Bhakta Prahlad
Author:
Suryakant Tripathi 'Nirala'Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
भारत के पौराणिक साहित्य में अनेक ऐसे किशोर चरित्र हैं जो मनुष्य के अडिग विश्वास, आस्था और संकल्प बल के प्रतीक हैं। ‘भक्त प्रह्लाद’ हमारे पौराणिक आख्यानों का ऐसा ही चरित्र है। इस चरित्र की कथा के माध्यम से निराला ने प्रह्लाद के उस अटूट विश्वास को उजागर किया है जो किसी भी आततायी के सामने पराजित नहीं होता। साथ ही, मानव-प्रकृति के वर्णन पर भी निराला ने अपना ध्यान केन्द्रित किया है। भक्त प्रह्लाद जब शिक्षा के लिए गुरुकुल में पहुँचा तो गुरु ने आरम्भ में जो तीन बातें बतलाईं, उनमें तीसरी थी, “तुम यहाँ कभी यह घमंड न कर सकोगे कि तुम राजा के लड़के हो। यहाँ जितने लड़के हैं, सबका बराबर आसन है। सम्मान की दृष्टि से बड़ा वह है जिसने अध्ययन अधिक किया है। तुम्हें सदा ही उसका अदब करना चाहिए।” इसके बाद निराला लिखते हैं, “प्रह्लाद मौन धारण किए इन अनुशासनों को सुन रहे थे। तीसरी आज्ञा उन्हें भायी। राजा और रंक एक ही आसन पर बैठकर ज्ञानार्जन करते हैं, समता के इस भाव से समदर्शी बालक का मुख प्रफुल्ल हो उठा।”</p>
<p>उपरोक्त उद्धरण से स्पष्ट है कि ‘भक्त प्रह्लाद’ एक पौराणिक चरित्र का पुनराख्यान-मात्र नहीं है, बल्कि उसके माध्यम से निराला ने किशोर पीढ़ी के लिए समता और मनुष्यता का सन्देश भी दिया है।
ISBN: 9788171788965
Pages: 96
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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धनहीन, लेकिन प्रेम की गरिमा से रचा-बसा एक नौजवान युगल छोटे से एक क़स्बे से बड़े शहर में आता है। युवक यहाँ दिन-रात अपने उपन्यास को पूरा करने में जुटा है; अपनी ख़ूबसूरत बीवी की इच्छा ही बीच-बीच में उसका हाथ रोकती है। कुछ समय बाद वे शहर को छोड़कर मध्य हिमालय के एक पुराने घर में चले जाते हैं। इस घर को रहने लायक़ बनाते समय युवक को एक पेटी मिलती है, जिसमें घर की पुरानी मालकिन की डायरियाँ भरी हैं और, तब खुलता है एक दूसरी दुनिया का, एक दूसरे ही वक़्त का दरवाज़ा, और एक कहानी के अँधेरे रहस्यों का...।
चर्चित पत्रकार तरुण तेजपाल का मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखा उपन्यास ‘द अल्केमी ऑफ़ डिज़ायर’ दुनिया की एक दर्जन से ज़्यादा भाषाओं में अनूदित हो चुका है, और विश्व के लाखों पाठकों तक पहुँच चुका है। नोबेल विजेता, भारतीय मूल के अंग्रेज़ी लेखक वी.एस. नायपाल ने इसे भारत में लिखा गया ‘प्रतिभापुष्ट मौलिकता’ से सम्पन्न उपन्यास कहा। ‘शिखर की ढलान’ इसी उपन्यास का उत्तम अनुवाद है।
ऐन्द्रिकता और आवेग से भरे इस उपन्यास को विश्व-भर के पत्र-पत्रिकाओं और आलोचकों ने सराहा है, और इसे भारत के किसी अंग्रेज़ी लेखक की अभूतपूर्व रचना माना है।
‘बोस्टन ग्लोब’ की टिप्पणी है :
‘‘तेजपाल ने एक तीव्रगामी और ऐन्द्रिक उपन्यास लिखा है, जो भारत के जनसाधारण पर दशकों से क़ाबिज़ समझदार और छिद्रान्वेषी नैतिकता को सही करने की कोशिश करता है। इसके स्पष्ट, रक्ताभ आवेग और इसकी विराट महत्त्वाकांक्षा की प्रशंसा किए बिना नहीं रहा जा सकता। यह उपन्यास उल्लास की चीख़ है। जो सशक्त और पुख़्ता आन्तरिक जीवन के महत्त्व को उस समाज में रहते हुए रेखांकित करता है जो समाज किनारों से उधड़ने, छीजने लगा है। भारतीय जनजीवन के विषय में लिखने की ईश्वर-प्रदत्त क्षमता से सम्पन्न तेजपाल सम्भवतः समझते हैं कि ऐसे समाज में जहाँ टुटपुँजिया भ्रष्टाचार व्याप्त हो, युद्ध के नगाड़े पीटे जाते हों, परमाणु परीक्षण को लेकर शेखी बघारी जाती हो, और जहाँ ग़रीबों को लूटनेवाले और अमीरों की शरण में पड़े साधु-संन्यासी हों, वहाँ घरेलू जीवन का क्या महत्त्व है, और एक ऐसी जगह बनाने की ज़रूरत भी कितनी है जहाँ व्यक्ति इस सबको छोड़कर अपने आत्म के साथ रह सके।”
Jai Somnath
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

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भारत की प्राचीन संस्कृति के द्योतक सोमनाथ के भग्नावशेषों में आज फिर से नए जीवन का संचार हो रहा है। ‘जय सोमनाथ’ भारतीय इतिहास के उसी युग का संस्मरण है जब सोमनाथ के विश्वविख्यात मन्दिर का ग़ज़नी के महमूद के हाथों पतन हुआ और इस तरह यवनों द्वारा हमारी संस्कृति को एक असह्य धक्का सहना पड़ा।
इस ऐतिहासिक गाथा को सुविख्यात लेखक और इतिहासवेत्ता कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने एक अत्यन्त रोचक उपन्यास का रूप दिया है। इस उपन्यास में उस युग की राजनीतिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि में ही इतिहास के पात्र फिर से सजीव हो उठे हैं। भाषा, भाव, शैली और प्रतिपत्ति की दृष्टि से जय सोमनाथ साहित्य-जगत को मुंशी जी की अमूल्य देन है।
Harun Aur Kahaniyo Ka Samunder
- Author Name:
Salman Rushdi
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हद दर्जे तक उदास शहरों में भी एक ऐसा उदास शहर जो अपना नाम भूल चुका है, इसी शहर में एक क़िस्सागो रशीद अपने बेटे हारून के साथ रहता है। रशीद बकवास का बादशाह है—समन्दर-भर ख़यालों और दैवी प्रतिभा का धनी। आप उससे कोई कहानी सुनाने के लिए कहिए और फिर किसी पुरानी कहानी की उम्मीद मत कीजिए, न ही ये सोचिए कि आप कोई एकाध कहानी सुनने जा रहे हैं। यहाँ सैकड़ों कहानियाँ आपकी मुंतज़िर हैं। ख़ुशी और उदासी की गड्डमड्ड कहानियाँ, प्यार और नफ़रत के टुकड़ों से बनीं; राजकुमारियों, दुष्ट चाचाओं और मोटी चाचियों, पीली चैक की पतलूनों वाले मुच्छड़ बदमाशों और दर्जनों मीठी धुनों से लबरेज़ कहानियाँ।
लेकिन एक दिन चीज़ें—कई सारी चीज़ें—भयानक ढंग से उलट-पुलट हो गईं। रशीद को उसकी पत्नी ने छोड़ दिया। उसके बाद जब भी वह मुँह खोलता, कोई कहानी हाज़िर न होती, उसकी जगह सिर्फ़ भौंकने की एक डरावनी आवाज़ सुनाई पड़ती। बकवास का बादशाह अपने वरदान से वंचित हो चुका था, क्योंकि उसकी नज़रों से कहीं दूर, जाने किस तरह कुछ बुरा घट चुका था, कहानियों का समन्दर धीरे-धीरे प्रदूषित होता जा रहा था। ख़तम-शुद—चुप्पी का राजकुमार और आवाज़ का दुश्मन—कहानियों के समन्दर को गुप्त रूप से प्रदूषित कर चुका था।
‘हारून और कहानियों का समन्दर’ एक साहसिक उपन्यास है—एक पिता, रशीद, और उसके बेटे हारून तथा हारून द्वारा अपने पिता के खोए वरदान को लौटा लाने की कोशिशों की सनसनीख़ेज़ दास्तान। इस कहानी में एक पागल बस ड्राइवर है—बट्ट और एक पानी का जिन्न है—इफ़्फ़। एक तैरता हुआ माली है और एक जोड़ा मछलियों का जिनके पूरे शरीर पर मुँह ही मुँह हैं। इस कहानी में आपको गप नाम का एक अद्भुत शहर मिलेगा (जहाँ हमेशा रोशनी रहती है) और चुप नाम का एक भयानक द्वीप भी (जहाँ हमेशा अँधेरा रहता है)।
और, इसमें आपका सामना होगा पी2सी2ई. (यानी इतनी जटिल कि समझाना कठिन प्रक्रिया—प्रोसेस टु कॉम्प्लीकेटेड टु एक्सप्लेन) से, जो शायद इस कहानी की सबसे अहम चीज़ है।
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