Vakratund

Vakratund

Language:

Hindi

Pages:

256

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

512 mins

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Book Description

वक्रतुण्ड अर्थात गणपति श्री गणेश के अनेक रूप हैं—विघ्नहर्ता से लेकर विघ्नकर्ता तक। सत्व के प्रति सरस-सदय और तमस के प्रति कठिन-कठोर। उनके इस स्वभाव ने मनुष्यों के हृदय में श्री गणेश के लिए विशेष भक्ति उत्पन्न की है क्योंकि वे उन्हें एकदम अपने लगते हैं—करुणामय, उदार, सहज, समस्त आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाले। ऐसा नहीं कि उन्हें क्रोध नहीं आता किन्तु उनका कोप भक्तों के लिए नहीं होता। उनके लिए तो वे अभय देने वाले हैं। मनुष्य तो मनुष्य, तमाम इतर जीवों के भी वे शरणदाता-त्राता हैं।</p> <p>विघ्नों से भरे संसार में ऐसे कृपालु श्री गणेश की अगणित लीलाएँ हैं। इन्हीं लीलाओं से ‘वक्रतुण्ड’ में उनका आख्यान रचा गया है जो पाठकों को एक अलग ही आश्वस्ति और त्राण देता है कि यदि आप दूसरों के प्रति सात्विकता से भरे रहेंगे तो वक्रतुण्ड आपकी राह में आने वाली हरेक वक्रता को अनुकूलता में बदल देंगे।</p> <p>एक अत्यन्त पठनीय पौराणिक उपन्यास।

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