
Parstree
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
331
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
662 mins
Book Description
प्रख्यात बांग्ला कथाकार विमल मित्र का यह उपन्यास एक ऐसे आदर्शवादी युवक की कहानी है, जो अपने जीवन में कुछ महान कार्य कर दिखाने की आकांक्षा रखता है, लेकिन कई अप्रत्याशित घटनाएँ उसे कुछ और ही बना देती हैं, जिसकी ख़ुद उसने या किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। घटनाचक्र में पड़कर वह कई मोड़ों से गुज़रता है, और अन्त में जब वह इच्छित पथ पा लेता है तो उसे बोध होता है कि जीवन की वास्तविकता क्या है। इस क्रम में उसे जीवन के अनेक रूप देखने को मिलते हैं तथा बहुत कुछ बलिदान भी करना पड़ता है। विकृतियों का चरम भोग भोगते हुए उसने कीचड़ में कमल की तरह खिलते सुकृतियों के स्वरूप भी देखे। पात्र और घटनाएँ उपन्यास में इस तरह गुँथे हुए हैं कि सहसा यह कह पाना मुश्किल होगा कि इस उपन्यास की कथा-वस्तु चरित्र द्वारा अनुशासित है अथवा घटनाओं द्वारा। एक की जीवन्तता और दूसरे की सहजता ने कथा को लयात्मक गति व विस्तार दिया है। ‘परस्त्री’ की एक विशेषता यह भी है कि इसकी कथा समकालीन सामाजिक जीवन की पृष्ठभूमि में आगे बढ़ती है। यह व्यक्ति के अन्तर्मन के रहस्यों को नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन के यथार्थ को उजागर करती है। सिर से पाँव तक भ्रष्टाचार में डूबे व्यवस्था-तंत्र और उससे त्राण पाने के लिए छटपटाते सामान्यजन की वेदना का अत्यन्त सजीव चित्रण इस उपन्यास में हुआ है।