
Bachapan Se Balatkar
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
160
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
320 mins
Book Description
महिला क़ानूनों के जानकार और समाज तथा अदालत दोनों जगह स्त्री-सम्मान की सुरक्षा पर पैनी और सतर्क निगाह रखनेवाले लेखक व न्यायविद् अरविन्द जैन की यह पुस्तक बलात्कार के सामाजिक, वैधानिक और नैतिक पहलुओं को गहरी और मुखर न्याय-संवेदना के साथ देखती है। इस किताब की मुख्य चिन्ता यह है कि समाज के सांस्कृतिक चौखटे में जड़ी स्त्री-देह घरों और घरों से बाहर जितनी वध्य है, दुर्भाग्य से बलात्कार की शिकार हो जाने के बाद क़ानून की हिफ़ाज़त में भी उससे कुछ ज़्यादा सुरक्षित नहीं है। न सिर्फ़ यह कि समाज के पुरुष-वर्चस्व की छाया क़ानूनी प्रावधानों में भी न्यस्त है, बल्कि उनको कार्यान्वित करनेवाले न्यायालयों, जजों, वकीलों आदि की मनो-सांस्कृतिक संरचना में भी जस की तस काम करती दिखाई देती है। पुस्तक में पन्द्रह आलेख हैं। परिशिष्ट में कुछ ज़रूरी जानकारियाँ हैं। विशेषता यह है कि अरविन्द जैन ने पूरी सामग्री को व्यापक स्त्री-विमर्श से जोड़ा है। न्याय और अस्मिता रक्षा के लिए प्रतिबद्ध उनकी विचारधारा भाषा को नया तेवर देती है।