'Na' Ki Jeet Hui
Author:
K. SureshPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
‘‘न’ की जीत हुई’ के. सुरेश की संस्मरणात्मक कहानियों की दूसरी पुस्तक है। वस्तु, शैली और संरचना की दृष्टि से इसे उनकी पहली पुस्तक 'इक्कीस बिहारी और एक मद्रासी' का विस्तार माना जा सकता है; अर्थात् प्रस्तुत संग्रह की नौ कहानियाँ भी पाठक को पिछले संग्रह की ग्यारह कहानियों के अनुभव संसार में शामिल कर अनुभूति के कुछ और मार्मिक स्थलों की ओर ले जाती हैं<strong>।</strong></p>
<p>सुरेश जी वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी हैं<strong>।</strong> अपनी दीर्घकालीन सेवा के दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश एवं अन्य राज्यों में विभिन्न प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन किया है<strong>।</strong> इस अवधि में भाँति-भाँति के लोगों से उनका साक्षात्कार हुआ है, क़िस्म-क़िस्म की समस्याओं से उन्होंने मुठभेड़ की है और तरह-तरह की घटनाओं का वे हिस्सा बने हैं<strong>।</strong> कहीं संघर्ष, कहीं सहानुभूति, कहीं कृतज्ञता का भाव<strong>।</strong> इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ ऐसे</p>
<p>व्यक्तियों, परिस्थितियों, घटनाओं, अनुभवों और भावों का साक्षात्कार हैं, जो संवाद के इच्छुक हैं<strong>।</strong> ये संस्मरण एक ऐसे चैतन्य प्रशासक की रागात्मक अभिव्यक्ति हैं, जिसका चित्त शुद्ध और संवेदना जाग्रत <br />है<strong>।</strong></p>
<p>इन रचनाओं की सहजता और कथ्य के स्तर पर बरती गई ईमानदारी के माध्यम से अभिव्यक्ति की सच्चाई को परखा जा सकता है<strong>।</strong> इसे एक प्रशासक के अनुभव का निचोड़ कहा जा सकता है<strong>।</strong> यह निचोड़ ‘हम सिंगल ही अच्छे थे’ में प्रशासकों के बँगलों पर स्थायी समस्या के रूप में उपस्थित ‘अच्छे’ अथवा ‘अनुकूल’ भूत्या की तलाश के रोचक प्रसंग के रूप में देखा जा सकता है<strong>।</strong> ‘दिल में जो तमन्ना थी’, ‘कैसे नहीं लिखूँ’, ‘बाक़ी सब ठीक है’, ֹ‘कटी नाक की अमर कहानी’, ‘कलेक्टर साहब के बँगले की गाय’ आदि संस्मरण भी रोचक मुहावरों, प्रसंगों और घटनाओं की सार्थक भूमिका के साथ किसी ज्वलन्त समस्या और उसके निराकरण के लिए किए गए प्रयासों की प्रशासनिक सूझ से जुड़ते हैं<strong>।</strong></p>
<p>इन संस्मरणों के मार्फ़त तत्कालीन मध्य प्रदेश के दूरस्थ अंचलों, ख़ास तौर पर जनजाति बहुल ज़िलों की विषम स्थितियों, कठिन जीवन-संघर्ष और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की वास्तविकता का पता भी चलता है<strong>।</strong>
ISBN: 9788183617017
Pages: 123
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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बहुपठित युवा व्यंग्यकार के.डी. सिंह की यह किताब दरअसल जीवन की गुज़री राहों से कुछ यादगार टुकड़े समेटती है, जो लेखक के तो हैं ही, इसमें आप और हम भी होंगे। इन्हीं टुकड़ा-टुकड़ा स्मृतियों को सहेजती हुई ये किताब 'जब ज़िन्दगी मुस्कुरा दी' लेखक के चालीस वर्षों के सिंहावलोकन के कुछ पुंज, कुछ अपने, कुछ अपनों के अनुभव...अच्छे-बुरे लोगों के सानिध्य और कच्चे पक्के दुनियावी रास्तों से गुज़रते हुए, जीवन के कुछ अनमोल और न भूलनेवाले चित्रों का संकलन है, जो जीवन की स्मृतियों को सार्वजनिक तौर पर साझा करते हैं। ये संस्मरण हैं, स्मृति चित्र हैं...बीती ज़िन्दगी के, पर जिनकी रोशनी आगे के जीवन-पथ को भी आलोकित करती है...
जाने कितना जीवन,
पीछे छूट गया अनजाने में
अब तो कुछ क़तरे हैं बाक़ी,
साँसों के पैमाने में...
इतना जान लिया तो यारो,
कैसी बन्दिश उनवाँ की
अपना-अपना रंग भरेगा,
हर कोई अफ़साने में....!!
Main Pakistan Mein Bharat Ka Jasoos Tha
- Author Name:
Mohanlal Bhaskar
- Book Type:

- Description: जासूसी को लेकर विश्व की विभिन्न भाषाओं में अनेक सत्यकथाएँ लिखी गई हैं, जिनमें मोहनलाल भास्कर नामक भारतीय जासूस द्वारा लिखित अपनी इस आपबीती का एक अलग स्थान है। इसमें 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उसके पाकिस्तान-प्रवेश, मित्रघात के कारण उसकी गिरफ़्तारी और लम्बी जेल-यातना का यथातथ्य चित्रण हुआ है। लेकिन इस कृति के बारे में इतना ही कहना नाकाफ़ी है क्योंकि यह कुछ साहसी और सूझबूझ-भरी घटनाओं का संकलन मात्र नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के तत्कालीन हालात का भी ऐतिहासिक विश्लेषण करती है। इसमें पाकिस्तान के तथाकथित भुट्टोवादी लोकतंत्र, निरन्तर मज़बूत होते जा रहे तानाशाही निज़ाम तथा धार्मिक कठमुल्लावाद और उसके सामाजिक-आर्थिक अन्तर्विरोधों को उघाड़ने के साथ-साथ भारत-विरोधी षड्यंत्रों के उन अन्तरराष्ट्रीय सूत्रों की भी पड़ताल की गई है, जिसके एक असाध्य परिणाम को हम ‘ख़ालिस्तानी’ नासूर की शक्ल में झेल रहे हैं। उसमें जहाँ एक ओर भास्कर ने पाकिस्तानी जेलों की नारकीय स्थिति, जेल-अधिकारियों के अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया है, वहीं पाकिस्तानी अवाम और मेजर अय्याज अहमद सिपरा जैसे व्यक्ति के इंसानी बर्ताव को भी रेखांकित किया है।
Yatrik
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

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Description:
कथाकार और उपन्यासकार के रूप में शिवानी की लेखनी ने स्तरीयता और लोकप्रियता की खाई को पाटते हुए एक नई ज़मीं बनाई थी, जहाँ हर वर्ग और हर रुचि के पाठक सहज भाव से विचरण कर सकते थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सम्बन्धगत भावनाओं की इतने बारीक और महीन ढंग से पुनर्रचना की कि वे अपने समय में सबसे ज़्यादा पढ़े जानेवाले लेखकों में एक होकर रहीं।
कहानी, उपन्यास के अलावा शिवानी ने संस्मरण और रेखाचित्र आदि विधाओं में भी बराबर लेखन किया। अपने सम्पर्क में आए व्यक्तियों को उन्होंने क़रीब से देखा, कभी लेखक की निगाह से तो कभी मनुष्य की निगाह से, और इस तरह उनके भरे-पूरे चित्रों को शब्दों में उकेरा और कलाकृति बना दिया।
इस पुस्तक में ‘चरैवेति’ और ‘यात्रिक’ शीर्षक रचनाएँ सम्मिलित हैं। आशा है, शिवानी के कथा-साहित्य के पाठकों को उनकी ये रचनाएँ भी पसन्द आएँगी।
Jivan Jaisa Jiya
- Author Name:
Chandrashekhar
- Book Type:

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Description:
पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा सिर्फ़ उनकी निजी ज़िन्दगी की कहानी नहीं है। यह उनके समय का प्रामाणिक दस्तावेज़ भी है। वे आज़ादी के बाद की निर्णायक राजनैतिक घटनाओं से जुड़े रहे। उन घटनाओं को एक निश्चित दिशा देने में उन्होंने ऐतिहासिक भूमिका भी निभाई। इसलिए उनकी इस आत्मकथा में उनके दौर का अनुद्घाटित इतिहास सुरक्षित है। अपने समय के अनेक व्यक्तित्वों और घटनाओं के बारे में उन्होंने ऐसी जानकारियाँ भी दी हैं जिनसे समकालीन राजनैतिक-सामाजिक इतिहास को समझने के लिए नए तथ्य प्राप्त होते हैं।
बलिया के एक किसान परिवार में जनमे चन्द्रशेखर अपनी जीवन-यात्रा में अनेक पड़ावों से गुज़रे। स्वाधीनता-आन्दोलन में शिरकत की। आज़ादी के बाद समाजवाद के लिए चलाए जानेवाले संघर्ष को आगे बढ़ाया। कांग्रेस को प्रगतिशील बनाने के लिए नए कार्यक्रम रखे। आपातकाल की जेल-यात्रा के बाद जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। जनता दल की सरकार के जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुँचे और समझौताविहीन व्यक्तित्व के कारण अन्तत: इस्तीफ़ा दिया। उदारीकरण और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नव-साम्राज्यवाद का वे विरोध करते रहे। उनकी इस आत्मकथा में बाहरी संसार के अलावा उनके व्यक्तित्व की गहरी संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष का वृत्तान्त भी शामिल है। हिन्दी में आत्मकथा साहित्य की परम्परा में चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
Ek Shamsher Bhi Hai
- Author Name:
Doodhnath Singh
- Book Type:

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Description:
‘शमशेर बहादुर उन कवियों में रहे जो लगातार अपनी कविता के प्रति सजग और समर्पित भी रहे। राजनीति की दृष्टि से बहुत ज़्यादा सक्रिय तो वह नहीं रहे और एक उनकी कविता में निहित मूल्य-दृष्टि में और उनकी घोषित राजनीति में, राजनीतिक दृष्टि में लगातार एक विरोध भी रहा। वह प्रगतिवादी आन्दोलन के साथ रहे लेकिन उसके सिद्धान्तों का प्रतिपादन करनेवाले कभी नहीं रहे। उन सिद्धान्तों में उनका पूरा विश्वास भी कभी नहीं रहा। उन्होंने मान लिया कि हम इस आन्दोलन के साथ हैं, और स्वयं उनकी कविता है, उसका जो बुनियादी संवेदन है, वह लगातार उसके बाहर और उसके विरुद्ध भी जाता रहा। वह शायद एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, उनके जीवन का, उनके कवि का विकास इस तरह से हुआ। पहले वह चित्रकार थे या उन्होंने दीक्षा चित्रकर्म में ली।’ उसमें भी लगातार उनकी दृष्टि बिम्बवादी-दृष्टि रही और काव्य में उनका बल इस पक्ष पर रहा। उनके प्रिय कवि भी ऐसे ही रहे हैं। इससे कभी मुक्त होना न उन्होंने चाहा, न वह हुए। हम चाहें तो उन्हें रूमानी और बिम्बवादी कवि भी कह सकते हैं, कभी इसके बाहर वह नहीं गए। मेरा ख़याल है कि उनके चित्रों और उनकी कविताओं में बराबर सम्बन्ध रहा है। और उस स्तर को उनके घोषित राजनीति विश्वास ने कभी छुआ ही नहीं। अगर उनसे पूछा जाता कि आप राजनीति में किस दल के साथ हैं, तो वह कहते कि मैं प्रगतिवादियों के साथ हूँ। अब आप इसका जो अर्थ चाहें लगा सकते हैं। इसे विभाजित व्यक्तित्व मैं तब कहता जबकि उनकी चेतना में उसका असर होता। उसमें भी दो खंड हो जाते। वैसा शायद हुआ नहीं। शमशेर तो पहली बार वहाँ (‘तार-सप्तक’ में) रखे भी गए थे, फिर उनको दूसरे के लिए रख लिया गया, क्योंकि उनकी कविताएँ बहुत कम मिल पाई थीं। दो-एक पेटियाँ भरकर कविताएँ तो उनके पास पड़ी होंगी, लेकिन ख़ुद उनको अपनी ख़बर नहीं थी। जब यह काम हुआ तो उन्हें लाया जा सका।
—अज्ञेय
A Complete Biography Of Nick Vujicic : Become Your Own Miracle!
- Author Name:
Ashwini Bhatnagar
- Book Type:

- Description: Nicholas James Vujicic, famously known as Nick Vujicic, is a real-life ‘miracle man’ who, despite his severe disabilities, achieved impossible levels of success and fame. Australian-American Nick was born with extremely rare autosomal recessive congenital disorder which is characterized by the absence of arms and legs on human body. Nick’s parents were distressed by his condition, but Nick did not seem to mind it too much. He quickly adapted himself to doing things everyone does in daily life, and, as he grew older, charted a clear path for himself as a motivational speaker and Christian evangelist. He soon became an international icon with millions of fans and followers across the globe. Nick’s incredible journey is one of the rarest of rare inspirational life stories in which impossible odds were turned into deeply fulfilling successes. It will move you to strive for the next level of excellence in your own life.
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