Borunda Diary
Author:
Malchand TiwariPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
ऐसे लेखक बिरले होते हैं जो अपनी आधुनिकता/प्रगतिशीलता को सही विकल्प मानने के बावजूद उस अहंकार को जीत पाते हैं जो आधुनिकता और प्रगतिशीलता में कहीं बद्धमूल है। बिज्जी ऐसे बिरले आधुनिक लेखक थे। वे पूर्व-आधुनिक से उसकी वाणी नहीं छीनते, उसका ‘प्रतिनिधि’ बनने की, उसे अपने अधीन लाने की और इस तरह अपने को श्रेष्ठतर जताने की औपनिवेशिक कोशिश नहीं करते। जैसे ‘व्हाइट मेन’स बर्डन’ होता है वैसे ही एक ‘मॉडर्न मेनֹ’स बर्डन’ भी होता है। बिज्जी के कथा-लोक में उनकी ‘बातां री फुलवाड़ी’ में, जो उनके लेखन का सबसे सटीक रूपक भी है और उनका मैग्नम ओपस भी, पूर्व-आधुनिक भी फूल हैं, ‘पिछड़े’, ‘गँवार’ नहीं।</p>
<p>बिज्जी ताउम्र बोरूंदा में रहे, वहीं एक प्रेस स्थापित किया, प्रणपूर्वक राजस्थानी में लिखा और अपने गाँव में अपने प्रगतिशील, आधुनिक विचारों और नास्तिकता के बावजूद विरोधी भले माने गए हों, ‘बाहरी’ कभी नहीं माने गए।</p>
<p>चौदह खंडों में ‘बातां री फुलवाड़ी’ रचकर उन्होंने भारतीय और विश्वसाहित्य के इतिहास में जिस युगान्तकारी परिवर्तन का सूत्रपात किया था, वह अब भी हिन्दी पाठकों को अपनी समग्रता में उपलब्ध नहीं था। बिज्जी के स्नेहाधिकारी और द्विभाषी लेखक मालचन्द तिवाड़ी उसके बड़े हिस्से का अनुवाद करने के लिए एक साल तक बिज्जी के साथ बोरूंदा में रहे, वही एक साल जो बिज्जी के जीवन का अन्तिम एक साल सिद्ध हुआ। इस डायरी में बिज्जी का वह पूरा साल है जब वे शारीरिक रूप से परवश होकर अपनी स्वभावगत सक्रियता का अनन्त भार अपने मन पर सँभाले रोग-शय्या पर थे।</p>
<p>यह भी एक अर्थ-बहुल विडम्बना है कि बिज्जी के शाहकार का अनुवाद एक ऐसे लेखकीय आत्म के हाथों सम्पन्न हुआ जो इस डायरी-वृत्तान्त में एक आस्तिक ही नहीं, एक पूर्व-आधुनिक की तरह प्रस्तुत है। इस डायरी-वृत्तान्त को पढ़ना, डायरीकार को पढ़ना दरअसल बिज्जी के अपने रचे समाज को, उनके कथा-संसार को पढ़ना है जिसके साथ बिज्जी के द्वन्द्वात्मक लेकिन करुणामय सम्बन्ध का एक उदाहरण इस डायरीकार के साथ बिज्जी का—और बिज्जी के साथ डायरीकार का—अपना निजी, जटिल और रागात्मक सम्बन्ध है।
ISBN: 9788126726950
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: "SBI की शिखर गाथा यह कहानी है सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक की, जो दरशाती है कि परिवर्तन अभी भी हो सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी भरोसा किए जाने और ललकारे जाने पर, प्रोत्साहनों एवं बोनस आदि के बिना भी, किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सफलता की यह कहानी दरशाती है कि सार्वजनिक उपक्रमों को न विशेष प्रोत्साहन की जरूरत है और न अनावश्यक आलोचना की। इन्हें झिड़कने या इन पर दया दिखलाने की भी कोई जरूरत नहीं है। एस.बी.आई. के कायापलट की कहानी इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि मानव की कर्मठता एवं दृढ़निष्ठा व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से क्या कुछ हासिल कर सकती है। कुछ कर दिखाने का जोश पैदा करने में धन की कोई महत्ता नहीं है। नेतृत्व का अर्थ है आशावादी होना, सकारात्मक सपने बुनना; और सबसे अहम बात कि टीम चाहे जितनी बड़ी हो, टीम के सदस्यों को गर्व और अपनी पहचान का एहसास कराना। जो अपने-अपने संगठनों में क्रांतिकारी सकारात्मक परिवर्तन लाने का इरादा रखते हैं, जिन संगठनों को व्यावसायिक जगत् में कभी गौरवशाली स्थान प्राप्त था, पर जो आज कड़ी प्रतिस्पर्धा एवं परिवर्तनों के मकड़जाल में घिर गए हैं, उन संगठनों का नेतृत्व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से सबक लेकर अपनी प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने का जोश जगा सकता है। विपरीत परिस्थितियों में यथोचित परिवर्तन कर सफलता के शिखर छूने की कहानी है यह पुस्तक, जो प्रबंधकों और कर्मियों को समान रूप से प्रेरित करेगी। "
Ek Jindagi Kafi Nahi
- Author Name:
Kuldeep Nayar
- Book Type:

- Description: यह किताब उस दिन से शुरू होती है जब 1940 में ‘पाकिस्तान प्रस्ताव' पास किया गया था। तब मैं स्कूल का एक छात्र मात्र था, लेकिन लाहौर के उस अधिवेशन में मौजूद था जहाँ यह ऐतिहासिक घटना घटी थी। यह किताब इस तरह की बहुत-सी घटनाओं की अन्दरूनी जानकारी दे सकती है, जो किसी और तरीक़े से सामने नहीं आ सकती—बँटवारे से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक। अगर मुझे अपनी ज़िन्दगी का कोई अहम मोड़ चुनना हो तो मैं इमरजेंसी के दौरान अपनी हिरासत को ऐसे ही एक मोड़ के रूप में देखना चाहूँगा, जब मेरी निर्दोषिता को हमले का शिकार होना पड़ा था। यही यह समय था जब मुझे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के हनन का अहसास होना शुरू हुआ। साथ ही, व्यवस्था में मेरी आस्था को भी गहरा झटका लगा था। पाकिस्तान और बांग्लादेश में बहुत-से लोगों के साथ मेरे व्यक्तिगत सम्बन्ध हैं और मुझे इन सम्बन्धों पर गर्व है। मेरा विश्वास है कि किसी दिन दक्षिण एशिया के सभी देश यूरोपीय संघ की तरह अपना एक साझा संघ बनाएँगे। इससे उनकी अलग-अलग पहचान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मैं पूरी ईमानदारी से कह सकता हूँ कि नाकामयाबियाँ मुझे उस रास्ते पर चलने से रोक नहीं पाई हैं जिसे मैं सही मानता रहा हूँ और लड़ने लायक़ मानता रहा हूँ। ज़िन्दगी एक लगातार बहती अन्तहीन नदी की तरह है, बाधाओं का सामना करती हुई, उन्हें परे धकेलती हुई, और कभी-कभी ऐसा न कर पाते हुए भी। यह बता पाना बस से बाहर है कि पिछले आठ दशकों से कौन सी चीज़ मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही है—नियति या संकल्प? या ये दोनों ही? आख़िर तमाशा जारी रहना चाहिए। मैं इस मामले में महान उर्दू शायर ग़ालिब से पूरी तरह सहमत हूँ—शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक। —भूमिका से
Jane Pahachane Log
- Author Name:
Harishankar Parsai
- Book Type:

-
Description:
सुविख्यात व्यंग्य लेखक हरिशंकर परसाई के इन संस्मरणात्मक शब्दचित्रों को पढ़ना एक नई अनुभव-यात्रा के समान है। इस अनुभव-यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि लेखक ने यहाँ अपने समकालीनों के रूप में कुछ साहित्यिक व्यक्तियों की ही चर्चा नहीं की है, बल्कि कुछ ग़ैर-साहित्यिक व्यक्तियों को भी गहरी आत्मीयता से उकेरा है। संग्रह के इस वैशिष्ट्य को परसाई जी ने स्वयं अपने ख़ास अन्दाज़ में इस प्रकार रेखांकित किया है—‘मेरे समकालीन’ जो यह लेख और चरित्रमाला लिखने की योजना है, तो सवाल है, मेरे समकालीन कौन? क्या सिर्फ़ लेखक? डॉक्टर के समकालीन डॉक्टर और चमार के समकालीन चमार? इसी तरह लेखक के समकालीन क्या सिर्फ़ लेखक? नहीं।...लेखकों, बुद्धिजीवी मित्रों के सिवा ये ‘छोटे’ कहलानेवाले लोग भी मेरे समकालीन हैं। मैं इन पर भी लिखूँगा।
फिर भी जिन जाने-अनजाने साहित्यिकों का उन्होंने यहाँ स्मरण किया है, वे हैं—श्रीकान्त वर्मा, केशव पाठक, प्रभात कुमार त्रिपाठी ‘प्रभात’, ब्रजकिशोर चतुर्वेदी, रामविलास शर्मा, शमशेर बहादुर सिंह, नामवर सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी और सोमदत्त। इनके अतिरिक्त ‘मेरे समकालीन’ शीर्षक लेख में परसाई जी ने कुछ और साहित्यिकों को भी प्रसंगत: याद किया है।
वस्तुत: यह कृति परसाई सरीखे रचनाकार के गम्भीर रचनात्मक सरोकारों के साथ-साथ उनकी आत्मीय और सजग सामाजिकता का भी मूल्यवान साक्ष्य पेश करती है।
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