए ज़िन्दगी में, कभी तो ठहरकर अपनी संजोई यादों को निहारो!इन कहानियों में ऐसे बारीक लम्हों को पिरोने की कोशिश की है। मुझे नहीं पता कि आपकी ज़िन्दगी में कौनसा दौर चल रहा है पर मैं उम्मीद करता हूं कि इन कहानियों को पढ़ने के बाद आप ऐसे लम्हों की डोर पकड़े, हर दौर में अपने दिल को दिलासा देंगे - मोहित शर्मा
Shreshtha Bal Kahaniyan part 4
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: A Collection of Hindi short stories for children, compiled and edited by Prakash Manu.
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