Valentine Baba

Valentine Baba

Language:

Hindi

Pages:

150

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

300 mins

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Book Description

बागी बलिया का कड़क लौंडा शिवेश वैलेंटाइन बाबा की मोहब्बत की मल्टी डायमेंशनल कम्पनी का फुल टाइम इम्प्लॉई है, जिसका एकमात्र धर्म है ‘काम’। ठीक इसके उलट है उसके बचपन का जिगरी यार, दिलदार, नाक की सीध में चलने वाला—मनीष, जिसकी सुबह है—सुजाता जिसका शाम है—सुजाता! जो ठीक-ठाक मॉडर्न है, थोड़ी स्टाइलिस्ट है, नई ज़बान में सेक्सी है, मस्ती की भाषा में बिन्दास है; लेकिन बलिया की यह ठेठ देसी लडक़ी कलेजे से ऐसी मज़बूत है कि अगर कोई उसे चिड़िया समझकर चारा चुगाने की कोशिश करने आगे बढ़े तो उसके इरादे का वह कचूमर बनाकर रख देती है। सुजाता की रूममेट है मोहिनी, जिसका दिल मोहब्बत के मीनाबाज़ार से बुरी तरह बेजार हो चुका है। लव-सव-इश्क़-विश्क की फ़िलॉसफ़ी को ठहाके में उड़ाती वह अक्सरहाँ कहने लगी है—जिसका जितना मोटा पर्स, वो उतना बड़ा आशिक़! सबकी ज़िन्दगी में कोई एक मक़सद है, सबको कुछ-न-कुछ मिलता है, लेकिन क्या ज़िन्दगी उन्हें वही देती है, जो वे चाहते थे?</p> <p>चार नौजवान दिलों की हालबयानी है यह उपन्यास—‘वैलेंटाइन बाबा’! ढाई आखर वाले प्यार और वन नाइट स्टैंड वाले लस्ट की सोच का टकराव आख़िर किस मोड़ पर ले जाकर छोड़ेगा आपको, उपन्यास के आख़िरी पन्ने तक कायम रहेगा यह रहस्य! माना कि लाइफ़ में बहुत फ़ाइट है, सिचुएशन हर जगह, हर मोर्चे पर टाइट है तो क्या हुआ, दिल भी तो है! यक़ीनन, शशिकांत मिश्र का यह दूसरा उपन्यास बेलगाम बाज़ार की धुन पर ठुमकते हरेक दिल की ईसीजी रिपोर्ट है, इसे पढ़ना आईने के सामने होना है, जाने क्या आपको अपने-सा दिख जाए...!

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