
Kabeer Bani
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
144
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
288 mins
Book Description
हमें आज भी कबीर के नेतृत्व की ज़रूरत है, उस रोशनी की ज़रूरत है जो इस सन्त सूफ़ी के दिल से पैदा हुई थी। आज दुनिया आज़ाद हो रही है। विज्ञान की असाधारण प्रगति ने मनुष्य का प्रभुत्व बढ़ा दिया है। उद्योगों ने उसके बाहुबल में वृद्धि कर दी है। मनुष्य सितारों पर कमन्दें फेंक रहा है। फिर भी वह तुच्छ है, संकटग्रस्त है, दुःखी है। वह रंगों में बँटा हुआ है, जातियों में विभाजित है। उसके बीच धर्मों की दीवारें खड़ी हुई हैं। साम्प्रदायिक द्वेष है, वर्ग-संघर्ष की तलवारें खिंची हुई हैं। बादशाहों और शासकों का स्थान नौकरशाही ले रही है। दिलों के अन्दर अँधेरे हैं। छोटे-छोटे स्वार्थ और दंभ हैं जो मनुष्य को मनुष्य का शत्रु बना रहे हैं। जब वह शासन, शहंशाहियत और प्रभुत्व से मुक्त होता है तो ख़ुद अपनी बदी का ग़ुलाम बन जाता है। इसलिए उसको एक नए विश्वास, नई आस्था और नए प्रेम की आवश्यकता है जो उतना ही पुराना है जितनी कबीर की आवाज़ और उसकी प्रतिध्वनि इस युग की नई आवाज़ बनकर सुनाई देती है।</p> <p>—भूमिका से