Aakhiri Manzil
Author:
Ravindra VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Unavailable
वरिष्ठ क़लमकार रवीन्द्र वर्मा के उपन्यास ‘आख़िरी मंज़िल’ के कवि-नायक में एक ओर ऐसी आत्मिक उत्कटता है कि वह अपने शरीर का अतिक्रमण करना चाहता है, दूसरी ओर अपनी अन्तिम आत्मिक हताशा में भी उसे आत्महत्या से बचे किसान का सपना आता है जो उसका पड़ोसी है और जिसका घर ‘ईश्वर का घर’ है। हमारे कथा-साहित्य में अक्सर ये आत्मिक और सामाजिक चेतना के दोनों धरातल बहुत-कुछ अलग-अलग पाए जाते हैं। यह उपन्यास मनुष्य की चेतना के विविध स्तरों की पूँजीभूत खोज है—उनकी सम्भावनाओं और सीमाओं की भी। इसमें चेतना के आत्मिक-आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू एक-दूसरे से अन्तर्क्रिया करते हुए एक-दूसरे से अपना रिश्ता ढूँढ़ते हैं। ऐसा लगता है जैसे चेतना के विभिन्न स्तर एक-दूसरे से मिलकर एक संश्लिष्ट, पूर्ण, बेचैन मानव-अस्मिता रच रहे हैं जिसमें सारे तार एक-दूसरे में गुँथे हैं।</p>
<p>इस भोगवादी समय में कलाकार की नियति से जुड़ा सफलता और सार्थकता का द्वन्द्व और भी तीखा हो गया है। यह द्वन्द्व इस आख्यान का एक मूलभूत आयाम है जिसके माध्यम से मनुष्य की नियति की खोज सम्भव होती है। यह खोज अन्ततः एक त्रासद सिम्फ़नी में समाप्त होती है।</p>
<p>रवीन्द्र वर्मा अपने क़िस्म के अनूठे रचनाकार हैं। कथ्य और शिल्प के मामले में परम्परा और आधुनिकता का जो सम्मिलन उनके इस नए उपन्यास में दिखाई देता है, वह अद्वितीय है।</p>
<p>साहित्य-समाज की मौजूदा तिक्तता और संत्रास तथा प्रकाशन और पुरस्कार की राजनीति को जानने-समझने का अवसर मुहैया करानेवाला अत्यन्त ज़रूरी उपन्यास।
ISBN: 9788126714742
Pages: 12
Avg Reading Time: 0 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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बेहद भागदौड़ की ज़िन्दगी में जीवन का पिछला हिस्सा धूसर होता जाता है, जबकि हम उसे याद रखना चाहते हैं—एक विकलता का चित्र। रंग, स्वाद, हरकतें और नाजुक सम्बन्ध की चाहत—बस, एक कशिश है। भागती ज़िन्दगी में कशिश! स्मृतियों के बारीक रग-रेशों के उभर आने की उम्मीद। तब यह किताब ‘क़िस्सा कोताह’ ऊष्मा के साथ नज़दीक रखे जाने के लिए बनी है। ज़रूरी और सटीक।
यह हमारे क़िस्सों का असमाप्त जीवन है। जैसे जीवन को चुपचाप सुनना है। एक के भीतर तीन-चार आदमियों को देखना है। यह राजेश जोशी के बचपन, कॉलेज या साहित्यिक व्यक्तित्व के बनने का दस्तावेज़ ही नहीं है, बल्कि बीहड़ इतिहास में चले गए लोगों, इमारतों और प्रसंगों को वापस ले आने की सृजनात्मकता है। मध्य प्रदेश के भोपाल और उससे पहले नरसिंहगढ़ रियासत की साँसें हैं। संयुक्त परिवार की दुर्लभ छबियाँ। नाना, फुआ, भाइयों और पिता के लोकाचार, जो कि हम सबके अपने से हैं। अपने ही हैं। दोस्तों की आत्मीयता, सरके दिमाग़ों का अध्ययन, राजनीति के अध्याय बन गए कुछ नाम, हमें अपने शहरों में खोजने का विरल अनुभव देते हैं। यह भटकन है। प्यास। बेगमकाल से इमरजेंसीसीकाल तक का, इतिहास में लुप्त हो गए लोगों के विविध व्यवहारों का अलबम है। फ़िल्म जैसा साउंड ट्रेक है। भुट्टे, आम, सीताफल और मलाई दोने का मीठापन है।
सुविख्यात कवि राजेश जोशी का यह अनूठा गद्य अपनी निज लय के साथ उस उपवन में प्रवेश करता है जिसे हम उपन्यास कहते हैं। यहाँ हम अपनी स्मृतियों, अपने लोगों, सड़कों, भवनों और सम्बन्धों को रोपने के लिए उर्वर भूमि पाते हैं।
—शशांक
Jeevan Gita
- Author Name:
Devmuni Shukla
- Book Type:

- Description: "श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय वाड्मय का पवित्र एवं अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथ है। विश्व की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है; इसकी अनेक टीका एवं समीक्षाएँ लिखी गई हैं। आदि शंकराचार्य से लेकर विनोबा भावे तक अनेक विद्वानों और संत-महात्माओं ने गीता पर भाष्य लिखे। लोकमान्य तिलक ने गीता को निष्काम कर्मयोग का आधार-ग्रंथ प्रतिपादित किया। गीता का धर्म कर्तव्य का द्योतक है। इसके अनुसार शरीर, इंद्रिय, मन और बुद्धि सभी के कर्तव्य निश्चित हैं। मानव शरीर जीवात्मा का परिधान मात्र है। इसमें निष्काम कर्म और संपूर्ण समर्पण के साथ परमात्मा की शरण में जाने पर जीवन की मुक्ति का मार्ग दिखाया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता में आचार की पवित्रता, पाखंड का त्याग, सच्ची निष्ठा, फल की इच्छा न रखते हुए कर्तव्य-पालन तथा अहंकार का त्याग कर उत्कृष्ट नैतिक मूल्यों के अनुपालन का निर्देश दिया गया है। श्री देवमुनि शुक्ल ने सरस और प्रवाहमय भाषा में इसका पद्यानुवाद करके इसे ‘जीवन-गीता’ का रूप दिया है। आशा है, सुधी पाठक गीता को पद्य रूप में हृदयंगम कर इसके आदर्श गुणों को अपनाकर अपने उद्धार का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
Ek Ghoont Chandani
- Author Name:
Rakesh Kumar Singh
- Book Type:

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यह छोटा-सा उपन्यास प्रेम की एक बड़ी कहानी है—प्रेम की, और प्रेम की खोज की और प्रेम के विस्तार की। कहानी खोए हुए प्रेम को ढूँढ़ने की, और मिल गए प्यार को बचाए रखने की।
प्यार की कोई एक परिभाषा नहीं होती, प्यार की परिभाषा से कभी कोई रिश्ता तय भी नहीं किया जा सकता; इस तथ्य को जानते हुए भी समाज, संसार प्यार को किसी न किसी रिश्ते में बाँध देना चाहता है, जहाँ वह धीरे-धीरे अपने सत्त्व को, अपनी ऊष्मा को खो देता है। यह कथा एक अनन्त और अकुंठ प्यार को सँजोए रखने की भीतरी जद्दोजहद की कहानी है। इसकी अपनी रवानी है, जैसे प्यार की होती है...और है अपने ढंग की पढ़त भी।
—इसी पुस्तक से
Darulshafa
- Author Name:
Rajkrishna Mishra
- Book Type:

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Description:
दारुलशफ़ा, लखनऊ। यह पता है हमारी वर्तमान राजनीति का, जिसके ‘चरित्र’ का लेखा-जोखा इस किताब में दर्ज है। यानी एक स्थान विशेष, जहाँ कुछ विशेष लोग विशेष स्थितियों में विशेष समस्याओं के समाधान में जुटे हुए हैं। ये समस्याएँ निजी होकर राष्ट्रीय हैं, तो प्रादेशिक होकर अन्तरराष्ट्रीय। भारतीय राजनीति पिछले डेढ़-दो दशक से कुछ ऐसी ही समस्याओं का उत्पादन कर रही है।
वातानुकूलित कक्ष। लम्बे-लम्बे गलियारे। लॉन। और इस सबमें लगातार कानाफूसी करती हुई साज़िश। अपनी-अपनी रियासतों की हिफ़ाज़त के लिए चिन्तित कुर्सियाँ और उनके इर्द-गिर्द लट्टुओं की तरह चक्कर काटते चमचे।...इसी माहौल में सुपरिचित वर्तमान राजनीति के विभिन्न अँधेरे कोनों की विस्मयकारी पड़ताल की गई और वस्तुतः एक रोचक घटनाक्रम के सहारे यह उपन्यास राजनीति की जिन घिनौनी सच्चाइयों को उद्घाटित करता है, वे हमारी आँखें खोल देनेवाली है और हमें इस सारे तंत्र पर नए सिरे से सोचने को बाध्य करती है।
Match Box 81
- Author Name:
Dr. Lata Kadambari Goel
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- Description: "फास्ट फूड तथा पाउच के जमाने में वक्त की कमी को देखते हुए कहानियाँ भी छोटी-छोटी होनी चाहिए न! बिल्कुल ऐसी कि माचिस की एक डिब्बी में समा जाएँ। इस पुस्तक में लेखिका ने अपने समाजोपयोगी विचारों और भावों को ‘मैच बॉक्स 81’ में डाला है। जरा जलाइए न उसको। कैसी नीली, पीली, लाल, गुलाबी ‘लौ’ छोड़कर अचानक बुझ जाती है वो नन्हीं सी तीली। ऐसी ही नन्हीं-नन्हीं कहानियों की शक्ल लिये ये ‘तीलियाँ’ मतलब कि ये छोटी-छोटी कहानियाँ हैं, जो अपने ज्ञान की रोशनी से पाठकों के जीवन को प्रकाशमान करेंगी। लेखिका ने इन कहानियों के माध्यम से जीवन की छोटी-छोटी, लेकिन महत्त्वपूर्ण समस्याओं को सुलझाने के लिए एक व्यावहारिक ताना-बाना बुनने का कुछ इस प्रकार से प्रयास किया है कि कहानी भीतर तक झकझोर देनेवाला एक सवाल उठाकर खत्म हो जाती है। जीवन के अंधकार से निकलने का एक छोटा सा प्रयास है ये पठनीय कहानियाँ। "
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