
Pratinidhi Kahaniyan : Govind Mishra
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
117
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
234 mins
Book Description
समकालीन कथा-परिवेश और यथार्थवादी कथा-लेखन के सन्दर्भ में टिप्पणी करते हुए एक जगह गोविन्द मिश्र ने लिखा है कि “यथार्थवादी लेखन के इस युग में लेखक को सामाजिक विसंगतियों की यंत्रणा चित्रित करने के आगे उन बातों और चरित्रों में भी जाना होगा, जिनकी वजह से विसंगतियाँ है”, ताकि न तो मानवीय यंत्रणा के अधूरेपन का अहसास हो और न क्रान्तिकारिता के खोखलेपन का।</p> <p>दरअसल हिन्दी-कहानी के विभिन्न दौरों से निरपेक्ष रहते हुए जिन कथाकारों ने अपनी एक स्वतंत्र पहचान बनाई है, गोविन्द मिश्र उनकी पहली क़तार में आते हैं। यह संकलन उनके कई प्रकाशित कहानी-संग्रहों से उनकी महत्त्वपूर्ण और बहुचर्चित कहानियों का चयन है। इन कहानियों के माध्यम से हम वर्तमान भारतीय समाज के विभिन्न चरित्रों और स्तरों से परिचित होते हैं। अपने कथा-चरित्रों के प्रति लेखक का कोई पूर्वग्रह नहीं, बल्कि वह उन्हें जीवन-स्थितियों के बीच पहचानता है। यही कारण है कि ये कहानियाँ हमें जीवन की विविधता तक ले जाती हैं और हमारे भीतर एक इन्द्रधनुषी संसार सजीव हो उठता है।